- 457 Posts
- 7538 Comments
घर की सफाई सुथराई के बाद पुस्तकों को पुन: व्यवस्थित करने के दौरान मेरी नजर “श्री रामचरित मानस” पर पडी………………… . वैसे रामानंद सागर की ‘रामायण धारावाहिक’ देखने के बाद शायद ही रामायण (धर्म ग्रन्थ) को मनोयोग से पढ़ा हो. पर काफी दिनों बाद जिज्ञासा वश ही पन्ने पलटने लगा. बचपन में कभी कभी आंख बंदकर पुस्तकें खोलने और जो पृष्ठ सामने आ जाय, उसे ही पढ़ने की ललक लिए कौतुहल के साथ जब मैंने रामायण ग्रन्थ को खोला तो किष्किन्धा कांड सामने आ गया, जिसमे भगवान राम और सुग्रीव का वार्तालाप था.
सीता हरण के बाद सीता को खोजते हुए, ऋष्यमूक पर्वत पर, राम लक्ष्मण को सुग्रीव से भेंट होती है. सुग्रीव के इस आश्वासन पर कि उसने सीता माता को इसी रस्ते जाते हुए देखा है, भगवन राम को सुग्रीव से दोस्ती हो जाती है. पर सुग्रीव भी अपनी ब्यथा सुनाने लग जाता है.
उसके बड़े भाई बालि गलतफहमी वश उसे देशनिकाला दे देता है और मारने की धमकी देता रहता है. उसके डर से ही बेचारा सुग्रीव अपने ख़ास मंत्रियों और हनुमान जी के साथ ऋष्यमूक पर्वत पर निवास कर रहा है. ऋष्यमूक पर्वत पर बालि मतंग मुनि के शाप के डर से नहीं आता है इसलिए यहाँ सुग्रीव सुरक्षित है.
सुग्रीव के दु:ख से भगवान् राम विचलित हो जाते हैं और बालि को मारने का शपथ भी ले लेते हैं.
यहीं पर राम सुग्रीव से कहते हैं,–
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी। तिन्हहि बिलोकत पातक भारी।।
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना।।
जिन्ह कें असि मति सहज न आई। ते सठ कत हठि करत मिताई।।
सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी।।
धीरज धरम मित्र अरु नारी I आपातकाल परखिअहि चारी I I
———————————————————————————————————————
इतना सब पढ़ने और मनन करने के बाद मेरा मन आत्म-मंथन करने लगता है कि मेरे ‘सच्चे मित्र’ कौन कौन हैं और मैं कितना ‘सच्चा मित्र’ हूँ…. बहुत मनन और चिंतन करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि मेरे मित्रों ने मुझे जरूरत के वक्त जरूर मदद किया है भले ही मैंने उन्हें उतनी मदद नहीं की. —– ‘मानव मन’ बड़ा ही अस्थिर होता है अपने दोष को कम करने के लिए दूसरे में दोष ढूढ़ने लगता है. मैं जिस देश का नागरिक हूँ उस देश का राजा (प्रधान मंत्री) क्या मित्रता धर्म निभा रहे हैं. जिस ‘राजा’ और ‘कलमाड़ी’ ने उनको बुरे वक्त पर साथ दिया था उन्होंने क्या उसी परंपरा का पालन किया. उन्होंने तो इन बेचारों को दूध की मक्खी के तरह निकाल फेंका….. ऐसी जगह फेंका जहाँ भयानक असुर लोग पहले से निवास करते थे. दरअसल मुझे तो ऐसा लगता है कि प्रधान मंत्री अंगरेजी माध्यम से पढ़े हैं उन्हें रामायण की उपर्युक्त पक्तियां याद नहीं रही होगी जैसे कि 2G वाली बहुत सी बात राजा के ‘याद’ दिलाने पर भी ‘याद’ नहीं आती है……. वो तो ‘मैडम’ हैं कि दो प्रमुख मंत्रियों को (आपसी विवाद होने पर) रामायण का पाठ पढ़ाकर सुलह करा देती हैं. आखिर देश धर्म, सरकार धर्म नाम की भी कोई चीज होती है कि नहीं….. और एक हमारे प्रकाण्ड पंडित प्रधान मंत्री महोदय ‘गठबंधन धर्म’ को भी मौकापरस्त जैसा इस्तेमाल करते हैं. पर हमारे ‘राजा’ को भी सुग्रीव की भांति, राम (सुप्रीम कोर्ट) का इंतज़ार करना चाहिए! जो कि बड़े भाई बालि को दोषी ठहरा कर उसपर छिप कर वार कर सके.
भगवान् राम से क्षमा याचना सहित राम भक्त हनुमान का अनुचर —– जवाहर दास.
Read Comments