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नेता कहलाने के लिए….

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हमारे गजोधर भैया बड़े ही मिहनती आदमी हैं. जो ठान लेते हैं कर के दिखलाते हैं.
उनके ऊपर समाज सेवा करने की धुन सवार हुई और वे समाज सेवा के कार्य में लग गए. सर्वप्रथम उन्होंने झाड़ू पकड़ा और लगे मोहल्ले की सफाई करने. उन्हें सफाई करता देख कुछ और लोग साथ हो लिए और देखते देखते मोहल्ले के प्राय: सभी आदमी अपने अपने घरों से निकल आए, कुछ कौतुहल वश देखने के लिए तो कुछ स्वेच्छा से साथ देने के लिए. थोड़ी ही देर में मोहल्ला साफ़ हो गया…
अब गजोधर भाई को अच्छा मौका मिल गया वे लोगों को समझाने लग गए —– ” सफाई से सबसे पहले किसका भला होगा? – हमारा. बोलिए मैं क्या गलत कह रहा हूँ?” – “नहीं! ” भीड़ से आवाज आई. अब तो गजोधर भाई का उत्साह और बढ़ गया और वे सफाई के साथ पर्यावरण के बारे में भी लोगों को बतलाने लग गए. उन्होंने जितना भी पुस्तकों एवं पत्रिकाओं में पढ़ा था सबकुछ कह डाला.
थोड़ी देर बाद भीड़ खिसकने लगी थी पर वे हार माननेवालों में से नहीं थे. भागने वालों में से किसी भले आदमी का नाम पुकार लिया- अरे मोहन बाबू, कहाँ जा रहे हैं? आप तो हमारे प्रेरणा स्रोत हैं. आप को प्रतिदिन गौसाला साफ़ करते हुए मैं देखता हूँ आप से ही तो मैंने सीखा है आप रहेंगे तो और लोग भी रहेंगे और हमारी बस्ती ऐसी ही साफ़ सुथरी बनी रहेगी. अच्छा खैर, आप सबको अपने-अपने काम में भी जाना होगा, सो आज इतना ही पर याद रखिये हमें यह काम प्रतिदिन करना है.
दुसरे दिन गजोधर भाई अपने घर की खिड़की से झांकते रहे — देखा मोहन बाबू सबसे पहले अपने घर से निकले और अपने घर के सामने की गली साफ़ करने लगे थोड़ी देर बाद भोला भी निकला और वह भी सफाई में भिड़ गया …. इसीतरह दुसरे लोग भी बाहर निकले और सभी एक दुसरे का हाथ बटाने लगे. आज गजोधर सबसे बाद में निकले और झूठ मूठ का आंख मलते हुए बाहर आए और लोगों से माफी मांगने के अंदाज में कहने लगे — वो क्या है कि रात में देर से सोने के कारण सुबह जल्दी नींद नहीं खुली, अरे आप ने तो पूरा मोहल्ला साफ़ कर डाला फिर भाषण देने के अंदाज में खड़े हो गए और देश दुनिया का हाल चाल बताने लगे थोड़ी गांधी जी की जीवनी को भी छुआ सभी भले लोग गजोधर भाई की दुहाई देने लगे. गजोधर भाई अपनी सफलता देख मन ही मन मुस्कुराने लगे.
अब सभी लोग प्रतिदिन अपने घर के साथ मोहल्ले को भी साफ़ करने लगे और गजोधर भाई अपने वचनामृत से उन सबका उत्साह बढ़ाने लगे.
एक दिन संध्या वेला में जब सब लोग अपने अपने घरों में अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बैठकर कुछ सलाह मशविरा कर रहे थे या टी. वी. पर कोई धारावाहिक देख रहे थे गजोधर भाई अपने घर से बाहर निकलकर बरामदे रूपी दालान में बैठकर जोर जोर से रामायण पाठ करने लगे.
मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी.
पुनि पुन कितनाहूं सुनिए सुनाये, हिय की प्यास बुझत न बुझाये.
जब जब होही धरम की हानी, बाढ़ही अधिक असुर मनमानी.
तब तब धरें प्रभु मनुज शरीरा, हरही सकल सज्जन जन पीड़ा.
आवाज सुनकर कुछलोग अपने घरों से बाहर निकले और धीरे धीरे आसपास के लोग इकठ्ठा हो गए.
कुछ लोग तो हाथ जोड़ कर खड़े हो गए जैसा वे लोग सत्यनारायण भगवान् की कथा सुनते वक्त करते हैं.
जब भीड़ इकठ्ठी हो गयी गजोधर भाई ने चौपाई से भावार्थ में आ गए. — आपलोग अपनी अपनी जगह पर पुआल लेकर बैठ जाइये और ध्यान से सुनिए भगवन राम का अवतार क्यों हुआ — पूरे ब्रह्माण्ड में रावण और उसके वंशजों का अत्याचार होने लगा था. संत मुनियों को पूजा पाठ करने में भी वे असुर विघ्न पैदा करने लगे थे. तब जाकर भगवान् राम देवताओं और ऋषि मुनियों की प्रार्थना सुन कर अयोध्या के राजा दसरथ के घर पैदा हुए.
भये प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी
हर्षित महतारी मुनिमन हारी अद्भुत रूप बिचारी.
सभी लोग फिर आनंद की मुद्रा में आ गए और हाथ जोरकर सुर में सुर मिलाकर गाने लगे.
गजोधर भाई ने आज की कथा समाप्त की और लोगों से आग्रह किया — आपलोग प्रतिदिन संध्या समय यहाँ आयें और राम की कथा रामायण का आनंद लें.
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इस प्रकार गजोधर भाई का रामायण पाठ और प्रतिदिन कुछ नए उपदेश, देश दुनियां का समाचार आदि से लोगों को अवगत कराते रहते.
अब गजोधर भाई अपने गाँव में पढ़े लिखे और समझदार लोगों में गिने जाने लगे. अब लोग अपने छोटे मोटे आपसी विवाद को सुलझाने हेतु भी उनके पास आने लगे और गजोधर भाई की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती गयी.
अब दुसरे गाँव से भी उनका बुलावा आने लगा और विवाद सुलझाने के लिए पञ्च के रूप में चुने जाने लगे.
इसी समय सरकार की तरफ से पंचायत चुनाव की घोषणा हुई और गजोधर भाई लोगों के मतानुसार मुखिया पद के उमीदवार ही नहीं बल्कि चुन भी लिए गए.
गजोधर भाई के दो परम भक्त पैदा हो गए जो उनकी बात का आँख मूंदकर समर्थन करते थे.
ये दोनों थे भोला और भवानी – इन दोनों में दूर-दूर का कोई रिश्ता न था पर जब ये दोनों गजोधर भाई के साथ होते तो राम लक्ष्मण से कम न दीखते थे.
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सरकारी अनुदान की राशि सीधे गजोधर भाई के पास आने लगी और उन रुपयों से गाँव की सड़के और नालियां बनने लगी एक तरह से कहा जाय तो पूरे इलाके का कायाकल्प हो गया. गजोधर भाई दिन प्रतिदिन लोकप्रियता की हर पावदान को पार करते गए.
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एक साल प्रकृति ने धोखा दिया और बारिश न के बराबर हुई. फसलें सूख गयी और लोग दौरे दौरे गजोधर भाई के पास आये , गजोधर भाई बी.डी.ओ. से मिले इलाके के जनप्रतिनिधि विधायक जी से मिले और इलाके को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया.
सरकारी अनुदान आया और काफी सारा खाद्यन्न भी. सभी गजोधर मुखिया के देखरेख में ही वितरित होना था. गजोधर खुद कितना सम्हालते लगा दिया भोला और भवानी को इस पुनीत कार्य में … और फिर जो बन्दर बाँट हुआ वह तो पूरा गाँव ही जानता है…… मीडिया वाले इधर का रुख कम ही करते थे.
अब गजोधर भाई ने मोटर सायकिल खरीदी और अपने घर का रंग रोगन करवाया पंचायत भवन बनवाने की आधारशिला रखी. निश्चय ही इन सभी कार्यों में भोला और भवानी पूरी मदद करते वे लोग भी शहर के बड़े होटलों का दर्शन करने लगे……………
क्रमश:…….

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