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नेता कहलाने के लिए……. किश्त -2

jls
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मित्रों, जैसा कि आपने पिछले अंक में पढ़ा गजोधर मुखिया के साथी भोला और भवानी शहर के बड़े होटलों में जाने लगे और होटल में जाकर रूखी सूखी तो खायेंगे नहीं, थोड़ा तर माल चाहिए होगा और तरी (प्यास बुझाने के लिए) तो आवश्यक ही है बरना गला कैसे साफ़ होगा.
एक दिन दोनों काफी रात तक अपना गला तर करते रहे, और घर लौटते वक्त रास्ता भटक गए ….
एक जगह संगीत का रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था तो वही बैठकर आनंद लेने लगे…
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संगीत अपने पूरे शबाब पर था, बार बालाएं न्यूनतम कपड़े में मुन्नी बदनाम हुई, शीला की जवानी तथा कुछ भोजपुरी गानों आदि के लोकप्रिय धुनों पर अपना जलवा बिखेर रही थी..
भोला और भवानी से बर्दास्त नहीं हुआ और मंच पर चढ़ गए, साथ में डांस करने हेतु, उनके पाकेट में जो रुपये बच रहे थे उन्हें वे उड़ाने लगे.
आयोजकों को यह सब नागवार लगा और उनलोगों ने पहले प्यार से, और नहीं मानने पर थोड़ा बल प्रयोग कर दोनों को मंच से नीचे उतार दिया.
यह सब भवानी को बुरा लग रहा था और वह भोला को उकसा रहा था. -” क्या समझते हो तुमलोग हमें, हमलोग गजोधर (नेताजी) के आदमी हैं. अभी के अभी मंच नहीं उखड़वा दिया तो मेरा नाम भवानी नहीं!”
भोला थोड़ा होश में था. वह भवानी को खींच कर अलग करने में लगा था. पर भवानी का इतना कहना आयोजक के सहयोगियों के गुस्सा को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ और रंग में भंग का काम किया.
कुछ पुलिस वाले( जो अपनी ड्यूटी भूलकर कार्यक्रम का मजा ले रहे थे), वे भी अपनी वर्दी को यादकर भवानी और भोला को खीचकर दूर ले गए. भवानी का गुस्सा सातवें असमान पर था उसने तुरंत नेताजी को फ़ोन मिलाया और सारी बात एक साँस में कह गया. गजोधर भाई ने मौके की नजाकत भांपकर दोनों को वापस बुला लिया और यह कहकर उन लोगों को शांत किया कि कल उन लोगों से निपटेंगे. और कल तक भवानी का होश ठिकाने आ गया था. गाँव में यह चर्चा का विषय बन गया…
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गजोधर भाई के सफेद वस्त्र पर कुछ छीटें गिरने लग गयी थी, इसका उन्हें मलाल हो रहा था.
सारी बातों को जानने के बाद क्षेत्र के विधायक नगीना बाबु ने गजोधर और उनके दोनों शागिर्दों को बुलाया.
नगीना बाबु- “गजोधर ऐसा होता है, जवानी का खून है थोड़ा गरम तो होना ही चाहिए. इन लोगों के लिए हम इंतजाम किये देते हैं एक कार्यक्रम का आयोजन आपलोग भी कीजिये. हमारे गाँव के किसान गरीब और अनपढ़ हैं, हमलोग वयस्क शिक्षा का कार्यक्रम की शुरुआत करते हैं और उसका उद्घाटन शिक्षा मंत्री से करा देते हैं. उनके आने के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर देते हैं. दिन में बच्चे और बच्चियां अपना कार्यक्रम पेश करेंगी और रात में भोला और भवानी जैसे वयस्क लोगों के लिए कार्यक्रम रख देते हैं. सारे कार्यक्रम का प्रभार सड़क बनाने वाले ठेकेदार मलखान को दे देते हैं. आखिर सड़क मरम्मती का ठेका भी तो उसी को देना है, तो इतना तो खुशी-खुशी करने के लिए तैयार हो जायेगा.”
हाँ, इतना सब करने के बाद हमारे किसान भाइयों का मनोरंजन के साथ अक्षर ज्ञान भी हो जायेगा. और अगले साल चुनाव में आखिर मेरा नाम पढ़कर तो बटन दबाएगा. गजोधर भाई को यह सब बड़ा अटपटा लग रहा था पर नगीना बाबु के सामने उनका मुंह नहीं खुलता था, (आखिर मोटर सायकिल भी तो उन्ही की कृपा से नसीब हुआ था).
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खैर, शिक्षा मंत्री से appointment लेने के बाद सब कुछ तयशुदा कार्यक्रम के तहत तैयारी होने लगी.
वंदनवार सजाये गए, सड़क और मैदान की सफाई की गयी और मंत्री जी का हेलिकोप्टर को देखकर सबकी बांछे खिल गयी. हेलिकोप्टर नीचे उतरा तो यह अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा था कि यह धूल का बादल है या धुएं का….. नगीना बाबु ने आगे बढ़कर मंत्री जी का स्वागत किया और गजोधर भाई ने फूल माला पहनाकर उनका मार्गदर्शन करते हुए मंच तक ले आए.
बच्चियों और और बच्चों ने स्वागत गीत गाए और गजोधर भाई ने स्वागत भाषण पढ़ा. नगीना बाबु ने मंत्री जी के शान में कसीदे पढ़े और मंत्री जी अंत में माइक को पकड़ सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया –” वैसे आपलोगों को देखकर यह नही लगता कि आपलोग एकदम निरक्षर हो, पर आज के युग में सिर्फ साक्षर होना ही काफी नहीं है. हमारा देश भी अब विकसित देशों के साथ कन्धा मिलाने जा रहा है, तो हमारे कंधे भी तो उतने ही मजबूत होने चाहिए. आपलोग अगर वैज्ञानिक तरीके से खेती करोगे तो कम जगह में ज्यादा उत्पादन कर सकोगे. अपने उत्पाद का सही मूल्य पर निष्पादन कर सकोगे. इसीलिये हमने गजोधर और नगीना बाबु के आग्रह पर आपके पंचायत भवन में कंप्यूटर और टेलिफोन की भी व्यवस्था करा दी है”
….. मंत्री जी को जल्दी ही दूसरी जगह जाना था इसलिए अपना भाषण जल्द ही समाप्त करते हुए एक आश्वासन देते हुए गये “हम चाहते हैं कि अगले साल तक (अगर हमारी पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो) हम आपके इलाके में इंजीनियरिंग कॉलेज की भी स्थापना करेंगे, ताकि आप लोगों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए दुसरे राज्यों में न जाना पड़े”.
तालियों की गडगडाहट से पूरा मैदान गूँज उठा… भोला और नगीना तो मानो बल्लियों उछलने लगा.
आज यहाँ मेले के जैसा माहौल था, खोमचेवाले ठेलेवाले आज अपनी चांदी काट रहे थे………………
कुछ लोगों को शाम के जश्न का इंतज़ार था, उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आज सूर्यास्त होने में देर क्यों हो रही है?
खैर सूर्यास्त भी हुआ और एक साथ कई चाँद और चान्दनियों का दीदार हुआ. महफ़िल खूब सजी और देर रात तक रास रंग चलता रहा.. आज भोला और भवानी को कोई रोकने टोकने वाला नहीं था… सभी बच्चे बूढ़े जवान भरपूर आनंद ले रहे थे. महिलाएं अपने पतियों का इन्तजार करती हुई सो गयी थीं.
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गजोधर मन ही मन कुछ सोंच रहे थे तभी नगीना बाबु ने आकर एक धौल जमाया. गजोधर मानो नींद से जागे. गजोधर, अगली बार भी आपका मुखिया बनना तय है और मुझे विधायक बनाना आप सबकी जिम्मेवारी है. हाँ अगर इलाके में किसी का कोई काम अंटक रहा हो तो संकोच करने की जरूरत नहीं है. हमदोनो मिलकर सबका और अपना भला भी जरूर करेंगे.
गजोधर कुछ अनमने से सोच में मग्न थे. थोड़ी देर बाद वे अपने घर चले गए…………..
क्रमश: (शेष अगली किश्त में.)

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