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नेता कहलाने के लिए……. किश्त -4

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गतांक से आगे……
प्रकृति की लीला भी भी निराली है. इसे समझ पाना किसी के लिए भी असम्भव है.
रब्बी की फसल ठीक-ठाक हुई थी और किसान अपनी भरपाई किसी तरह कर पा रहे थे. सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था होने से वर्षा पर निर्भरता थोड़ी कम हुई थी. पर, बरसात के समय की फसलें मॉनसून यानी बरसात पर आधारित होती हैं, कम वर्षा होने पर ये फसलें ठीक उत्पादन नहीं दे पाती हैं, तो वहीं अत्यधिक बारिश और बाढ़ से ये फसलें बर्बाद भी हो जाती हैं.
पिछले साल वर्षा कम हुई थी तो खरीफ फसल नहीं के बराबर हुई थी. इस साल अत्यधिक बारिश से नदियों में उफान आ गया और नदियाँ अपना तटबंध तोड़ती हुई खेतों और घरों में जा पहुँची. अधिकांश खेत और घर बाढ़ के पानी में डूब गए, जान माल की काफी क्षति हुई. इलाके में हाहाकार मच गया, गरीबों के कच्चे घर और मवेशी बाढ़ में बह गए, सारा इलाका जलमग्न हो गया कहीं-कहीं पक्के और ऊंचे घर बचे रहे. यही पक्के घर, स्कूल, पंचायत भवन, धर्मशाला आदि लोगों के शरणगाह बने.
सरकारी महकमा हमेशा देर से जगता है, पहले हवाई सर्वेक्षण होगा, फिर आपदा प्रबंधन के लोग आएंगे, फिर केन्द्रीय टीम नुक्सान का मुआयना करेगा, प्रधान मंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, फिर राज्य सरकार से मांग पत्र प्रस्तुत किये जायेंगें, तब जाकर केंद्र से फंड रिलीज़ होगा और फिर हरेक इलाके के नेताओं की हैसियत के अनुसार राशि वितरित की जायेगी, तबतक कुछ हेलिकोप्टर आकाश में मंडराएंगे और कुछ खाने के पाकेट ऐसे फेंकेंगे जैसे कबूतरों को ‘दाना’ डाल रहे हैं. भूखे नंगे लोग उस पाकेट को लेने के लिए टूट पड़ेंगे और एक दुसरे के खून के प्यासे भी हो जायेंगे. यह करुण दृश्य फोटो खींचकर मीडिया वाले चटकारे लेकर दिखायेंगे और संसद में सांसद हो हंगामा कर संसद की कार्रवाई ठप्प करवा देंगे. विपक्षी दल ऐसे मौके की तलाश में रहते है और अपना सारा ठीकड़ा सरकार पर फोड़ेगें. लोग मरते हैं तो मरें यह तो उनके कर्मों का फल है (क्योंकि उन्होंने अमुक पार्टी को वोट दिया है).
गजोधर प्रकृति की इस विनाश लीला पर बहुत दुखी नजर आ रहे थे, पर महामाया बाबु उन्हें हिम्मत दे रहे थे, …. “यही मौका है अपनी छवी बनाने का, समझ लो यह तुम्हारा इम्तहान है, हिम्मत नहीं हारना है लोगों की सेवा जी जान लगाकर करनी है, सबसे पहले तो मैं अपने बल बूते जितना मदद कर सकता हूँ करूंगा, लोगों से अपील करूंगा मदद के लिए हाथ फैलाऊँगा, मुख्यमंत्री के दरवाजे पर जाऊँगा, राहत सामग्री के लिए- हाँ तुम्हे अपने साथियों के साथ तैयार रहना होगा कि जरूरतमंद के पास राहत सामग्री उचित मात्रा में समय से पहुँचती रहे.”
इस बार भोला और भवानी के अलावा कुछ और नवयुवक गजोधर के साथ हो लिए और सबने मिलकर लोगों की मदद पहुंचाई लोगों ने इन्हें आशीर्वाद दिया. नगीना बाबु दिल्ली गए हुए थे सो देर से आए, उन्हें लोगों के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा, (शायद महामाया बाबु यही चाहते भी थे). फिर मुख्य मंत्री राहत कोष और केंद्र से भी मदद आ गई और सबको यथासंभव मदद मिल पाई. राहत कोष का दुरूपयोग न हो इसका ख़ास ख्याल रक्खा गया.
बाढ़ का पानी निकल जाने के बाद पुनर्वास की ब्यवस्था की जाने लगी. कुछ दिन लोगों को टेंट में गुजारने पड़े. बाद में कच्चे मकानों की जगह पक्के मकान बने. नदियों के तटबंध दुरूस्त किये गए. फिर जल्दी उपज देनेवाली फसलों की रोपाई की गयी और लोगों के चेहरे पर एक बार पुन: मुस्कुराहट लौट आयी. सबने एक स्वर से गजोधर और उसकी मंडली को सराहा.
गजोधर और महामाया अपने क्रिया कलापों से काफी ख्याति बटोर चुके थे. मुख्य मंत्री पार्टी आलाकमान और मीडिया में भी चर्चित थे.
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महामाया बाबु ने जो फसल लगाई थी उसे काटने का समय आ गया था. कुछ ही दिनों बाद विधान सभा के आम चुनाव की घोषणा हुई और इस बार महामाया गजोधर को विधान सभा का टिकट दिलवाने में सफल हो गए.
चुनाव हुआ और आशा के अनुकूल गजोधर विधान सभा के लिए विधायक चुन लिए गए. विधायक बनाने के बाद उनके क्षेत्र की जनता ने अभिनन्दन समारोह का कार्यक्रम रक्खा. सादे समारोह में लोगो ने उन्हें फूलों का गुलदस्ता एवं हार से स्वागत किया. भोला और भवानी ने गजोधर भाई – जिंदाबाद! के नारे लगाये, महामाया बाबु सम्मानित अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान थे. भोला ने सर्वप्रथम उन्हें ही आमंत्रित किया — “अब मैं महामाया बाबु से आग्रह करूंगा कि वे अपने आशीर्वचन से हम लोगों को कृतार्थ करें.”
महामाया बाबु ने माइक सम्हाला — ” उपस्थित सज्जनों और देवियों, मैं आपका ज्यादा वक्त नहीं लूँगा, जैसा कि आप सभी जानते हैं गजोधर आपके बीच का लड़का है, बेरोजगार, ईमानदार और परिश्रमी. यह हमलोगों की कमी है कि हम अपने बीच के हीरे को पहचान नहीं पाते हैं, हम जाति, धर्म और समुदाय में बंटकर अपने वोट को बर्बाद कर देते हैं और सही उम्मीदवार का चयन नहीं कर पाते हैं. यही सीख आपलोगों को लेनी है कि अगली बार भी आप किसी लालच में आकर अपना वोट बर्बाद न करेंगे और हमेशा योग्य उम्मीदवार को ही जिताएंगे. बस आपलोगों का बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिंद! जय भारत!”
अब बारी थी गजोधर की. भोला ने फिर माइक सम्हाला और कहा, “अब मैं परम आदरणीय अपने बड़े भाई और नवनिर्वाचित विधायक महोदय से कहूँगा कि वे आप सबको संबोधित करें. एक बार बोलिए गजोधर भाई की जय!.. गजोधर भाई साहब….”
गजोधर भाई वैसे खानदानी राजनीतिग्य तो थे नहीं. इधर चुनाव प्रचार के दौरान जो कुछ बोलना सीखे थे उसी की पुनरावृत्ति करने लगे.
माताओं एवं बहनों, मेरे अग्रज भ्राता एवं भाभियों, चाचा जी एवं चाचियों, मेरे प्यारे बच्चे, आपसबको मेरा हार्दिक प्रणाम और अभिनन्दन!
आज जो मैं आपके सामने इन फूलों की माला में सुसज्जित दिख रहा हूँ, वह सब आपके ही आशीर्वाद और मंगल कामना का फल है. आप सबके आशीर्वाद से मेरा रोम रोम ऋणी है. मैं या समझ नहीं पा रहा हूँ कि मैं आपलोगों का यह ऋण कैसे अदा कर पाऊंगा. पर इतना अवश्य है कि मैं आपके हर गाँव को आदर्श गाँव बनाने का प्रयास करूंगा. हर गाँव में सड़कें होगी, पक्की नालियां होगी, अपने विद्यालय भवन होंगे और हर पांच गाँव के मध्य एक हाई स्कूल होंगे. हर प्रखंड में उच्चतर शिक्षा के लिए महाविद्यालय खोले जायेंगे, ताकि मैंने जिस परेशानी से अपनी शिक्षा पूरी की है, वह दिन आपलोगों के बच्चों को न देखना पड़े. शिक्षा जीवन का मूल मंत्र है, बिना पढ़े मनुष्य पशु के सामान है…. उसके बाद स्वास्थ्य सुविधा का लाभ भी आपलोगों को मिल सके इसकी भी जिम्मेवारी मेरी होगी. आपलोग कोई शहर की तरफ नहीं भागेंगे, बल्कि शहर अब गाँव की ओर रुख करेगा. गाँव में कुटीर उद्योग और लघु उद्योंगो की स्थापना की जायेगी. पर इन सब कामों में हमें आपका भी सहयोग चाहिए और महामाया बाबु का संरक्षण……. आप लोगों के लिए हमारा दरवाजा हमेशा खुला है. आप के पास जब भी कोई परेशानी आए, नि:संकोच हमें बताइए, जो संभव होगा अवश्य किया जायेगा. आप सबको एक बार पुन: धन्यवाद और सादर अभिवादन! .. जय जवान! जय किसान! जय भारत! जय हिंद! वन्दे मातरम!
क्रमश: (शेष अगले भाग में.)

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