jls
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श्रीमान राजकमल जी(गुरुदेव) के जन्मदिन पर हमारी तरफ से शुभकामना!
बधाई हो बधाई जनम दिन की तुमको!
जनम दिन तुम्हारा, मिलेंगे (खुशी के) लड्डू हमको!
गुरूजी ने सिखाया लिखेंगे चिट्ठी सबको.
एक अनजान चेहरा (शक्श) जिनसे मैं कभी मिला नहीं,
चिठ्ठी- पत्री माध्यम से ही हम जुड़े, फिर भी कोई गिला नहीं!
जब भी कुछ लिखता हूँ, उन्हें आसपास ही पाता हूँ,
अगर कहीं है कोई अड़चन, राह नई पाता हूँ!
न कोई रिश्ता न है कोई सम्बन्ध
पर कैसा है यह आत्म-बन्ध,
मान्यवर गुरुदेव, परमहंस राजकमल!
परम आदरणीय शाही जी, और प्रियवर बैजनाथ पाण्डेय जी के आस पास ही खुद को पाता हूँ.
प्रिय भ्रमरदेव और शशिजी, स्वांत: सुखाय श्री संतोष जी, अशोक जी एवं अन्य….. सभी.
आपसब से है एक निवेदन,
दे शुभकामना अपने अपने अंदाज में,
यह मंच सदा चिह्नित रहे उनके ही आस पास में.
सादर साभार – जवाहर.
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