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पिछले दिनों पिकनिक और नये साल के स्वागत समारोह का माहौल बड़े जोर शोर से चला. मैं भी अपने मित्रों के साथ एक पिकनिक समारोह में शामिल हो गया. समारोह स्थल पर भीड़ और हर्षोल्लास देख कर एक बार तो मैं भूल ही गया की हमारा देश महंगाई और बेरोजगारी से ग्रस्त गरीबों का देश है…
सभी जगह लोग डी.जे. की धुन पर नाच गा रहे थे और आनंद के हर एक पल को जी लेना चाहते थे. हाँ, भिखमंगे भी कम नहीं थे जो हर टोली या ब्यक्ति से मांगने के फ़िराक में लगे थे. तभी मेरी नजर गजोधर भाई के कोट पर पड़ी जो एक जगह से फटी हुई नजर आ रही थी. मैंने गजोधर भाई को कौतुहल बस टोक ही दिया – “क्या बात है गजोधर भाई, यहाँ पर सबसे गरीब तो आप ही नजर आ रहे हो!”
गजोधर भाई चौंकते हुए अपनी फटी हुई कोट को छिपाने का असफल प्रयास करते हुए – “दरअसल बात यह है कि हमारे यहाँ चूहों की जनसँख्या में अचानक बृद्धि हो गयी है; उन्होंने ही मेरे एकलौते कोट पर हमला कर दिया और आपको ब्यंग्य करने का मौका दे दिया.
मैंने कहा – जरूर आपने कोट के पॉकेट में कुछ खाने की वस्तु को छिपा रक्खा होगा तभी तो …
गजोधर – क्या सिंह साहब, आपभी बाल की खाल निकल रहे हैं. मेरे ख्याल से इन चूहों और मच्छरों पर कंट्रोल के लिए तुरंत ही संसद में कानून पास करनी चाहिए, जिससे आम जनता को राहत मिल सके. ये चूहे खेत खलिहान की फसल तो बर्बाद करते ही हैं अब घरों में भी हमला करने लगे हैं. खाने की वस्तुओं के अलावा अब कपड़ों और किताबों पर भी हमला करने लगे हैं. खाद्यन्न की कमी के प्रमुख कारणों में एक ये चूहे भी हैं जिन्हें हमारे खाद्यान्न मंत्री नजरंदाज करते जा रहे हैं. न जाने कितने क्विंटल अनाज तो ये अपने बिल में छुपाकर आपातकालीन स्थिति के लिए रख लेते हैं और जमीन के अंदर सड़ा देते हैं, ये भी जमाखोरों की प्रजाति के हैं. अब तो ये हमलोगों के घरों पर हमला करने लगे हैं जहाँ महीने भर का ही राशन आता है, उसे भी अगर ये बिन बुलाए मेहमान की तरह चपत कर जाएँ तो हमें तो महीने के अंत में उपवास का ही सहारा लेना पड़ेगा; जैसा कि अन्ना हजारे साहब ने साल के अंत में आकर किया और बदले में अस्पताल की शरण ले ली.
मैंने थोड़ा बहुत ज्ञान अपने ज्ञान कोष से बाहर निकाला – गजोधर भाई, जहाँ तक मुझे पता है, चूहे सांप बिल्लियों के आहार हैं, अगर ये उन्हें न मिले तो वे लोग तो भूखे मर जायेंगे और फिर अपने देश में मेनका गांधी और विश्व स्तर पर ‘पेटा’ वाले सरकार के विरोध में अनशन पर बैठ जाये तो? आपने देखा नहीं हमारे कितने भाई और बहन ‘पेटा’ के ही चित्रों का सहारा लेकर बहुत सारी बात कम से कम शब्दों में कह जाते है. फिर इन्ही चूहों पर बहुत सारे डाक्टर अनुसंधान करते है और असाध्य बिमारियों की औषधि खोज निकालते हैं. हाँ ये बात अलग है कि इंदौर जैसे शहर में चूहों कि कमी है इसीलिये यहाँ के डॉक्टर इंसानों पर ही अपना प्रयोग कर डालते हैं और सरकार की जन संख्या नियंत्रण में अपना सक्रिय योगदान कर डालते हैं. आप काहे उन सब का आफत अपने गले उतारने की कोशिश कर रहे हैं.
गजोधर भाई जल्दी हार मानने वालों में से तो नहीं हैं, कहा- तो फिर चूहा पालन केंद्र और चूहा पालन विभाग खुलवा दीजिए जैसे मत्स्य पालन विभाग और उसके मंत्री हैं. कुछ लोग (मुसहर जाति के लोग) आज भी चूहों के मांस को खाते है. तब इनकी तादाद में बृद्धि हो जायेगी जिन्हें मछली खाने की औकात न होगी वे चूहे से अपना काम चलाएंगे.
मैंने कहा – हाँ यह तो बड़ा सुन्दर आईडिया है यह बात अब तक किसी को समझ में क्यों नहीं आयी. इससे तो महंगाई पर भी बहुत हद तक अंकुश लगाई जा सकती है. हमारे नेता भी निरे मूर्ख है. न जाने कितनी फजूल बातों पर बहस कर संसद और विधान सभा का वक्त बर्बाद करते है और हमारे गजोधर भाई जैसे बुद्धिमान ब्यक्ति के विचारों का क़द्र नहीं करते.
गजोधर- आप तो लेखक हैं ब्लॉग लिखते हैं इसी माध्यम से क्यों नहीं आप मेरे इस आईडिया को सरकार के सामने रखते हैं.
मैंने कहा – बिलकुल सही विचार या कहा जाय उच्च विचार! मैं तो कहूँगा जल्द से जल्द इस आईडिया को क्रियान्वित करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए. ‘मूषक पालन विभाग’ कैसा रहेगा यह नाम! इसके दो मंत्री केंद्र स्तर पर होंगे एक कैबिनेट स्तर के और दुसरे राज्य मंत्री के रूप में, क्योंकि अंततः इसे राज्यों द्वारा ही कार्यरूप दिया जा सकता है. हर राज्य में इसे लागू कर पंचायत स्तर तक इसके ब्रांच खोले जाने चाहिए. इससे कई फायदे हैं जैसे–
१. केंद्र स्तर पर कम से कम दो मंत्री बनाकर असंतुष्टों को खुश किया जा सकता है.
२. जब मंत्रालय बनेगे तो उसके अंदर ‘ए’ ग्रेड से ‘डी’ ग्रेड तक के अधिकारी और कर्मचारी नियुक्त होंगे.
३. इसी तरह राज्यों में भी विभाग बनेंगे और बहुत सारे नेता और बेरोजगारों को नौकरी मिलेगी.
४. पंचायत स्तर पर मनरेगा की तरह रैटरेगा के कार्यक्रम चलेंगे. जो भी ब्यक्ति एक चूहे को पकड़ कर लाएगा उसे २४ रुपये(खुदरा के अभाव में २० रुपये) देकर उसे रातोंरात(दिनोदिन) गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सकेगा या उसे कई गुना अमीर बनाया जा सकेगा जो एक से अधिक चूहा ला सके.
इस तरह एक बहुत ही विकसित विभाग हो जाने का बाद आयात और निर्यात के बारे में भी योजनाएं बनाई जा सकेंगी. इससे विदेशी मुद्रा का आगमन तो होगा ही अघोषित कमीशन से भी बहुत लाभ होगा जो अपने देश और दूसरे देश की मुद्रा कोष बढ़ाने में अदृश्य लाभ पहुँचायेगा. बड़े लोगों के घरों में aquarium की जगह raterium शोभायमान होंगे. उनमे विबिन्न प्रकार के चूहे रखे जा सकेंगे यही सम्पान्नता की निशानी भी होगी. जो जितना अमीर उतना बड़ा raterium रखेगा और उसमे विभिन्न प्रजाति के चूहे अलग अलग भागों में रख्खे जायेंगे. उस घर की महिलाएं अपने मित्र मंडली को बुलाकर दिखाएंगी यह जो सफ़ेद रंग का मूस जो देख रही हैं, वह केवल बासमती चावल ही खाता है. काला वाला boiled rice पसंद करता है.और वह जो ग्रे कलर का है उसे तो fruit ही पसंद है….
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इस तरह मेरे और गजोधर भाई के विचार से देश की गरीबी और बेरोजगारी को बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा.
आपलोगों के सम्मति के बिना यह कार्य शायद पूर्ण न हो सके तो अपने अमूल्य सुझाव अवश्य दे पर, १८७ से कम रखें ताकि इसपर बजट सत्र से पहले चर्चा की जा सके तभी तो आगामी बजट में इसके लिए अलग से धनराशि उपलब्ध कराई जा सकेगी.
आभार सहित – जवाहर लाल सिंह
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