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महात्मा जी कथा सुना रहे थे.– हमारे धर्म ग्रन्थ में लिखा है, – पहली रोटी गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए. गाय हमारी माता है. हम उसकी पूजा करते हैं इसलिए खाने से पहले एक रोटी (खाने का एक हिस्सा) गाय के लिए निकाल कर रख देते हैं. संभव है, तो उसे खिला देते हैं. और अंतिम रोटी (बचा हुआ खाना) कुत्ते को खिला देते हैं.
महात्मा जी आगे कहते हैं – जमाना बदल गया है….. आजकल पति सुबह सुबह काम के लिए निकल जाते हैं. इसलिए पत्नियाँ जल्दी जल्दी रोटी तैयार कर अपने पति को खिलाकर विदा करती है. घर के बाकी सभी सदस्यों को खिलाने के बाद बचा हुआ खाना स्वयम खाती हैं…. परिणाम यह हुआ कि पुरुष यानी ‘पति’ गाय के सामान हो गए हैं, दुधारू, शांत, शौम्य,… और भी बहुत कुछ! और पत्नियाँ ……. महिलाओं की चढ़ी त्योरियां देख उन्होंने तुरंत सुधार किया. ये बातें मैंने विनोद में कही है …..
मैंने भी यहाँ इस प्रसंग को विनोद के लिए ही प्रस्तुत किया है. एक महापुरुष तो मेरी नजर में, हमारे प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह हैं कितने शांत, शौम्य, मृदुभाषी, पादुका प्रहार के बाद भी मुस्काते हैं, जरूर उन्होंने पहली रोटी खाई होगी, अगर महात्मा जी की बात को मानें……. आपलोगों के पास इससे बढियां उदहारण है तो उसे प्रस्तुत कर सकते हैं. धन्यवाद!
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