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एक मच्छर…..!

jls
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हुआ कुछ ऐसा चमत्कार
बन गयी गजोधर की सरकार.
प्रस्ताव हुआ पारित बहुमत से.
राजा बने गजोधर झट से
जेड सुरक्षा का नाम सुना था!
फिर क्या, उनके लिए बना था.
प्रहरी रक्खे चुस्त दुरुस्त
खाते पीते हृष्ट और पुष्ट.
सोते रहते भाई गजोधर
जागते तो भरते थे ऊदर.
नही पूछते हाल प्रजा का.
मंत्री संतरी करते पूजा.

तभी एक दिन साहसी मच्छर
हिम्मत कर घुस गया वो अन्दर.
संतरी तब एक नींद से जागा
उठा तुरत और अन्दर भागा.
गृह मंत्री को खबर बताई,
गृह मंत्री ने मीटिंग बुलाई.
आपद बैठक में सब आये,
सबों ने अपने ही गुण गाये
विपक्षी की चाल ये लगती,
प्रहरी की नीयत है खोटी.
यह मच्छर आयातित लगता
देश पड़ोसी का यह लगता.
यह जैविक हथियार हो सकता
दूर देश का यह हो सकता.
जासूसों ने नहीं बताया
लगता वह बिक गया है भाया.
बैठक चली दिन और रात
किसने किया कुठाराघात
करें क्या जो यह रुक जाय
राजा तक न पहुँचने पाए.
प्रहरी थे आदेश को आकुल,
मंत्री थे मीटिंग में ब्याकुल.
नहीं हो सका कोई निर्णय
मच्छर बढ़ता होकर निर्भय
कहता कोई मत छुओ जी,
डर था कहीं विष्फोट न हो जी..
गृह मंत्री बिलकुल लाचार
आखिर मानी अपनी हार
एक प्रहरी के आया मन में,
किया समर्पित तन को उसने.
खून चूस लो मेरा चाहे,
राजा तक न पहुचने पाए.
पर मच्छर था धुन का पक्का
प्रहरी को मारा एक धक्का
राजा का ही खून चाहिए.
तब प्रहरी ने ताना खंजर
मच्छर भागा महल के अन्दर.
डंक चुभाया जोर का उसने,
ऐसा खून न पाया उसने.
खून चूसकर महल से भागा
तभी गजोधर नींद से जागा
होश में आकर सबको देखा
सबने एक दूसरे को देखा
नहीं खैर अब यहाँ किसी की,
गृह मंत्री की हो गयी छुट्टी
गृह मंत्री ने माँगी भिक्षा
करो मेरे परिवार की रक्षा
संसद पर भी हुआ था हमला
गृह मंत्री का नहीं था घपला.
कितने राजा मरे यहाँ पर,
प्रजा कांपती सदा यहाँ पर.
सुप्रीम कोर्ट भी नहीं सुरक्षित,
मैं सेवक चाहूं सबका हित.
राजा सम्हला बोला भाई,
क्यों नहीं तुम अपराधी जाई.
एक मच्छर भी तुम जानो
पुरुष न रहता यह तुम मानो.
चूक हुई यह तुम भी मानो.
चूक हुई या हो गयी गलती
माफी नहीं उसे अब मिलती.
बड़े हुए है झगड़े सारे
चूक मगर थी छोटी प्यारे.
महाभारत के कारण देखो,
विश्व युद्ध के तह में देखो.
माफी तुझको नहीं मिलेगी,
यही बानगी सदा रहेगी.
अपनी ड्यूटी नही करोगे,
एक दुसरे पर दोष मढ़ोगे.
मेरे रहते नहीं चलेगा.
करनी का फल तुझे मिलेगा
मुंबई कांपी थी थर थर
पाटिल गये थे अपने घर.
यह दृष्टान्त क्या नहीं है काफी,
चूक वहां भी छोटी ही थी
पर अंजाम से तुम हो वाकिफ,
सजा मिलेगी नियम मुताबिक.
सजा मिलेगी नियम मुताबिक………

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