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शुक्र है, अभीतक किसी जज महोदय ने ……!

jls
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शुक्र है अभी तक किसी जज महोदय ने यह नहीं कबूला! की उन्हें रिश्वत की पेशकश की गए थी.
जैसाकि आजकल चर्चा में हैं जनरल वी के सिंह जिन्होंने खुलासा किया कि उन्हें १४ करोड रिश्वत देने की कोशिश की गई थी, वह भी रिटायर्ड कर्नल तेजिंदर सिंह के द्वारा – यह कहकर कि सभी लेते हैं आप क्यों नही लेते?
रक्षा मंत्री भी स्वीकार करते हैं कि उन्हें यह बात मालूम थी. अब जाकर सी बी आई जांच की सिपारिश की गयी है. जांच क्या होनेवाला है और उसका नतीजा क्या निकलेगा, यह हम सभी जानते हैं. तब तक जनरल को हटाने की मांग वह भी विपक्ष के द्वारा की जाने लगी! सत्ता पक्ष मौन है, स्पष्टीकरण देने में बेचैन है और हमारे प्रधान मंत्री हमेशा की तरह गौण और मौन हैं.
रिटायर्ड सी बी आई डिरेक्टर श्री जोगेन्द्र सिंह ने भी कबूला था कि उन्हें कई मौकों पर खासकर चारा घोटाले मामले में राजनीतिक दबाव डाला गया था. फलस्वरूप चारा घोटाला की जांच आज तक चल रहा है. सी बी आई कोर्ट अपराध तय करेगा. सजा कोई और कोर्ट सुनाएगा, उपरी कोर्ट में अपील की जायेगी. फिर सुप्रीम कोर्ट में मामला जायेगा और खिचेंगा फिर एक दिन फैसला आयेगा ठोस सबूतों के अभाव में…..
कुछ न्यायाधीशों पर भी आरोप लगते रहे हैं. …. कुछ न्यायाधीश दबी जुबान में कबूल करते हैं कि न्यायालय भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है. Concerned over judiciary’s image coming under a cloud in the wake of corruption charges, Chief Justice S H Kapadia on Saturday said there was a need for “clean man in black robe” and asked the political class not to protect corrupt judges. New Delhi, Sat Apr 16 २०११ इंडियन एक्सप्रेस.
Former Law minister Shanti Bhushan has submitted a list of 16 former Chief Justices of India saying that 8 of them were definitely corrupt. Bhushan has also dared the apex court to send him to jail for contempt of court.TNN Sep 16, 2010, times ऑफ़ इंडिया

अगर गौर फ़रमाया जाय तो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार इन कोर्ट कचहरी में ही होता है. आपको एफिडेविट बनवानी है, वकील को फीश अदा कीजिये हाजिर है. सुनवाई की तारिख बढ़वाने और सजा को परिवर्तित करवाने में इन वकीलों और जजों की क्या मिलीभगत होती है किसी से छिपा नहीं है.
पुलिस के बारे में कहना ही बेकार है, आम आदमी थाना जाने से डरता है, क्योंकि वहाँ प्राथमिक रिपोर्ट के भी पैसे लगते हैं और किसी रसूखदार ब्यक्ति के खिलाफ अगर रिपोर्ट लिखवानी हो, तो कैसा टाल-मटोल होता है, यह भी किसी से छिपा नहीं है.
सरकारी कर्मचारी, अधिकारी, नेता मंत्री, या कहें जिसको मौका मिला सभी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं. अनेकों मंत्री और अपराधी जेल में रहकर ज्यादा सुरक्षित और सुविधा भोगी महसूस करते हैं. उनमे से कई लोग जेल रहकर भी चुनाव जीत जाते हैं. फिर जेल से बाहर निकलते ही उन्हें फूलों के हार से स्वागत किया जाता है. शरद यादव पर एक मुहावरा बोल देने से पूरा संसद नाराज हो जाती है, पर संसद में जूते चप्पल चलाना, हाथापाई करना, अध्यक्ष के आसान के पास जाकर शोर मचाना, यह सब संसदीय परंपरा के अंदर आता है. अश्लील फिल्मे देखना, बहस के दौरान सोना, गप्प मारना यह सब किस संविधान के तहत जायज है; मुझे नही मालूम!
जहाँ तक मुझे मालूम है, शरद यादव ने खुद कबूल किया था. हवाला कांड के समय में उन्हें भी जैन बंधुओं से चंदा मिला था, जिसे उन्होंने पार्टी कार्य में खर्च कर दिया. अन्ना के मंच से लोकपाल का समर्थन करते वक्त उनको अपना पार्टी हित दिख रहा था! कितनी पार्टियां है इस देश में? ये किनके पैसों से चलती है? सरकार जो घोषणाएँ करती हैं, उनमे किसका पैसा लगता है. पेट्रोल कम्पनी घाटे में चल रही हैं, तो उन्हें घाटे में कौन चलाता है? सरकार का दबाव उसपर क्यों है? सब्सिडी आप अपने पाकेट से देते हैं या किसी और के पाकेट काटकर!
लोकपाल से डर क्यों? जबकि वह भी इन्ही लोगों के बनाये कानून के अनुसार काम करेगा?
कानून तो हमारे यहाँ कम नहीं है, पर तोड़ने वाले वही लोग है, जो इसके रखवाले माने जाते हैं.
कमजोर ब्यक्ति का न्याय तो सड़क पर ही हो जाता है. अगर उससे थोड़ा मजबूत है तो थाने जाकर छूट जाता है. वहाँ नहीं तो लोअर कोर्ट, लोअर कोर्ट से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तो बैठा है इसीलिये कि लोग उसके पास आये और समय खींचते खींचते आदमी की खिंच जाये. सुप्रीम कोर्ट से सजा मिलने के बाद भी उसका पालन कितना होता है? राष्ट्रपति, फिर जनता की अदालत राजनीतिक पार्टियां यह सब किस दिन के लिए है.
देश में अन्याय बढ़ता रहेगा, गरीब भूखे मरते रहेंगे, महिलाओं पर अत्याचार होता रहेगा, अजन्मी बालिकाओं की भ्रूण हत्या होती रहेगी दहेज दानव सुरसा की तरह मुख फैलाये कितनी अबलाओं को अपने आगोश में लेती रहेंगी. और न्याय की देवी अपने आँखों पर पट्टी बांधे खड़ी रहेगी. इस देश का है कोई रखवाला या शहीदों की आत्माओं की आंसू से खारे जल की नदी अंत में खाड़े जल के सागर में जा मिलेगी?

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