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सिव द्रोही मम भगत कहावा ???

jls
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shiw stuti Bhagwan Shiw

बोल बम का नारा है, शंकर एक सहारा है!
रामचरित मानस के लंका कांड में, जब समुद्र भगवन राम को लंका जाने का रास्ता नहीं देता है; बल्कि सेतु बनाने का उपाय बताता है, तो भगवन राम उसके परामर्श के अनुसार नल नील द्वारा स्पर्श कराकर रखे गए पत्थरों से समुद्र पर रामसेतु की स्थापना कर देते हैं. अब सेतु की स्थापना हो गयी, तो उद्घाटन हेतु किसी महापुरुष को बुलाना चाहिए. जैसे कि आजकल हमलोग नेता जी या बड़े पदाधिकारी को बुलाते हैं. उस समय भगवन राम के लिए महान, भगवन शंकर थे इसलिए कहते हैं; उन्हीने(राम ने) वहीं पर समुद्र के किनारे भगवान शंकर की स्थापना कर डाली और उनका विधिवत पूजन करने के बाद ही समुद्र को पार किया. आज भी रामेश्वरम के रूप में भगवान् शंकर वहां विराजमान हैं.
आइये, थोड़ी देर मानस में वर्णित पंक्तियों को याद करते हैं!
सैल बिसाल आनि कपि देहीं। कंदुक इव नल नील ते लेहीं।।
देखि सेतु अति सुंदर रचना। बिहसि कृपानिधि बोले बचना।।
परम रम्य उत्तम यह धरनी। महिमा अमित जाइ नहिं बरनी।।
करिहउँ इहाँ संभु थापना। मोरे हृदयँ परम कलपना।।
सुनि कपीस बहु दूत पठाए। मुनिबर सकल बोलि लै आए।।
लिंग थापि बिधिवत करि पूजा। सिव समान प्रिय मोहि न दूजा।।
सिव द्रोही मम भगत कहावा। सो नर सपनेहुँ मोहि न पावा।।
संकर बिमुख भगति चह मोरी। सो नारकी मूढ़ मति थोरी।।
दो0-संकर प्रिय मम द्रोही, सिव द्रोही मम दास।
ते नर करहि कलप भरि, धोर नरक महुँ बास।।
जैसा की पंक्तियों से स्पष्ट है भगवान राम को शंकर भगवान बहुत प्रिय हैं और हम सब यह भी जानते हैं कि शंकर भगवान् भी भगवान राम को अपना आराध्य देव, मानते हैं.
इसी आधार पर देवी उमा (पार्वती) द्वारा सीता का रूप धारण कर भगवन राम की परीक्षा लेने मात्र से, उन्होंने(भगवान् शंकर ने) देवी पार्वती को त्याग भी दिया था. फलस्वरूप पार्वती द्वारा अपने पिता के ही यज्ञं कुण्ड में कूदकर जान देने की घटना हुई थी. (वहाँ भी देवी पार्वती को, अपने पति को अपने ही पिता द्वारा यथोचित सम्मान देने का धर्म न निभाने के लिए कुर्बानी, पत्नी यानी पार्वती जी को ही देनी पड़ी थी.)
खैर, यह सब ऊंचे ज्ञान की बातें हैं, जो हम जैसे अल्पज्ञानी(मूरख जन) को समझ में नहीं आता है.
**************
हमारे शिक्षक बतलाते थे, जैसे हमारे यहाँ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका है. उसी प्रकार हमारे शास्त्रों-पुराणों में वर्णित ब्रह्मा जी विधायिका का काम करते हैं, बिष्णु भगवान् कार्यपालिका और शंकर भगवान न्यायपालिका का कार्यभार सम्हालते हैं.
रामचरितमानस में भी यह बतलाया गया है …साथ ही ऊपर की पंक्तियों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका में अन्योन्याश्रय का सम्बन्ध है. अगर आप कार्यपालिका का अनादर करते हैं, तो न्यायपालिका दंड देगी. जैसे ममता दीदी टाटा के साथ के मुक़दमे को हार गयीं और मायावती आय से अधिक संपत्ति का मुक़दमा जीत गयीं ! …उनके पास कहाँ से अकूत सम्पदा(पचास गुना ज्यादा) आयी, न्यायपालिका को नहीं पता … प्रभु मेरे, अवगुण चित न धरो!…. सूरदास भी तो यही प्रार्थना करते हैं (यहाँ मैं स्पष्ट करना चाहूँगा कि मैं सर्वोच्च न्यायालय का दिल से सम्मान करता हूँ और भगवन आशुतोष शंकर भगवान् का भी प्रिय भक्त हूँ – वह भी सावन के महीने में!)
इधर ममता जी को कानून की सही जानकारी नहीं थी, तभी तो टाटा से और सोनिया जी से एक साथ पंगा ले बैठीं….
मुलायम भाई तो मुलायम हैं ही. समय समय पर किश्तों में लाभ उठाते रहते हैं … पहले बहू को निर्विरोध सांसद बनाकर! … अब यु. पी. के लिए विशेष पैकेज भी तो लेना है…. तो सोनिया जी की कुछ बातें तो माननी पड़ेगी न! प्रणव दा पहले राष्ट्रपति बन जाएँ, फिर किसकी मजाल, जो उन्हें ‘सी बी आइ’ की आँखों का भी सामना करना पड़े!

अब थोड़ा प्रमुख समाचारों पर नजरें डालें— सुप्रीम कोर्ट ने बीएसपी प्रमुख मायावती के ख़िलाफ़ आय से अधिक संपत्ति के मामले की सीबीआई जाँच को ख़ारिज कर दिया है.

इससे जुड़ी ख़बरें- मायावती: सपा राज में दलितों पर निशाना! मायावती के शीर्ष अधिकारी के खिलाफ…मायावती ने स्मारकों पर खर्च किए – 6000 करोड़!
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चूंकि अदालत ने सीबीआई को आय से अधिक संपत्ति की जाँच करने के आदेश नहीं दिए थे, इसलिए उसे ये मामला दर्ज ही नहीं करना था.

अदालत ने कहा, “इस इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वर्ष 1995 से 2003 के बीच हमने मायावती की कथित असंगत संपत्ति की जाँच के कोई निर्देश नहीं दिए थे.”

सीबीआई दावा करती रही है कि उसके पास मायावती की आय से अधिक संपत्ति के सबूत मौजूद हैं.

मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई की जाँच को चुनौती दी थी और कहा था कि सीबीआई ‘राजनीतिक साज़िश’ के तहत काम कर रही है.

जाँच खारिज! सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसके आदेश को ठीक तरह से समझे बिना ही सीबीआई ने जाँच शुरु कर दी. सी बी आई भी तिल का तार करती है!

जस्टिस पी. सदाशिवम की अध्यक्षता वाले पीठ ने कहा है, “ताज कॉरिडोर घोटाले के अलावा कोई और मामला अदालत के सामने था ही नहीं. मायावती की आय से अधिक संपत्ति के मामले में न कोई सूचना है और न कोई रिपोर्ट पेश की गई है.”

मायावती को मिलने वाले कथित उपहार ख़बरों में भी रहे हैं
मायावती ने मई, 2008 में एजेंसी की ओर से दर्ज किए गए आय से अधिक संपत्ति मामले में आपराधिक प्रक्रिया के ख़िलाफ़ याचिका दायर की थी.

अपनी याचिका में मायावती ने यह गुजारिश भी की थी कि सुप्रीम कोर्ट सीबीआई को निर्देश दे कि वह आयकर ट्राइब्यूनल की ओर से संपत्ति को जायज ठहराने संबंधी आदेश पर गौर करे.

इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा है.

सीबीआई का कहना है कि उसके पास मायावती के ख़िलाफ़ पर्याप्त सुबूत हैं जिससे यह साबित होता है कि उन्होंने अपने आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की है.

मायावती का दावा करती रही हैं कि उन्हें यह रकम पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से दान के रूप में मिली है. और दान की तो कोई सीमा नहीं होती – हमारे धर्म शास्त्र में अनेकों उदाहरण मौजूद हैं. राजा बलि से लेकर दधिची तक! दानवीर कर्ण से लेकर सत्य हरिश्चंद्र तक.

मगर एजेंसी का कहना है कि मायावती के पास 2003 में घोषित संपत्ति एक करोड़ रुपये की थी जो 2007 में 50 करोड़ तक पहुंच गई.
चार साल में मात्र पचास गुना!
सीबीआई का कहना है कि उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री की नगद राशि, चल व अचल संपत्तियों और उपहारों के बारे में एजेंसी ने पुख्ता सबूत जुटाए हैं.

बहुजन समाज पार्टी के नेता एस सी मिश्रा ने इस फ़ैसले पर ख़ुशी ज़ाहिर की है! लेकिन कहा है कि इसे राष्ट्रपति चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के समर्थन से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए.( हम यह कभी नहीं कहेंगे – चोर की दाढ़ी में…… महा प्रभु माफ़ करना … गलती हो गई!)

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी को कोलकाता कोर्ट से एक बड़ा झटका लगा है। कोर्ट नें सिंगूर एक्‍ट 2011 को निरस्‍त कर दिया है। टाटा मोटर्स के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट मे अपील करने के लिए ममता सरकार को दो माह का समय दिया है। कोर्ट ने सिंगूर भूमि पुनर्वास विधेयक को असंवैधानिक करार दिया है।

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री का पद संभालते ही यह विधेयक पारित किया था। आपको बता दे कि टाटा मोटर्स को पूर्ववर्ती लेफ्ट सरकार द्वारा हुगली जिले के सिंगूर में 997 एकड़ भूमि आवंटित की गयी थी। टाटा को यह जमीन नैनो कार प्‍लांट के प्रोजेक्‍ट के लिए आवंटित की गयी थी। ममता द्वारा पारित किये गये विधेयक के अनुसार टाटा के समझौते को रद्द करते हुए किसानों की जमीन वापस दी जानी थी।

इसके विरोध में टाटा ने कोलकाता हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसने पिछले साल इस विधेयक को सही ठहराया था, लेकिन आज हाईकोर्ट के फैसले ने ममता सरकार को तगड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के विरोध में ममता बनर्जी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है( अगर उन्हें कुछ गलत लगता है तो!)। पश्चिम बंगाल में होते इस विरोध को देखते हुए टाटा अपना प्रोजेक्‍ट लेकर गुजरात चली गयी थी और मोदी को दिल्ली तक पहुँचाने के लिए सस्ती कार दे ही रही है!

जिस समय टाटा मोटर्स के प्रोजेक्‍ट के लिए जमीन का आंवटन किया गया था उस समय तृणमूल कांग्रेस विपक्ष में बैठी हुई थी। तृणमूल कांग्रेस ने तत्‍कालीन सरकार से 400 एकड़ जमीन किसानों की वापस देने की मांग की थी। उसके बाद बढ़ते विवाद को देखते हुए टाटा मोटर्स अपना प्रोजेक्‍ट गुजरात लेकर चली गयी थी। जिस समय भूमि आवंटित की गयी थी उस समय टाटा को, लोगों को भारी विरोध भी झेलना पडा था।

17 जून 2012 – मुलायम सिंह भले ही कोई गुपचुप डील से इंकार कर रहे हो। मगर कांग्रेस के सियासी गलियारों में यह बातें तैर रही हैं कि हाईकमान की ओर से मुलायम सिंह से कई वादे किए गए हैं। उत्तर प्रदेश की कई विकास योजनाओं में पैसे देने की प्रक्रिया,…आदि आदि…
यह सब राजनीतिक विरोधियों की साजिश लगती है! ….
वतन का क्या होगा अंजाम, बचा ले ऐ मौला ऐ राम…!
श्री रामचरित मानस को आधार बनाकर कलुषित भाव मन में लाना!…. यह सब दूषित खाना और प्रदूषित पर्यावरण का ही प्रभाव है!

मो सम कौन कुटिल खल कामी।
जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ ऐसौ नमकहरामी॥
भरि भरि उदर विषय कों धावौं जैसे सूकर ग्रामी।
हरिजन छांड़ि हरी-विमुखन की निसदिन करत गुलामी॥
पापी कौन बड़ो है मोतें सब पतितन में नामी।
सूर पतित कों ठौर कहां है सुनिए श्रीपति स्वामी॥

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