Menu
blogid : 3428 postid : 439

भोले बाबा दयालु हैं पर न्यायप्रिय!

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

shiv tandaw

भगवान शंकर, यानी शिव कल्याणकारी हैं. वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं इसलिए उन्हें ‘आशुतोष’ भी कहा जाता है!
दुनिया भर में अगर देखा जाय तो सबसे ज्यादा मंदिर हनुमान जी के होंगे और उसके बाद शंकर भगवान के. हनुमान जी को शिव का अंशावतार माना जाता है. इसीलिये उन्हें ‘शंकर सुवन’ भी कहा जाता है.
शंकर भगवान हिमालय के उच्च शिखर अमरनाथ गुफा में स्थाई रूप से निवास करते हैं. ऐसा माना जाता है. सागर मंथन के पश्चात विषपान करने से उनका शरीर काफी तप्त हो गया था. उनका कंठ आज भी नीला है, उसी विष के प्रभाव से. वैसे तो वे हमेशा कैलाश पर्वत पर विराजमान रहते हैं, जहाँ ठंढ ही ठंढ है. श्रावन के महीने में कहते हैं वे एक महीने के लिए पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों का दुःख दूर करते हैं. सभी भक्तजन बाबा के स्मृति चिह्न शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं. हमारे भोले बाबा इसी से खुश हो जाते हैं. उन्हें और कुछ नहीं चाहिए. कोई प्रसाद, कोई भोग, कोई रत्न आदि की आवश्यकता नहीं. सिर्फ सच्छे मन से जलार्पण कर दो, सारी मनोकामनाएं पूरी!
भगवान् राम भी शिव जी के अनन्य भक्त थे. सभी देवों में वे श्रेष्ठ हैं, इसलिए उन्हें देवाधिदेव कहा जाता है.
अपनी भार्या देवी पार्वती (पूर्व नाम सती) को भी वे बहुत मानते थे, पर उन्हें झूठ पसंद नहीं है. एक बार पार्वती जी ने राम की परीक्षा लेने के लिए सीता का रूप धारण कर लिया. पर भगवान् राम तो उन्हें पहचान गए … देवी पार्वती इस सच को झुठला गयी पर देवाधिदेव तो अन्तर्यामी ठहरे. उन्हें सब कुछ ज्ञात हो गया और उन्होंने मन ही मन पार्वती जी (सती जी) को त्याग कर दिया और खुद ‘ध्यान’ में ‘लीन’ हो गए. सती उदास रहने लगी और एक दिन अपने पिता दक्ष के घर यज्ञं में भाग लेने के लिए आज्ञा लेकर, अपने पिता के घर चली गयी. वहां देवी सती को जो कुछ दिखा उससे वे विफर पडी और अपने पति का अपमान होता देख यज्ञं कुंड में कूदकर अपनी जान दे दी. भगवान् शंकर के गण जो पार्वती के साथ गए थे सम्पूर्ण यज्ञं को विध्वंश कर डाला! भृगु ऋषि यज्ञं करते रहे. तब भगवन शंकर ने ‘वीरभद्र’ को उत्पन्न किया, जिसने भृगु ऋषि की आँख निकाल ली और दक्ष प्रजापति का सर काट कर हवन कुंड में ही डाल दिया.
अब ब्रह्मा जी आदि अन्य देवतागन कैलाश पर्वत पर गए और शिवजी से प्रार्थना कर उसे मना लिए. फलस्वरूप भृगु ऋषि की आंख भी वापस मिल गयी और दक्ष का सर चूंकि जल चूका था इसलिये उसके सर में बकरे का सर जोड़ दिया गया. यह उस समय के शल्य-क्रिया द्वारा संभव हो सका!
कहते हैं – सती के अधजले शरीर को लेकर शंकर भगवान ने तांडव नृत्य किया जिससे संसार का तो नाश हुआ ही सती के शरीर के ५२ टुकड़े, इसी पृथ्वी पर गिरे .. जहाँ जहाँ सती के शरीर के अंश गिरे वह जगह ‘शक्तिपीठ’ के नाम से जाना गया और आज भी वहां श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना होती है!
मैंने जो सक्षेप में कथा बयां की है, उसे आप सभी जानते हैं, मैंने एक दृष्टान्त के रूप में यहाँ देना चाहा है. जैसा कि आप सभी को मालूम है – भगवान शिव न्यायपालिका के प्रधान न्यायाधीश हैं. वे सिर्फ आदेश नहीं सुनाते वरण अपराधी को स्वयम दंड भी देते हैं. अपने त्रिशूल के साथ डमरू बांधकर रखते हैं. सामान्य परिस्थितियों में वे डमरू बजाकर जनता को जगाते रहते हैं पर जब अन्याय बरदाश्त से बाहर हो जाता है, तो वही त्रिशूल ‘दंडक’ बन जाता है और डमरू जोश जगाता है! नाग एवं अन्य गण उनके आज्ञापालन मनोयोग से करते हैं. बोलिए शंकर भगवान की जय!
बोल बम! बोल बम! मोर भंगिया को मनाई ले, हे भैरोनाथ! मोर भंगिया को मनाई ले! बात मेरी बिगरी बनाईले हे भैरोनाथ! मोर भंगिया को मनाई ले !

***********
आज के युग में हमारे न्यायाधीश सिर्फ आदेश देते हैं जिन्हें पालन करना या न करना सरकार का काम है और सरकार को निकम्मी कहें तो बहुत लोग नाराज हो जायेंगे. इसलिए इतना ही कहना चाहता हूँ कि आज हमारे न्यायाधीश अपने न्यायपूर्ण आदेश सुना भी दिए तो क्या ? उस आदेश का पालन करना या न करना सरकार के हाथ में है और सरकार का हाथ जनता के साथ है और जनता के हाथ में कहें तो कुछ भी नहीं है .. आप कहेंगे वोट देने का अधिकार है … पर वोट देने से सरकारें बनती हैं … सरकारें कैसे बनती और चलती है, यह क्या अब भी छिपा हुआ है !
हे बुद्धिजीवियों, केवल सरकार को दोष न दें. बल्कि खुद सरकार में शामिल हों. वो चाहे बाबा रामदेव हों या टीम अन्ना केवल भला बुरा कहने मात्र से क्या होता है. विकल्प जबतक सामने नहीं है जनता क्या करे! हे संतोष महाराज, मनीष बाबु, निशा महोदया या गुरुदेव के अन्य शिष्य … अरविन्द केजरीवाल जी, किरण बेदी जी और अन्य सभी, ताकत अपने हाथ में लीजिये शंकर भगवान् की तरह हनुमान जी को पैदा करिए! और तब राम राज्य के कल्पना कीजिये! जय बाबा भोले नाथ!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh