Menu
blogid : 3428 postid : 506

नारी शक्ति, जाग जाओ!

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

एक आह्वान! बहनों और बेटियों के नाम!
घोर चिंता का विषय, दुष्कर्म बनता जा रहा!
बात गैरों की नहीं, अपनों का डर सता रहा!
भारत-इण्डिया, लक्ष्मण-रेखा, नारियों के ही लिए !
समाधान, इन्साफ हो, चिंता भी इसकी कीजिये!

अमन व कानून के, रक्षक ही अब भक्षक बने!
ट्रेन से फेंका युवती को, आप यूं चलते बने!
इस धरा की नारियां, अब शस्त्र लेकर हाथ में,
जुल्म की वे दें सजा, ‘रूपम’ बने खुद आप में!

मोमबत्ती, भीड़ से अब हो नहीं सकता भला.
काट दो उस हाथ को, नारी नहीं है अबला!

“छीनता हो स्वत्व कोई, और तू त्याग तप से काम ले यह पाप है
पुण्य है विछिन्न कर देना उसे बढ़ रहा तेरी तरफ जो हाथ है”

दिनकर की ऐसी पक्तियां आज भी उपयुक्त है
शक्ति की देवी है तू, दे दंड गर तू भुक्त है
घर से बाहर तू निकल, शालीनता को साथ ले.
अनाचारी गर मिले, तो झट उसी का माथ ले.
काली, दुर्गा, लक्ष्मी बाई, सब तेरे ही रूप हैं
घर से बाहर आ निकल, ये जग नहीं कोई कूप है
लोक लज्जा क्या भला बस बेटियां सहती रहे.
और अपराधी दुराचारी सुवन घर में रहे!

हो नहीं सकता भला इस दानवी संसार में,
छोड़ ये मोमबत्तियां कटार लो अब हाथ में!
अम्ल की लो बोतलें, डालो रिपु के अंग पर!
पावडर मिर्ची की झोंको, नयन में उसे अंध कर!

आत्म रक्षा आप कर लो, रोकता अब कौन है?
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, क़ानून खुद मौन है!
कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, क़ानून खुद मौन है!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh