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आखिर मान गए आडवाणी जी!

jls
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राजनीति का बहुत ज्यादा अनुभव नहीं रखता हूँ, पर पिछले दिनों जो घटना क्रम चला, वह बहुत अच्छा तो नहीं ही कहा जायेगा ! उसी क्रम में अपना विचार नीचे व्यक्त कर रहा हूँ.

खैर, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ जी के अनुसार – “आडवाणी जी मान गए हैं और उन्होंने अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया है”! पहले उन्होंने कहा था – उनका इस्तीफ़ा स्वीकार करने का सवाल ही नहीं है!
इस बार भी उन्होंने कहा – मैंने ही उन्हें मना किया कि वे मंच पर न आयें! उनके ही घर में उन्हें मंच पर आने से मना किया गया और वे मान भी गए(?) सभी शीर्षस्थ नेता मुस्कुराने का अभिनय करते दिखे!
गोवा में भी राजनाथ जी ने कहा था – “मैंने ही उन्हें मना किया कि वे यहाँ न आयें, अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें” ( क्योंकि हो सकता है, यहाँ के सम्मलेन में जो कुछ होनेवाला है, उन्हें न पचे और बदहजमी और ज्यादा बढ़ जाय!)

गोवा का अधिवेशन ख़तम होने के बाद ‘वे'(आडवाणी जी) टी वी पर दिखे भी, तो बेहद अस्वस्थ और कमजोर लग रहे थे. ‘लूज मोसन’ के बाद की हरारत साफ़ नजर आ रही थी. अब बात यह है कि ‘लूज मोसन’ की स्थिति में ‘खास आदमी’ क्या करे. सिर्फ दवाइयां से तो सब कुछ ठीक नहीं होता न! कुछ ब्लॉग लिखने पड़ते हैं. महाभारत की कथा और हिटलर मुसोलनी की भी याद डराने लग जाती है …अपने कर्मों का फल भी नजर आने लगता है!
बड़ा डरावना सपना था – भीष्म पितामह की तरह शर शय्या पर लेटे रहने के बुरे ख्यालात नजर आने लगते हैं. अपने पोते पांडव (अर्जुन) के तीर की पीड़ा असहनीय लगने लगती है तो अर्जुन से गंगाजल की मांग भी करने की नौबत तक आन पड़ती है!
भीष्म ‘लाल’ अब रो पड़े, सेज बना है तीर!
गंगाजल दे पिला मुझे, मेरे ‘मोदी’ वीर!
जैसे आडवाणी के मान जाने की खबर राजनाथ जी के ‘मीडिया मीट’ के माध्यम से सामने आई. मोदी जी ने तुरंत ट्वीट किया – “मैंने कल ही कहा था आडवाणी जी लाखों कार्यकर्ताओं को निराश नहीं करेंगे. मैं आज आडवाणी जी के निर्णय का ह्रदय से स्वागत करता हूँ”. – नरेन्द्र मोदी

ठीक उसी प्रकार सुषमा जी ने भी मोदी के नाम की घोषणा के थोड़ी देर बाद ट्वीट किया था – “वह इस कार्य में यशस्वी हों, इस के लिए मेरी हार्दिक शुभ कामनायें”. जब कि घोषणा के तुरंत बाद ही वह दिल्ली की तरफ भागी थी.

तकनीक बहुत आगे बढ़ रहा है! आजकल रूठने और मानने की क्रिया भी जल्द करनी पड़ती है, क्या पता – फिर रूठने का मौका न मिले या फिर लोग मनाना ही छोड़ दे!
कांग्रेस तो अपनी खुशी पचा नहीं पा रही है – कभी बी जे पी का अंदरुनी मामला कह चुटकी लेना और फिर आडवाणी जी के साथ सहानुभूति का नाटक! शरद यादव और नितीश भी कहाँ चूकने वाले थे. कर दिया घोषणा आडवाणी नहीं तो हम नहीं. शिव सेना ने भी सुर में सुर मिला दिया. मोहन भागवत बेचारे क्या करते उन्हें भी जल्दबाजी करनी पड़ी और ‘ब्रह्मास्त्र’ का इस्तेमाल करना पड़ा! और ब्रह्मास्त्र का आदर तो हनुमान जी भी करते थे फिर आडवाणी जी ‘किस खेत की मूली’ – ऐसा हम कहना नहीं चाहते!
उधर ममता, नवीन पटनायक और नितीश जी तीसरा मोर्चा की बात करने लग गए हैं! ….मुझे बड़ा गुड गोबर लग रहा है! ये सब आखिर क्या कर रहे हैं. जहाँ बी जे पी ‘पार्टी विथ ए डिफ़रेंस’ कहलाने वाली में पी.एम. पद के लिए इतनी मारा-मारी चल रही हो, वहां तीसरा मोर्चा का हाल तो हम देख ही चुके हैं.

अन्तत: मेरा सारांश यही है कि ये सब क्या हो रहा है? क्या आप सब फिर से कांग्रेस को ही सत्ता में देखना चाहते हो? जनता आश भरी नजरों से बी जे पी और मोदी की तरफ देख रही है तो एक मौका दो न भाई! अगर नहीं सम्हलेगा तो फिर तो कांग्रेस है ही! साथ ही मोदी ब्रिगेड या मोदी सेना से मेरा आग्रह होगा कि वे अति उत्साह में न आयें और अपने दल के किसी बुजुर्ग का अपमान न करे. वैसे भी शिव सेना, राम सेना, वानर सेना, और राज सेना (मनसे) क्या कम है कि एक और मोदी सेना बनाने की जरूरत आन पड़ गयी!
मोदी नेता देश का, मिली चुनाव कमान!
कांग्रेस जिनका लक्ष्य है, धारे तीर संधान!

एक बात और आज मोदी जी ने किसानो से उनके औजार माँगा है – लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची लोहे की प्रतिमा बनाने के लिए. अब भला किसान अपना औजार यानी खुरपी हंसिया हल और कुदाल दे दे तो खेती कैसे करे! सबके पास आधुनिक वैज्ञानिक यंत्र देने की योजना तो नहीं मोदी साहब की! हो सकता है यह नया नारा हो मोदी जी का क्योंकि वे बड़े दूरदर्शी हैं. कब कहाँ क्या बोलना है वे अच्छी तरह जानते हैं!
जय भारत! जय हिन्द!

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