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सास, बहू और दामाद!

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सास, बहू और दामाद!
१५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाना कोई नयी बात नही है. इस बार हमने ६७ वां स्वतंत्रता दिवस मनाया है. यह तो एक चली आ रही परम्परा है जिसका हम सभी निर्वाह करते हैं. सभी सार्वजनिक या व्यक्तिगत जगहों पर झंडा फहराना और आजादी के लिए लड़नेवाले वीर जवानों और स्वतंत्रता सेनानियों का गुणगान करते हैं. सभी मीडिया कर्मी ध्वजारोहण के दृश्यों को कैमरे में कैद कर हमें घर बैठे पूरे देश में मनाये जा रहे समारोहों की झलक दिखा जाते हैं.
यह परम्परा ही है, सबसे पहले दिल्ली के लाल किले पर देश के प्रधान मंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है. उसके बाद देश के विभिन्न भागों में भी झंडोतोलन किया जाता है! उम्मीद की जाती है कि देश के प्रधान मंत्री जनता के नाम दिए गए सन्देश में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाएंगे और कुछ नई घोषणाएं करेंगे. संयोग से इस बार के प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जो लगातार दसवीं बार झंडा फहरा चुके है और इन्होने अपने आपको पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी, की श्रेणी में ला खड़ा किया (जिन्होंने दस साल या उससे ज्यादा बार लाल किले से झंडा फहराया). पर दुर्भाग्य कहा जाय या इनकी राजनीतिक पैंतरेबाजी की कमी, जिनके पास इधर हाल के वर्षों में न तो कुछ खास उपलब्धियां रही, न ही कुछ घोषणाएँ. सिवाय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के जिसे अभी संसद से पास होना है.
ये सभी जानते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह श्रीमती सोनिया गाँधी द्वारा बनाये गए प्रधान मंत्री हैं, जिनकी एक ईमानदार छवि है और इन्हें राजनीति से ज्यादा अर्थशास्त्र का ज्ञान है …. फिर भी के हाल के दो वर्षों में इन्हें हर मोर्चे पर असफलता ही हाथ लगी है. जिसकी जिम्मेदारी से ये भाग नही सकते. इसीलिये इन्होने कहा कि अभी बहुत कुछ करना बाकी है. इसका मतलब यह कदापि नही होता कि अगला कदम वे ही उठाएंगे, बल्कि जो सत्तासीन होगा उसीकी जिम्मेदारी होगी.
अब परंपरा टूटने की बारी पर आते हैं. मुझे याद नही आता या शायद यह इतिहास में भी न हो कि किसी भी प्रधान मंत्री के भाषण को ठीक एक घंटे बाद किसी राज्य का मुख्यमंत्री चुनौती दे, ललकारे या उपहास करे. इधर मीडिया में छाये लोकप्रिय नेता मोदी जी की बात करते हैं, जो भावी प्रधान मंत्री बनने का सपना संजोये हैं. कुछ ही महीने बाकी हैं, पता चल जायेगा कि अगला प्रधान मंत्री कौन होगा. अभी उन्हें भाजपा का चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, प्रधान मंत्री तो तब बनेंगे जब उन्हें पूर्ण बहुमत मिलेगा और पार्टी चाहेगी! पर वे बहुत जल्दबाजी में हैं. प्रधान मंत्री के एक-एक वाक्य की जिस तरह उन्होंने धज्जियाँ उडाई है .. यह उनकी अपनी शैली है. उनकी इस शैली के फैन अधिकांश युवक और सोसल साइटस पर खेलने वाले लोग हैं. मीडिया भी आजकल उनके हर भाषण का लाइव टेलीकास्ट कर रहा है!
हरेक चैनल वाले कह रहे हैं – प्रधान मंत्री के रूप में डॉ. मनमोहन सिंह का लाल किला से आखिरी भाषण है… और चैनल वाले यह भी कह रहे हैं – कुर्सी खाली करो, अब मोदी आते हैं.
भाई-भतीजा, मामा-भांजा से, सास- बहू और दामाद पर आ गए. हालाँकि अभी बहू नही आई है…. लोग चाहे जितनी तालियाँ पीटे, पर मैं १५ अगस्त के दिन इस तरह के उपहास को समर्थन नही कर सकता. भले मानुष! एक दिन तो रुक जाते. आपके ही लोग आडवाणी और शिवसेना ने इसे उचित नही ठहराया. दूसरे दिन भी लोग सुनते और मजा लेते, पर आपको धैर्य नही है … ऐसा लगता है कि जिस दिन परिणाम आपके पक्ष में आ जायेंगे, आप शपथ ग्रहण की औपचारिकता पूरी करने से पहले ही कुर्सी सम्हाल लेंगे और चमत्कार तो कर ही डालेंगे! मौका मिलेगा, आपको भी … समय परिवर्तनशील है और यहाँ की जनता भी जागरूक है!
दूसरी बात मोदी जी ने कहा – उनकी आवाज पाकिस्तान में पहले पहुँचती है, दिल्ली बाद में पहुँचती है . तो क्या इसका अर्थ यह लगाया जाय कि आप पाकिस्तान को यह बतलाना चाहते हैं कि भारत के प्रधान मंत्री का विरोध उनके देश का ही एक मुख्य मंत्री कर रहा है, वह भी स्वतंत्रता समारोह के दिन! दूसरे देशों में इसका क्या संदेशा जायेगा?
जनता के पास विकल्प की ही कमी है, क्योंकि हमाम में सभी नंगे हैं! अब जो खबर आई है कि लालू यादव के साले साधू यादव मोदी जी से जाकर मिले हैं और वे मोदी का गुणगान भी कर रहे हैं, और सम्भव है वे भाजपा से अपना टिकट पक्का कर लें. ज्ञातव्य है कि यही साधू यादव का जोर लालू सरकार में चलती थी, जिसके चलते लालू कम बदनाम नहीं हुए थे. पिछले चुनाव के वक्त कांग्रेस से जा मिले और चुनाव हार गए. अब भाजपा में मिलने की तैयारी है, अगर ऐसे लोगों को ही भाजपा में लाना है, तब तो हो चूका, भाजपा और देश का भी कल्याण!
जो ईमानदार, पढ़े लिखे लोग हैं न जाने क्यों राजनीति में जाने से घबराते हैं. जिस दिन ईमानदार लोगों की फ़ौज आयेगी, सभी भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का सफाया हो जायेगा .. उस दिन का इंतज़ार सभी को है! राजनीती से प्रताड़ित ईमानदार आइ ए एस और आइ पी एस अधिकारियों को राजनीति में आना चाहिए ताकि देश का कुछ तो कल्याण हो!
-जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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