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कृष्णावतार से पहले …

jls
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जन्माष्टमी में अभी कुछ दिन शेष हैं .. भगवान श्रीकृष्ण अभी अपने परमधाम में ही हैं .. वो तो ठीक जन्माष्टमी को रात बारह बजे कंस के जेल में अवतार लेंगे .. देवकी और वसुदेव को बंधन मुक्त करेंगे. उसके बाद गोकुल में कुछ लीलाएं, गोपियन के संग रास … यह सब तो उनके कार्यक्षेत्र में आता है …पर आजकल अति क्रमण का जमाना है ..देवता लोग ऋषि मुनि भी अतिक्रमण करने लगे हैं … राम की आशा में लोग आज संत के आश्रम में जाते हैं और वहां उन्हें कृष्ण के दर्शन हो जाते हैं ..आधुनिक कृष्ण और आधुनिक गोपियाँ… ये कृष्ण ७२ साल की उम्र में भी नौजवान बन जाते हैं, विदेशी गोपियाँ भी इन्हें ‘आइ लव यु’ कहती हैं.
रामावतार का समय चैत्र मास है.. ‘नौमी तिथि मधुमास पुनीता’ … फिर अचानक से श्री कृष्ण जन्म के समय श्री राम (रामलला) का अतिक्रमण भी तो उचित नहीं कहा जायेगा. पर श्री रामविलास वेदांती महाराज को कौन समझाए … यमुना के बजाय चले गए सरयुतीर पर स्नान ध्यान करने,.. कुछ गोपियों के संग …वैसे कंस के दूत वहां उनके पीछे लगे हुए थे…. पर वेदांती महाराज ने अपने आप को गोपियों के बीच छुपाकर रखा था. … सफ़ेद वस्त्रों में, ताकि सफ़ेद दाढ़ी भी छुपी रहे. तभी शायद श्रीकृष्ण के आदेश से कालिया नाग वहां आया और वेदांती की तरफ फुफकारा… बेचारे अपना चादर छोड़कर भागे और कंस के सिपाहियों द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए! …और सभी रामभक्तों का लगभग वही हाल हुआ…. सभी या तो मथुरा के जेल में, या गोकुल में ही नजरबन्द कर दिए गए ..अब जबतक कंस का फिर से उन्हें छोड़ने का आदेश न हो बेचारे वही रामभजन करने को मजबूर होंगे.
इनसबके बीच द्वारकाधीश अंतर्ध्यान ही रहे… उनका प्रवचन कही और चल रहा होगा! या ध्यानमग्न होंगे … कुछ नया चमत्कार करने के लिए …
विदुर के वंसज (आधुनिक मीडिया) लेकिन हर जगह मौजूद रहते हैं और सबसे पहले आँखों देखा हाल दिखलाते सुनाते रहते हैं. हम सभी, धृतराष्ट्र की भांति चुपचाप तमाशा देखने को मजबूर रहते हैं … अब न तो प्याज महंगा दीख रहा, नहीं द्रौपदी का चीर हरण! …हम तो वही देखेंगे, जो विदुर दिखलायेंगे !
मैं भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण दोनों के आगे हाथ जोड़कर प्रार्थना करता हूँ … प्रभो अवतार का समय हो गया है … धर्म की बहुत हानि हो चुकी… शंकर भगवान भी इस साल नाराज चल रहे हैं… उनका रूद्र रूप ही हर जगह दिखलाई पर रहा है …
हे कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा!
हम सब तेरे मूरख पुजारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा !
हरे कृष्ण हरे कृष्ण राम राम हरे हरे, हे नाथ नारायण वासुदेवा!
एक द्रौपदी को तुमने बचाए, जल्दी आकर चीर बढ़ाये
कितनी द्रौपदी तुम्हे पुकारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा!
कितनी गैया तुम्हे निहारे, मुरली की धुन अब तो सुना रे
ग्वालबाल भी तुम्हे पुकारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा!
राधा की तुम विनती सुन लो, चाहो तो गोपियन को चुन लो,
नन्द बाबा और यशुदा पुकारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा!
हे नाथ नारायण वासुदेवा! हे नाथ नारायण वासुदेवा!

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