Menu
blogid : 3428 postid : 603102

विश्वकर्मा की नगरी टाटानगर ! (१७ सितम्बर विश्वकर्मा पूजा के उपलक्ष्य में)

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

vishwkarma jiJ N tata

tata steel

देव शिल्पी श्री विश्वकर्मा जी को कलियुग में भी कुछ करने की इच्छा हुई. उन्होंने जमशेदजी नुशेरवानजी टाटा को स्वप्न में दर्शन दिया. जमशेदजी चौंक कर उठ बैठे.
विश्वकर्मा जी बोले – मुझे तुमसे बहुत उम्मीद है, वत्स!
टाटा – आज्ञा देवशिल्पी.!
विश्वकर्मा – पूर्व दिशा में कालीमाटी (वर्तमान जमशेदपुर) नामक एक जगह है, जहाँ अभी भूमि पर तो वनसंपदा है, पर वहीं पर आस पास में काफी मात्रा में खनिज सम्पदा भी है. वस्तुत: यह धरती रत्नगर्भा है. उन रत्नों को पहचान कर उसे परिष्कृत कर उसका वास्तविक रूप देना है. यह काफी मजबूत रत्न है, जिसका इस्तेमाल हर जगह प्रचुरता से किया जाना है. तुम जाओ और विशेषज्ञों की मदद लेकर उस क्षेत्र में लौह संयंत्र की स्थापना करो. मिहनत तुम्हे और तुम्हारे साथियों/सहयोगियों को करनी होगी, सुफल जरूर मिलेगा. हम तुम्हारे साथ हैं.
टाटा ने देवशिल्पी से प्रेरणा पाकर कालीमाटी जगह की खोज की और उसे विकसित कर १९०७ में ‘टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी’ की स्थापना की, जो आज टाटा स्टील के नाम से विख्यात है. टाटा स्टील के बाद टाटा मोटर्स एवं अन्य कम्पनियां अपना विस्तार करने लगी और आज यहाँ लगभग १२०० छोटे बड़े उद्योग धंधे स्थापित हैं. इस शहर की आबादी अब १३ लाख से ऊपर है. १७ सितम्बर को यहाँ विश्वकर्मा पूजा बड़े धूमधाम से मनायी जाती है. उस दिन यह वास्तव में विश्वकर्मा नगरी लगती है. टाटा नगर तो है ही.
जैसे अयोध्या के राजा राम थे. वैसे ही टाटानगर के नागरिकों के ह्रदय के राजा टाटा साहब हैं. विश्वकर्मा पूजा के दिन हम सभी जमशेदपुर वासी विश्वकर्मा भगवान के साथ टाटा साहब को भी नमन करते हैं!
जय विश्वकर्मा! जय टाटा साहब!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh