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माननीय की बेटी की शादी.

jls
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रांची झारखण्ड की राजधानी है और जमशेदपुर झारखण्ड की आर्थिक राजधानी. जैसे दिल्ली और मुंबई. जमशेदपुर का एक बड़ा हिस्सा टाटा कंपनी को ‘लीज’ पर दिया हुआ है. इस इलाके में बिजली, पानी, सड़क, की ब्यवस्था टाटा की ही एक इकाई जुस्को के जिम्मे है. जुस्को टाटा के अधिकार क्षेत्र की जिम्मेवारी बखूबी निभाता है. इन्ही इलाके में सर्किट हाउस भी है, उपायुक्त का कार्यालय एवं निवास है, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ कुछ माननीय जन प्रतिनिधियों को भी यह सुविधा प्राप्त है. इन्ही में से एक माननीय हैं कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य श्री बालमुचु, कभी वे भी टाटा स्टील के कर्मचारी थे. बाद में उनकी राजनीति में दिलचस्पी बढ़ी और विधायक से अब सांसद तक की स्थिति में हैं. बहुत बार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं. मुख्यमंत्री नहीं बन पाए … सोनिया गाँधी के बुलावे पर उन्होंने नया सूट बनवाया था उसे ही पहन कर गए थे सोनिया जी से मुलाकात करने पर सोनिया जी मिलीं नहीं. अगर मिलतीं तो मुख्य मंत्री बन ही जाते. यह सुबोधकांत और राजेन्द्र सिंह ही कुछ कान भर दिए थे. हमेशा अपने लोग ही धोखा देते हैं. जाने दो मुझे नहीं बनने नहीं दिया तो खुद भी कहाँ बन पाय. गुरूजी के बेटे की जीहुजूरी कर रहे हैं. मैं भी तो राज्य सभा सांसद हूँ मेरा रुतवा क्या कम है?… रुतवा कम नहीं है.
इन्ही बालमुचू की बिटिया की शादी है ५ अक्टूबर को … गणमान्य लोग आएंगे, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री भी आएंगे. रांची के सभी गणमान्य जमशेदपुर में होंगे. रांची से जमशेदपुर आने का सुगम मार्ग, सड़क मार्ग ही है समय ढाई से तीन घंटे लगते हैं, अगर सड़क ठीक हो और जाम न हो तो मात्र १३० किलोमीटर की दूरी ही तो है. ज्यादातर लोग सड़क मार्ग से ही आते-जाते है. कोलकता को मुबई से जोड़ने वाली एन एच – ३३, जिसे अब सिक्स लेन बनाने की योजना है, अभी काफी जर्जर अवस्था में चांडिल से लेकर बहरागोरा तक १२० किलो मीटर की दूरी तय करने में बाबा रामदेव के सारे आसन हो जाते हैं. कुछ गाड़ियाँ तो शीर्षासन भी कर लेती हैं, पूरी यात्रियों के साथ. पिछले साल में अबतक कम से कम ३०० लोगों की जान जा चुकी है, इस सड़क पर हुई दुर्घटनाओं में. गाड़ियाँ खराब होती हैं, होने दीजिये, कितने मेकानिक सड़क के किनारे दुकान सजा कर बैठे हैं, आखिर उनकी भी तो रोजी-रोटी चलनी चाहिए. जमशेदपुरवासी आश लगाये बैठे थे कि माननीय लोग भी इस सड़क से आएंगे और सड़क की जर्जर अवस्था से परिचित होंगे, उन्हें जब दर्द होगा तो जनता के दर्द को समझेंगे …
किन्तु यह क्या सभी माननीय उड़नखटोले से ही आए. जमशेदपुर के हवाई अड्डे पर उतरते ही पत्रकारों ने केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री ओस्कर फ़र्नान्डिस से पूछ डाला – “सर एन एच – ३३ काफी जर्जर अवस्था में है, आपको पता है?”
“कैसे पता होगा भाई! आपने कोई लिखित पत्र दिया है? उसकी फोटो मुझे दिखाई है? नहीं न. तो फिर कैसे मालूम होगा? हमें इतना पता है कि अगले महीने हमको झारखण्ड में ही एक सड़क का उद्घाटन करने आना है, सड़क का नाम और नंबर पता नहीं. हम तो राज्य सरकार को धन मुहैया करते हैं, यह काम उसका है कि वह कैसे खर्च करती है. आपलोग मुख्यमंत्री से क्यों नहीं पूछते? अपने इलाके के संसद को क्यों नहीं बताते?”
आनन-फानन में एक पत्र ड्राफ्ट किया गया और जमशेदपुर के ही प्रखर सांसद डॉ. अजय कुमार ने वह चिट्ठी मुख्यमंत्री को सुपुर्द की. मुख्यमंत्री नौजवान हैं. दिशोम गुरु के लाडले हैं. अपने पूज्य पिता के सपनो को साकार करने को आतुर हैं .. लेकिन अभी तो अपने ही सहयोगी दल के सांसद की बिटिया को आशीर्वाद और उपहार देना है. पत्र को अपने सचिव को थमाते हुए कहा – “इस गंभीर मुद्दे पर पूजा बाद बैठक बुलाएँगे. सभी सहयोगे दलों को बुलाएँगे, विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करेंगे .. आखिर इस इलाके की ही सड़क हमेशा ख़राब क्यों हो जाती है? हो सकता है, इस पर जांच आयोग भी बैठानी पड़े. तबतक क्या पता हमारी सरकार रहती है या चली जाती है! यहाँ तो २८ महीने और १४ महीने का कार्यकाल होता है. हमारे पिताजी तो सिर्ग १५ दिन के लिए ही मुख्य मंत्री रहे थे, आपलोग किसी सरकार को स्थिर रहने नहीं देते… जबतक हम समस्या के जड़ में पहुचते हैं, आपलोग सरकार ही गिरा देते हैं. आपलोग जनता में जागरूकता पैदा करिए कि वह केवल हमें ही वोट करे. अबकी बार पूर्ण बहुमत में आएंगे तब पूरा विकास करेंगे अपना भी और जनता का भी. आखिर हमे भी तो अपने पिताजी की लाज रखनी है.”
“सर तब तक तो इस सड़क पर चलने वाली गाड़ियाँ ख़राब होती रहेगी और लोग मरते रहेंगे.”
“आपलोग भी न अर्थनीति कुछ नहीं समझते. आपको तो पता है ऑटो उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है. आपका टाटा मोटर्स भी बार बार ब्लॉक क्लोजर के दौर से गुजर रहा है. अब आप बताइए कबतक लोग पुरानी गाडी को ढोते रहेंगे. पुरानी जर्जर गाड़ी को कबाड़ में डालिए और नयी गाड़ी खरीदिये तभी ऑटो उद्योग अपनी पटरी पर आयेगा, कुछ नए इंजिनीयर, तक्नीसियन की बहाली भी हो जायेगी.”
महामहिम राज्यपाल महोदय भी आकर चले गए. उनके लिए विशेष ब्यवस्था की गयी थी. वैसे अब तो वे ‘पावर’ में भी नहीं हैं. जब यहाँ राष्ट्रपति शासन चल रहा था, तब वे खुद बन रही सड़क का मुआयन करने निकल पड़ते थे. वे तो अपने जूते से खुरच कर सड़क की गुणवत्ता की जांच करते थे.
बहरहाल सांसद महोदय की बेटी का विवाह संत जोर्ज चर्च में सादे समारोह में, धूमधाम से संपन्न हो गया. प्रधान मंत्री और सोनिया गांधी आ जाते तो हम निहाल हो जाते. कम से कम राहुल गाँधी ही आ जाते तो आगे का रास्ता साफ़ हो जाता. कोई बात नहीं विडिओग्राफर को कहेंगे, कही से सोनिया और राहुल गाँधी को भी विडिओ में डाल दे.

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