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मील का पत्थर

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जब तीन अक्टूबर को रांची की सी बी आई कोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री और पूर्व केन्द्रीय रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद यादव के साथ पूर्व मुख्य मंत्री जगन्नाथ मिश्र एवं अन्य ४३ दोषियों को १७ साल पुराने चारा घोटाले मामले में सजा सुनाई तो पूरा देश न्यायपालिका को ‘नमन’ करते हुए एक स्वर में कहा – “न्याय के घर में देर है पर अंधेर नही है.” पिछले दो दशकों से बढ़ते राजनीतिक भ्रष्टाचार और सी बी आई, सरकार और न्यायपालिका के ढुल-मुल रवैये से आम आदमी के मन से सी बी आई, सरकार, राजनीतिक पहुँच वाले रसूखदार लोगों और न्यायपालिका के प्रति एक अविश्वास सा पैदा हो गया था. पर इस फैसले ने एकबारगी सबको चौका कर रख दिया. सभी राजनेता सम्हल कर बयान देने लगे और इसे आम जनभावना और न्याय की जीत बताया. किसी बड़ी राजनीतिक हस्ती को सजा होने से इसे ‘मील का पत्थर’ भी कहा गया. लालू जी को ५ साल का सश्रम कारावास, और २५ लाख जुर्माना भी किया गया है. इसके अलावा अब वे ११ साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे.
हालाँकि इसके पहले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण भी भ्रष्टाचार के आरोप में सजा भोग चुके हैं (फ़िलहाल अभी जमानत पर रिहा हैं) पर न तो उनका अपराध बहुत बड़ा था न ही वे लालू जैसी हैसियत वाले नेता थे. दोषी साबित होने के बाद भाजपा भी उनसे किनारा कर चुकी थी. अभी वे कहीं कहीं मोदी जी के सभाओं में नजर आने लगे हैं. इनके अलावा कांग्रेसी नेता रसीद मसूद को मेडिकल कॉलेज भर्ती घोटाला में भी चार साल की सजा सुनाई गयी है. ओमप्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती घटले में जेल में हैं. गोपाल कांदा एयर होस्टेज गीतिका खुदकुशी मामले में दोषी करार दिये जा चुके हैं.
झारखण्ड के पूर्व मुख्य मंत्री मधुकोड़ा ने लालू जी के लिए पहले से कमरा सुरक्षित कर रक्खा था, जिसमे थोड़ी बेहतर सुविधा है और लालू जी को कैदियों को राजनीति पढ़ाने का काम दिया आया है जिसके एवज में उन्हें ४६ रुपये प्रतिदिन मिलेंगे. अपनी क्रिया कलाप, बातचीत की अनूठी शैली से वे हमेशा सबको प्रभावित करते रहे है, जिससे वे हमेशा सुर्ख़ियों में भी रहे हैं, पर आज इनकी पहचान कैदी न. ३३१२ के रूप में है और पूजा पाठ आदि कर्मकांड आदि का मखौल उड़ाने वाले लालू, आज जेल में ‘गीता पाठ’ और ‘दुर्गा पाठ’ कर रहे हैं. ३० सितम्बर को कोर्ट जाने से पहले उन्होंने माँ काली की पूजा की थी और दानापुर स्थित अपने गौशाला की गायों की भी पूजा की थी. पर कर्म के फल का ज्ञान देने वाली गीता का मूल मन्त्र से कैसे छुटकारा पा जाते. वैसे पश्चाताप और ईश्वर की कृपा से पूरी तरह इनकार भी नहीं किया जा सकता. दुःख की स्थिति में ही हम सभी भगवान को याद करते हैं. अगर आदमी को दुःख का डर न हो तो भगवान के अस्तित्व को ही भुला बैठेगा. हो सकता है ऊपरी अदालतों में अपील के बाद कुछ राहत उन्हें मिल जाय……
खैर मेरा तात्पर्य सिर्फ इतना है कि लगातार बढ़ते अपराध, भ्रष्टाचार, और कानून को ठेंगे पर रखने वाले लोगों के लिए यह सजा एक चेतावनी अवश्य है. इसी तरह ‘टूजी’, ‘सी डब्ल्यू जी’ और कोयला घोटाले के आरोपियों क्रमश: ए. राजा, कनिमोझी, कलमाडी आदि को भी जिस दिन सजा मिल जायेगी अवश्य ही कुछ और नया परिवर्तन दिखेगा.
बहरहाल पांच राज्यों दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम और छत्तीसगढ़ के लिए चुनावी बिगुल बज गया है. अब मतदाता को ‘निगेटिव वोट’ करने का भी अधिकार होगा अर्थात उसे अंधों में काना राजा चुनने की बाध्यता नहीं होगी, ई वी एम में ‘इनमे से कोई नहीं’ वाला भी बटन होगा. अब देखना यह है कि राजनीतिक दल अपने लिए सही उम्मीदवार को टिकट देते हैं या फिर दागी नेताओं को मैदान में उतारने का जोखिम लेंगे?
जागरूकता ही बचाव है, इस आधार को मानते हुए हम सभी मतदाता का यह कर्तव्य बनता है कि मतदान के दिन मतदान केंद्र पर जाएँ और अपने मनपसंद और सही उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करें.
प्रस्तुति- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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