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पारदर्शिता में टाटा समूह आगे
भ्रष्टाचार विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल (टी आई) की नजर में विश्व के उभरते हुए बाजारों में टाटा समूह ने बाजी मारी है. टी. आई. ने अपने ताजा रिपोर्ट में उच्च नैतिक कारोबारी मानदंडों के लिए भारतीय कंपनियों की सराहना की है. साथ ही पड़ोसी देश चीन की कम्पनियों के अपारदर्शी तरीकों के लिए फटकार लगाई है. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने १६ देशों की १०० कंपनियों को १० अंको के मानदंड पर परखा है. पारदर्शिता के मामले में टाटा समूह अव्वल रहा. टी. आई. की सूची में टाटा कम्युनिकेसंस ७.१ अंक के साथ अव्वल रही. वहीं टाटा ग्लोबल और टाटा स्टील (दोनों) ६.६ अंक के साथ दूसरे नंबर पर रही है. टाटा केमिकल्स, टी. सी. एस. और टाटा मोटर्स भी सूची में जगह बनाने में कामयाब रहे. इसके अलावा एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्री, विप्रो, ल्यूपिन, वेदांत रिसोर्सेज, इनफ़ोसिस, हिंडाल्को, एल एंड टी, क्रोम्पटन ग्रीव्स, बजाज ऑटो ने भी सूची में जगह बनाने में कामयाब रही. बर्लिन स्थित टी आई के प्रमुख ह्युग लाबेल के अनुसार, उभरते बाजारों की कंपनियों को अपना कारोबारी दायरा बढ़ाने के लिए भ्रष्टाचार रोकने में अहम भूमिका निभानी चाहिए.
इसी साल मार्च २०१३ में टाटा स्टील को विश्व की ‘मोस्ट एथिकल कंपनी’ का अवार्ड न्यूयार्क में दिया गया था.
टाटा स्टील ने बछेंद्री पाल को एवेरेस्ट विजय करने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में पहचान दिलवाई और अब तो उनके मार्गदर्शन में प्रेमलता अग्रवाल, और एक कृत्रिम पैर वाली अरुणिमा सिन्हा ने भी एवेरेस्ट पर विजय हासिल की.
इके अलावा टाटा स्टील ने विभिन्न एथलीटों (दीपिका कुमारी, पूर्णिमा महतो …आदि) को प्रोत्साहित किया है. टाटा स्टील अपने आस पास के समुदायों को विभिन्न सुविधाएँ मुहैया कराती है. जहाँ जहाँ भी टाटा के संयंत्र हैं वहां पर साफ सुथराई, बिजली, पानी, सड़क आदि नागरिक सुविधाएँ भी प्रदान करती हैं.
यही नहीं टाटा समूह अपने आस पास के पर्यावरण को भी प्रदूषण से बचाने का हर संभव प्रयास करता है. टाटा समूह का हर कर्मचारी भी अपनी कंपनी में निष्ठापूर्वक लगन से काम करता है. पारदर्शिता का एक बहुत बड़ा उदाहरण के रूप में देखा जाय, तो टाटा स्टील के मैनेजिंग डिरेक्टर हर महीने के पहले सप्ताह में अपने सभी कर्मचारियों से विडियो कांफेरेसिंग के माध्यम से रूबरू होते हैं. वे भी अपनी बात कहते हैं और कर्मचारियों की भी समस्या को ध्यान पूर्वक सुनते है, तथा समाधान करने का भी यथोचित प्रयास करते हैं. तभी इस मंदी के दौर में भी टाटा स्टील और टाटा समूह मुनाफा बढ़ रहा है और नित्य नया विस्तार पा रहा है.
बहुत पहले एक कहावत होती थी लोहा में टाटा और जूता में बाटा का कोई जोड़ नहीं है. बाटा का नाम अब तो इतिहास के पन्नों में रह गया है, पर टाटा स्टील १९०७ से अब तक उसी प्रकार चमक रहा है.
हमें गर्व होनी चाहिए टाटा जैसे संस्थान पर जिसने निम्न मध्यम वर्ग को नैनो कार में बिठा दिया. दूरसंचार में भी अपनी पैठ बनाकर सबको मोबाइल थमा दिया. शुबह जागते ही टाटा टी और भोजन में टाटा का नमक तो हम सभी इस्तेमाल करते ही हैं. टाटा की देश और समाज के प्रति उदारता पूर्वक पहल और कर्मठता को भी स्वीकार करनी चाहिए साथ ही अन्य भारतीय औद्योगिक संस्थान को टाटा की नीति का अनुसरण करना चाहिए!

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