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लोक आस्था का महापर्व छठ सम्पन्न.

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लोक आस्था का महापर्व छठ सम्पन्न.
लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार, झारखण्ड के साथ देश के विभिन्न भागों में बड़ी श्रद्धा और बिश्वास के साथ मनाया गया. देहरादून से दिल्ली तक, भोपाल से बेंगलुरु तक, और मुंबई से कोलकता तक. हरियाणा की शहरी विकास मंत्री सवित्री जिंदल ने भी छठ व्रत किया, तो धनबाद और रांची में कैदियों ने भी व्रत रक्खा और भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया.
रांची में झारखण्ड के मुख्य मंत्री हेमंत शोरेन ने अर्घ्य देते हुए सभी लोगों की मंगल कामना की, तो बिहार के मुख्य मंत्री नितीश कुमार ने राज्यपाल के. वाई. पाटिल के साथ स्टीमर से पटना में गंगा नदी के छठ घाटों का निरीक्षण करने के बाद अपने आवास पर ही सूर्य भागवान को अर्घ्य दिया और लोगों से ऐसा ही सदभाव बनाये रखने की अपील की. वहीं दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित ने अपने दिल की गहराई से सभी व्रतियों को बधाई दी. तो लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान अपने बेटे चिराग पासवान के ससुराल में, समधन के व्रत में अर्घ्यदान किया.
महान आस्था का पर्व के उपलक्ष्य में इस साल पहली बार बिहार की पूर्व मुख्य मंत्री राबड़ी देवी ने बिना लालू जी के सपरिवार छठ व्रत की आराधना की. हालाँकि लालू जी का सर पर दउरा लेकर जाते हुए और अर्घ्य देते हुए बड़े कट आउट लगाये गए थे. छठ के उपलक्ष्य में पूरा परिवार और पार्टी कार्यकर्त्ता के रहते हुए भी लालू जी के ना रहने से राबड़ी देवी उतनी प्रसन्न नहीं दिखीं. सूर्य भगवान उनके दुःख को समझ रहे होंगे.
जमशेदपुर में सुवर्णरेखा और खरकाई नदियों के किनारे बड़ी संख्या में व्रती जुटे तो शहर के विभिन्न भागों में तालबों के किनारे भी व्रतियों ने अर्घ्य दिया. जमशेदपुर के ही सिदगोरा में सूर्यधाम है, जहाँ सूर्य भगवान का भव्य मंदिर तो है ही, उनके सामने ही दो कृत्रिम पक्के तालाब बनाये गए है, जहाँ हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और ८ नवम्बर की शाम को अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया तो ९ की शुबह को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया गया. यह सूर्य मंदिर जमशेदपुर के विधायक श्री रघुबर दास के प्रारंभिक दान दस हजार से शुरू हुआ और आज अनगिनत श्रद्धालुओं के श्रद्धा का ही फल है कि यहाँ सूर्य धाम की स्थापना हो गयी और परम्परागत तरीके से पूजा पाठ करने की सुविधा के साथ, साफ़ सफाई और आधुनिक सुविधा की भी प्रचुर व्यवस्था है. विभिन्न सामाजिक संगठन व्रत धारियों एवं श्रद्धालुओं के लिए हर सुविधा का निशुल्क इंतजाम करते हैं. यहाँ पर महिलाओं के वस्त्र परिवर्तन के लिए कई जगह पर्दाघर बनाये गए थे. साफ़ पानी, शौचालय, पूजन सामग्री, प्रसाद, अर्घ्य के लिए दूध, अगरबत्ती आदि की भी नि:शुल्क व्यवस्था थी. रात में मनोरंजन के लिए भक्ति गीत का भी कार्यक्रम रक्खा गया था.
जमशेदपुर नगरी जमशेदजी टाटा की नगरी है. यहाँ की टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, जुस्को आदि भी हर पर्व त्योहार के भांति छठ में भी अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करती हुई, साफ़ सफाई, प्रकाश, निर्बाध विद्युत् आपूर्ति और पेय जल की ब्यवस्था अपने अधिकार क्षेत्र के सभी घाटों पर करती है.
शुद्धता और पवित्रता का यह महान पर्व मूलत: किसानो का पर्व कहा जाता है, जिसमे समसामयिक कृषि उत्पाद, फल, फूल, सब्जियां आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं, पर नारियल, केला और ठेकुए की प्रधानता रहती है जिन्हें नए सूप में रख, दीप अगरबत्ती जला किसी भी जलाशय के किनारे जल में खड़ा होकर षष्टी के दिन अस्ताचल गामी और सप्तमी की शुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं. सूर्य, जल और पृथ्वी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती, इसीलिए इन्हीं तीनो की साक्षात् रूप में पूजा होती है. इसमें कोई पंडित, ब्रह्मण, बाबा जैसे लोगों की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं होती, कोई मंत्रोच्चारण नहीं होता, भक्त सीधा भगवान से अपने अंत:करण से पुकारता है और भगवान भी साक्षात् दर्शन देते हैं.
इसी एक पर्व में हम जात-पात, ऊँच-नीच, का भेद भाव भूल जाते हैं, यहाँ तक कि अब धर्म भी आड़े नहीं आता. (दूसरे धर्म के लोग भी इसमे आस्था व्यक्त करने लगे हैं) सभी के लिए एक ही विधि है, अपनी सामर्थ्य के अनुसार श्रद्धा व्यक्त करने का अनूठा अनुष्ठान. महिला के साथ पुरुष भी इस पर्व को करते हैं.
हरेक छठ घाटों पर काफी भीड़ होती है, पर यह स्वनियंत्रित होती है. हालाँकि प्रशासन की भी इसमे महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है, पर स्वयमसेवी संस्थाएं अपना रोल बखूबी निभाती हैं. विभिन्न लोक गायकों, लोक गायिकायों के साथ शारदा सिन्हा के गाये गीतों की स्वरलहरी हर जगह गुंजायमान रहती हैं. ग्रामीण महिलाएं अभी भी अपने सुर में गाना पसंद करती हैं और चार दिनों के अनुष्ठान में मनोयोग से लगी रहती हैं. बाहर रहने वाले लोग चाहते हैं कि सपरिवार एक साथ अपने घर में इस पर्व को मनाएं, इसीलिये इस अवसर पर ट्रेनों और बसों में अप्रत्याशित भीड़ बढ़ जाती है. फिर भी लोग हर कष्ट सहकर इस पर्व को मनाते हैं. प्रशासन को भी चुस्त दुरुस्त रहना पड़ता है. पिछले साल पटना के गाय घाट पर हादसा हो गया था, जिनमे कई लोग हताहत हो गए थे. इस साल छिट-पुट घटनाओं के साथ कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ. हम सभी लोग सबकी मंगल कामना करते हैं, ताकि हमारे बीच ऐसा ही भाईचारा बना रहे. ऐसी ही है हमारी भारतीय संस्कृति जो हमें विदेशों में भी याद रहती है, क्योंकि अब विदेशों में रहने वाले भारतीय भी भारतीय पर्व त्योहार मनाते हैं.
भारत के इस अमूल्य धरोहर को, जो सबके दिलों में है बचाए रखना है.
अंत में शारदा सिन्हा के लोकप्रिय छठ गीत –
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज देव झांके झूंके.
हम करेलीं छठ वरतिया कि झांके झूंके.
प्रस्तुति- जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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