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किरण जी, आपने देर कर दी या सही अवसर चुना!राजनीतिक समालोचना (कांटेस्ट)

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भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अन्ना हजारे की अहम सहयोगी रहीं पूर्व आई पी एस ऑफिसर किरन बेदी ने बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का खुलकर समर्थन करते हुए कहा है कि वह स्थिर, जवाबदेह और अच्छी सरकार दे सकते हैं। गुरुवार की देर रात बेदी ने कहा कि स्थिर, बेहतर शासन वाले और अच्छे देश के लिए मेरा वोट मोदी को जाएगा।
उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि उनकी पहली प्राथमिकता देश है। साथ ही उन्होंने कहा कि जवाबदेह और निष्पक्ष मतदाता के तौर उनका वोट नमो (नरेंद्र मोदी) को जाएगा। गौरतलब है कि किरन बेदी ने पिछले साल अक्टूबर में अहमदाबाद में दिए अपने भाषण में भी मोदी का समर्थन किया था।
उन्होंने नाम लिए बगैर आम आदमी पार्टी पर भी निशाना साधा और कहा कि आज देश के लिए स्थिर और अनुभवी हाथों की जरूरत है। उन्होंने ट्वीट किया कि हममें से कोई भी जो घोटाला मुक्त देश चाहता है, वह कांग्रेस को वोट नहीं दे सकता।
बेदी के इस कॉमेंट के साथ ही उनके बीजेपी में आने के कयास बढ़ गए हैं। वैसे, कुछ समय यह बात चर्चा में है कि बेदी को कांग्रेस के केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के खिलाफ चांदनी चौक से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। लेकिन बेदी ने अभी तक खुद को अन्ना हजारे के लोकपाल आंदोलन से ही जोड़े रखे हुआ था। वह और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह हाल ही में रालेगण सिद्धी में अन्ना के अनशन के दौरान भी मौजूद रहे थे। इन दोनों को ही बीजेपी में शामिल करने की पैरवी शुरू हो गई है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दोनों को बीजेपी में लाने पर बल दिया है।
केजरीवाल सरकार के शनिवार के ‘असफल जनता दरबार’ पर सबसे ज्यादा तंज उनकी पूर्व सहयोगी किरन बेदी ने ही कसा। इस अफरा-तफरी का माहौल देखने के बाद अपने पहले ट्वीट में बेदी ने कहा, ‘भगवान के लिए, अरविंद और टीम, – सचिवालय छतों से नहीं चलाए जाते! प्लीज सुनने-समझने में वक्त लीजिए! तब जाकर अच्छे से विचार करके फैसले लीजिए।’ उसके कुछ देर बाद किरन ने फिर ट्वीट किया। इन बार उन्होंने लिखा, ‘शासन चलाने के अच्छे और बुरे तरीकों का पता होना चाहिए। अनुभवी नेतृत्व अच्छी परंपराएं स्थापित करता चलता है और बुरी परंपराओं का हटाता जाता है।’
दुश्मन तो दुश्मन पहले ही थे, एक दोस्त का दुश्मन(प्रतिद्वंदी) बन जाना ज्यादा खतरनाक होता है. दोनों मुख्य सियासी पार्टियां कोई भी मौका छोड़ना नही चाहती, आप पर हमला करने का उधर विजय गोयल भी मुखर नजर आए तो शकील अहमद और भीम अफजल भी जले पर नामक ही छिड़क रहे हैं. पर अरविंद क्या इतनी जल्दी हार मानने वालों में से हैं क्या?
डॉ. किरण बेदी भारतीय पुलिस सेवा की प्रथम वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। उन्होंने विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया है। वे संयुक्त आयुक्त पुलिस प्रशिक्षण तथा दिल्ली पुलिस स्पेशल आयुक्त (खुफिया) के पद पर कार्य कर चुकी हैं। उन्हें वर्ष 2002 के लिए भारत की ‘सबसे प्रशंसित महिला’ चुना गया।
डॉ. बेदी का जन्म सन् 1949 में पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ। वे श्रीमती प्रेमलता तथा श्री प्रकाश लाल पेशावरिया की चार पुत्रियों में से दूसरी पुत्री हैं। उनके मानवीय एवं निडर दृष्टिकोण ने पुलिस कार्यप्रणाली एवं जेल सुधारों के लिए अनेक आधुनिक आयाम जुटाने में महत्वपूर्ण योगदान किया है। निःस्वार्थ कर्त्तव्यपरायणता के लिए उन्हें शौर्य पुरस्कार मिलने के अलावा अनेक कार्यों को सारी दुनिया में मान्यता मिली है जिसके परिणामस्वरूप एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाने वाला रमन मैगसेसे पुरस्कार से उन्हें नवाजा गया।
किरण बेदी ने राजनीति विज्ञान में व्याख्याता (1970-1972) विमेन, के रूप में अमृतसर खालसा कॉलेज में अपना कैरियर शुरू किया. जुलाई 1972 में, वह भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हो गई,
निरीक्षक कारागार तिहाड़ जेल (दिल्ली) (1993-1995) में, जनरल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान वह जेल के प्रबंधन में सुधार की एक इकाई की स्थापना की है, जीने की कला के रूप में इस तरह के उपायों की एक इकाई शुरू कर जेल में कैदियों के लिए योग, ध्यान, और साक्षरता कार्यक्रमों की शुरुआत की. वह तिहाड़ जेल में अपने काम के बारे में लिखने के लिए 1994 के रेमन मैगसेसे पुरस्कार, और ‘जवाहर लाल नेहरू फैलोशिप’, से सम्मानित हैं.
25 दिसम्बर 2007 को भारत सरकार को पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के महानिदेशक पद से स्वेच्छा से मुक्त हुईं.
बेदी की लोकपाल विधेयक पर सरकार के साथ वार्ता में एक कट्टरपंथी होने के लिए आलोचना भी की गयी थी. बाद में संसद के सदस्यों के लिए लोकपाल विधेयक के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर सांसदों को मजाक उड़ाने के लिए किरण बेदी और कुछ अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव का उल्लंघन लाने का प्रस्ताव का नोटिस भी जारी किया गया, हालांकि नोटिस बाद में वापस ले लिया.
किरण बेदी अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत (IAC) के प्रमुख सदस्यों में से एक है. भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध और भारत सरकार के आग्रह के लिए एक मजबूत लोकपाल विधेयक अधिनियमित.16 अगस्त, 2011 को, बेदी सहित भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत के प्रमुख सदस्यों की योजना बनाई. अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के पहले चार घंटे के द्वारा गिरफ्तार किया गया था हजारे हालांकि, बेदी और अन्य कार्यकर्ताओं को बाद में शाम को उसी दिन रिहा कर दिया गया. विरोध और सरकार और कार्यकर्ताओं के बीच कई विचार विमर्श के बारह दिनों के बाद, संसद लोकपाल का मसौदा तैयार करने में तीन बिंदुओं पर विचार करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया.
अरविंद केजरीवाल को जब यह चुनौती दी गयी कि राजनीति में स्वयं घुसकर सिस्टम ठीक करें, तो उन्होंने वह चुनौती स्वीकार कर ली. पर किरण बेदी इसी मुद्दे पर केजरीवाल से अलग हो गयी. शायद यहाँ पर दोनों की अपनी अपनी अलग अलग महत्वकांक्षा काम कर रही थी.
महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़कर कुछ नेता दिए, जैसे जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल और मोहम्मद जिन्ना,
लोकनायक जयप्रकाश आन्दोलन से भी कुछ नेता उभरे, मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम… अब अन्ना आन्दोलन से कई नेता उभरे अरविन्द केजरीवाल, किरण बेदी और जनरल वी के सिंह
देखना यह है कि मोदी अगर प्रधान मंत्री बनाते हैं तो गृह मंत्री किसको बनाते हैं – किरण बेदी को या वी. के. सिंह को.
प्रश्न यही है कि सक्रिय राजनीति में भाग लेने की विरोधी रही किरण बेदी को क्या यही वक्त उपयुक्त लगा या केजरीवाल की सफलता से वह भी उत्साहित हुई हैं.
अभी फिर उन्होंने कहा कि ‘आप’ को वोट देना मतलब कांग्रेस को वोट देना है…यानी कि किरन जी आप की विरोधी बन गयी हैं.
मेरा अपना मानना है कि अगर किरण जी, केजरीवाल के साथ होती तो अच्छा पद पा सकती थीं. फेसबुक तो कब से उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है….जो भी हो आगामी लोकसभा चुनाव दिलचस्प होने वाला है. प्रधान मंत्री की कुर्सी तक कौन पहुँच पाता है, यही देखना है. जनता को तो अमन चैन और सुशासन चाहिए, रोजगार चाहिए और महंगाई से निजात चाहिए. – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

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