jls
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नदियों को जोड़ भी सकते हैं,
धारा को मोड़ भी सकते हैं,
पर्वत को करते क्षत विक्षत,
सड़कों से जोड़ तो सकते हैं,
गर्मी में लाते शीत पवन,
सर्दी में जलती तप्त अगन,
बागों की हरियाली देखत,
पुलकित होता है तन औ मन.
सागर की छाती पर जहाज,
उसपर उतरे हैं यान आज,
बादल की लड़ी बनाकर के,
बारिश की झड़ी लगा दो आज!
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