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बरसाती बादल आ ही गए…

jls
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बरसाती बादल आ ही गए, ठंढक थोड़ी पहुंचा ही गए.
तपती धरती, झुलसाते पवन, ऊमस की थी घनघोर घुटन,
खाने पीने का होश नहीं, ‘बिजली कट’ और बढ़ाते चुभन
अब अम्बर को देख जरा, बिजली की चमक दिखला ही गए… बरसाती बादल आ ही गए,

सरकारें आती जाती है, बिजली भी आती जाती है,
वादों और सपनों की झोली,जनता को ही दिखलाती है
पर एक नियंता ऐसा भी, बस चमत्कार दिखला ही गए… बरसाती बादल आ ही गए,

अंकुरे अवनि से सस्य सुंड, खेतों में दिखते कृषक मुण्ड.
व्याकुल जो थे उस गर्मी में, पशुओं के देखो सजग झुण्ड,
चहुओर बजी अब शहनाई, कजरी के बोल सुना ही गए… बरसाती बादल आ ही गए,

पानी की थी किल्लत कठोर, पानी! पानी! मचते थे शोर,
अब सबके अधर की प्यास बुझी, नाले भरके हो गए विभोर
गलियों में नालों का पानी, सरकार की याद दिला ही गए….बरसाती बादल आ ही गए

नदियां जो सूखी व्याकुल थी, बारिश के जल को आकुल थी,
बनगई वो धारा वेगवती, सरिता बन गयी ज्यों नारी सती.
नदियों की धारा को देखन, अब लोग किनारे आ ही गए ….बरसाती बादल आ ही गए

कुछ युवक गए नदी दामोदर, नदी की धारा में ‘वह’ पत्थर
हिम्मत से वे सब रहे खड़े, चट्टान बना ज्यों महेश्वर
धीरज को सबने पकड़ लिया, ‘जन’ उन्हें बचाने आ ही गए. ..बरसाती बादल आ ही गए

पेड़ों के पत्ते निखर गए, ओ रंग हरे ज्यों बिखर गए,
सारी धरती हो गयी हरी, नव वधुओं के मन सिहर गए,
अब दिन बीते हैं विरहन के, साजन फुसलाने आ ही गए. ..बरसाती बादल आ ही गए

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