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मोदी जी चमत्कारी हैं!

jls
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आपने सुना है कभी पहले एक दिन में डेढ़ करोड़ आदमी को गरीब से अमीर बनते हुए? नहीं न! फिर …यह काम कौन व्यक्ति कर सकता है? जो कहते हैं, कर के दिखलाते हैं. यही हैं हमारे अद्भुत प्रधान मंत्री नहीं, नहीं प्रधान सेवक…गरीबी हटाने का इतना आसान नुस्खा आजतक किसी को समझ में नहीं आया. अभी तो सरकार के सौ दिन भी पूरे नहीं हुए और डेढ़ दो, तीन करोड़ गरीब आदमी बैंक खाता धारी बन गए, खाता धारी ही नहीं डेबिट कार्ड धारी, एक लाख का दुर्घटना बीमा मुफ्त, पांच हजार तक ओवरड्राफ्ट की सुविधा, २६ जनवरी तक खाता खोलने वाले को ३० हजार का जीवन बीमा अलग से! …कांग्रेस सरकार ने सबको मोबाइल पकड़ा दिया, मोदी जी ने डेबिट कार्ड …अब गरीब आदमी भी मॉल में जाकर महंगे सामान लेकर डेबिट कार्ड से बिल का भुगतान कर सकेंगे. गरीबी और अमीरी का छुआछूत समाप्त! …बैंक कर्मी बड़े जोश के साथ काम कर रहे हैं. बच्चे बूढ़े जवान, छात्र, मजदूर, किसान सभी लाइन में लगे हैं…. प्रधान मंत्री जनधन योजना का फॉर्म दे दीजियेगा..कोई आधार कार्ड लेकर आया है, कोई वोटर कार्ड लेकर आया है. कोई अपना राशन कार्ड ही लेकर आ गया. सबके हाथ में अपना फोटो भी है, फोटो पर दस्तखत भी करना है. मुश्किल वहां होती है जब बुर्के में फोटो खिचवाई गयी महिला को अपने फोटो पर दस्तखत करना होता है. काली बुर्के पर दस्तखत दिखेगी नहीं और चहरे पर दस्तखत करने से चेहरा साफ़ कैसे दिखेगा. सभी बैंक कर्मी जी जान से फॉर्म की जांच कर रहे हैं, सभी डाक्यूमेंट्स को भी मिला रहे हैं, अंत में खाता नंबर. डालकर बोलते है – “जाओ जाकर कैश काउंटर पर रुपये जमा करो” … “कितने रुपये जमा करने होंगे?” – “कम से कम पांच सौ रुपये”, “पांच सौ रुपये? …उतने तो नहीं हैं, पास में” …”जो है, वही जमा कर दो, पास में पैसे नहीं, चले आए खाता खुलवाने…पैसा नहीं रहेगा बैंक में तो डेबिट कार्ड का क्या करेगा ? वो भी ओवरड्राफ्ट में लेगा?…चलो जो करना है करो… आज तो घर पहुंचने में नौ बजेगा ही”….बैंक वाले भुनभुनाते हैं. एक बात तो माननी पड़ेगी …बैंक कर्मी बड़े कुशल कर्मी होते हैं. किसी के पहचान पत्र के नाम में कुछ भी गलती हो, तुरंत पकड़ लेते हैं. – “कैसे होगा भाई? सही पहचान पत्र लेकर आओ” ….
एक दिन में ही मोदी जी को पता चल गया कि हमारे बैंक कर्मचारी कितना काम कर सकते हैं. अन्य दिनों भले ही आम जनता को शिकायत रहती है… काम में देरी करते हैं, पर आज सभी अपना काम जल्दी कर देते हैं. एकाध लोग झल्लाते हैं, घर के बच्चों की चिंता में महिलाकर्मी भी झल्लाती हैं, पर डरती हैं, कही कोई विडिओ न बना ले … किस भेष में रिपोर्टर घूम रहा होगा, क्या पता …अगर मामला उछला तो सस्पेंसन तो जरूरी है…न बाबा न – “लाओ जी क्या काम है, तुम्हारा खाता एंट्री करनी है, लाओ सब जमा कर दो… मैं एक एक कर नाम बुलाऊंगी …आकर ले जाना. …इतंने सारे चेक भी पड़े हुए हैं ……इन्हे भी निपटाना है.. सबके अच्छे दिन आ गये, हमारे कब आएंगे?
बहुत सारे विश्लेषक इसे अच्छा कदम मान रहे हैं, गरीब लोग अपनी आमदनी का छोटा ही हिस्सा बचा सकेंगे, फिजूलखर्ची रुकेगी, बैंकों से ऋण मिलना आसान होगा. सरकारी सुवधाओं/ रहत करर रकम सीधे आपके बैंक खाते में जाएगी. बैंकों की नयी शाखाएं खुलेंगी, पढ़े लिखे नवयुवकों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. वैसे कुछ कांग्रेसियों का कहना है यह तो कांग्रेस की योजना थी. मोदी जी इसमे अपना नाम डाल रहे हैं. लेकिन बात है कि कांग्रेस चूक गयी तभी तो सत्ता से बेदखल हो गयी है. अब क्या पांच साल बाद ही नतीजे नजर आएंगे? खासकर महंगाई और भ्रष्टाचार के साथ कला धन वाला मुद्दा. महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा, अफसरशाही का मुद्दा, सरकारी कामों में समय सीमा का मुद्दा. कानून ब्यवस्था का मुद्दा और आम आदमी की सुरक्षा का मुद्दा …आज भी आम आदमी को दिन दहाड़े लूटा जा रहा है, हत्याएं हो रही हैं, दुष्कर्म की घटनाओं में लगातार बृद्धि हो रही है. इन सब सुधारों के अवसर कब आएंगे.? बीच बीच में धार्मिक और साम्प्रदायिक मुद्दों की हवा.
राजनाथ जी अब बड़े खुश हैं, दो नंबर की जिम्मेदारी मिल गयी, अपने बेटे को मना लेंगे. सबको जलन हो रही है…पर मोदी जी भी बड़ा होशियार है, जापान से भी खबर लेता रहेगा. काशी तो क्योटो बनने जा रहा है …लखनऊ की कब बारी आएगी. हमें तो वहां के लोगों से ही वोट लेना है. ये सदानंद को भी इतनी जल्दी क्या थी अपने बेटे की सगाई करने की …कोई हिन्दू भादो में .अपने बेटे की सगाई करता है? हो गया न भादो का भद! अरे उस मॉडल को पहले निपटा लेना चाहिए था…मॉडलिंग में जितना कमाई होगी उससे ज्यादा देकर चुप करा देना चाहिए था. सब मीडिया और कांग्रेस के शह पर हो रहा है या कोई अपना आदमी ही दुश्मन बन बैठा ही. देश के दुश्मन पाकिस्तान से तो निपट लेंगे, पर घर के दुश्मनों का क्या?
अभी शकराचार्य को भी धर्मसंसद करने की क्या जरूरत थी. बेवजह बखेरा खड़ा करते रहते हैं…ऐसे ही क्या हिन्दू विरोधी कम थे जो साईं भक्तों को अपना दुश्मन बना लिया… यहाँ भी सोनिया की ही चाल लगती है तभी दिग्विजय सिंह भी समर्थन कर रहा है.
वित्त मंत्री बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं… पर्यटन में न सही पर मैन्युफैक्चरिंग, और सेवा क्षेत्र के चलते पहली तिमाही का औसत विकास दर ५.७ % ठीक ठाक ही कहा जायेगा. एक बार अर्थ ब्यवस्था को पटरी पर लाने की जरूरत है. फिर तो यह रफ़्तार पकड़ लेगी. थोड़ा कोयला बिजली में सुधार हो जाए तो विकास की रफ़्तार अपने-आप बढ़ जाएगी. दिल्ली में अभी चुनाव करना ठीक नहीं रहेगा. बाकी राज्यों का परिणाम पहले देख लेते हैं. केजरीवाल को थोड़ा और बदनाम करना है जो भी अपराध दिल्ली में हो उसे आम आदमी पार्टी का बता दो. जनता उसे धीरे धीरे भूल जाएगी. उसे चंदा भी कौन देगा? ज्यादा ईमानदार बनते हैं. केवल ईमानदार बने रहने से पोलटिक्स नहीं होता.
अंतराष्ट्रीय मार्किट में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमत कम होने से पेट्रोल की कीमत और रसोई गैस की कीमत लगातार कम हो रही है, ये अच्छी बात है. कुछ दिनों बाद डीजल भी मार्केट के हवाले कर दिया जाएगा. यानी सीधा अंतराष्ट्रीय मार्केट में जब डीजल के दाम बढ़ेंगे /घटेंगे उसका सीधा असर यहाँ भी होगा.
अब एक नजर पी एम की पांच दिन की जापान यात्रा पर… भारतीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी और जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे का प्रोटोकॉल से अलग हटकर एक दूसरे के साथ गले मिलना और एक दूसरे की पीठ थपथपाना, अपने आप में आन्तरिक सम्बन्ध दर्शाते हैं. जापान के क्योटो शहर के जैसा काशी(बनारस) को विकसित करना, प्रधान मंत्री का दूरगामी सोच है. दोनों शहर धार्मिक है, मंदिरों का शहर है. काशी में आस्था ज्यादा पर साफ़ सफाई और सुविधाए कम है. क्योटो एक स्मार्ट सिटी है. मोदी को यह शहर पसंद है. वे काशी को वैसा ही देखना चाहते हैं.
इसके अलावा अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन के सपना को जापान की मदद से पूरा करना है. परमाणु उर्जा पर भी बात होगी. जापान और भारत एक दूसरे के साथ तकनीकी, ब्यवसायिक और सामाजिक रूप से कन्धा से कन्धा मिलकर काम करेंगे. ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है. प्रधान मंत्री के साथ उद्योगपतियों का भी एक दल जापान गया है. कुछ समझौते होंगे विकास के नए दरवाजे खुलेंगे. इसी उम्मीद के साथ जय हिन्द! जय भारत!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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