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मोदी की अमरीका यात्रा और स्वच्छता अभियान

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११ सितम्बर 1893 जगत के इतिहास में एक स्मरणीय दिन .मनुष्य मात्र में भ्रातृभाव की स्थापना व प्रचार के उद्देश्य से जो सभा बुलाई गई थी, उसके पूर्ववर्ती वक्ताओं ने चिर परिचित रीतियों के अनुसार ही श्रोताओं को सम्बोधित किया था. परन्तु सबसे प्राचीन सन्यासी सम्प्रदाय के प्रवक्ता ने पहले-पहल उस विराट सभा को ‘भगिनी व भ्रातृगण’ कह कर ह्रदय के अंतस्तल से उठे हुए निर्मल आह्वान से सभी के ह्रदय में छिपी हुई प्रेम निर्झरिणी को राह दे दी थी. .करतल ध्वनि से कक्ष गूँज उठा था,.पर क्या इस कार्य में आगे उन्हें बाधा नहीं आई ??? शिकागो नगर में महिमामय मूर्ति, गैरिक वस्त्र से भूषित उन्नत शिर, मर्मभेदी दृष्टिपूर्ण आँखें, चंचल होंठ, मनोहर भारतीय सूर्य की तरह दीप्तमान स्वामी(विवेकानंद)जी जनसमूह के मानस पटल पर दृढ रूप से अंकित हो गए थे.” विवेकानंद जी के भाषण से अमेरिकन राष्ट्र उनका मुरीद हो गया .१८९४ के ५ अप्रैल को बोस्टन इवनिंग ट्रांसक्रिप्ट ने मंतव्य दिया,” he is really a great man,noble,simple,sincere and learmed beyond comparison with most of our scholars. “
आज दूसरे नरेंद्र (मोदी) फिर से उसी धरती पर गए और उनके सम्बोधन में भी वही स्वर गूंजता है भाइयों एवं बहनों ..उनकी वाणी भी ऐसी कि लोग बार-बार सुनना चाहे और हम सबने सुना कि अमेरिका का मैडिसन स्क्वायर हाल जिसकी क्षमता १८,५०० की है, भर गया और टिकट भी लॉटरी से दिए गए, बाकी लोगों के लिए जगह-जगह लाइव टेलीकास्ट की ब्यवस्था की गयी.
ओबामा और मोदी में समानता – बराक हुसैन ओबामा (जन्म: ४ अगस्त, १९६१) अमरीका के ४४वें राष्ट्रपति हैं। वे इस देश के प्रथम अश्वेत (अफ्रीकी अमरीकन) राष्ट्रपति हैं। उन्होंने २० जनवरी, २००९ को राष्ट्रपति पद की शपथ ली। ओबामा इलिनॉय प्रांत से कनिष्ठ सेनेटर तथा २००८ में अमरीका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रैटिक पार्टी के उम्मीदवार थे। मोदी पिछड़े वर्ग और साधारण गरीब परिवार के तेजस्वी पुरुष…ओबामा का नारा था ‘यस आई कैन’ और मोदी ने भी अपने चुनाव प्रचार में कहा था ‘यस आई कैन’… अब दोनों एक मंच पर मिले हैं ओबामा ने अमरीका को ख़राब अर्थ ब्यवस्था से निजात दिलाया तो मोदी भारत में वही करने जा रहे हैं…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पांच दिवसीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे. विमान से उतरने के बाद वे ‘न्यूयॉके पैलेस’ होटल पहुंचे जहां उनके चाहने वाले पलकें बिछाये खड़े थे. मोदी के पहुंचते ही वहां उपस्थित लोग ‘मोदी’ ‘मोदी’ के नारे लगाने लगे. उनके हाथ में मोदी के बैनर और पोस्टर थे. मोदी ने भी अपने समर्थकों को निराश नहीं किया. उन्होंने हाथ हिलाते हुए उनका अभिवादन स्वीकार किया. होटल के बाहर मौजूद समर्थको ने ‘मोदी- मोदी’,’वी लव यू मोदी’, ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’, ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगाये. मोदी ने भी उनतक पहुंच कर हाथ मिलाया.
नरेंद्र मोदी ने इस देश(अमरीका) को भारत का ‘‘स्वाभाविक वैश्विक साझेदार’’ बताया और आश्वासन दिया कि भारत व्यापार और नवोन्मेषों के प्रति ‘‘खुला एवं दोस्ताना’’ है.
पिछले साल तीखे राजनयिक विवाद के बाद मोदी की चाहत भारत को निवेश के अनुकूल स्थान के तौर पर पेश करने, दोनों देशों के संबंधों में सुधार लाने की है. मोदी ने जोर देकर कहा कि दोनों देशों का एक दूसरे की सफलता में बुनियादी हिस्सेदारी और साझा हित है.
अपने अमेरिकी दौरे के दौरान पीएम मोदी ने 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया. उस मंच से G -1 से G -ALL का सन्देश के साथ ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के अनुसार सभी देश को एक मानदण्ड का पालन करने का सन्देश दिया. कश्मीर का मुद्दा जिस तरह से नवाज शरीफ ने उसी मंच से एक दिन पहले उठाया था, उसका करारा जवाब मोदी ने उसी यूनाइटेड नेशन के मंच से यह कहकर दिया कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्वीपक्षीय मामला है और इसे शांतिपूर्ण माहौल में ही सुलझाया जा सकता है. यूनाइटेड नेशन जैसे मंच से इस मुद्दे को उठाकर कोई ख़ास फायदा नहीं होने वाला है. इसके अलावा उन्होंने प्रकृति और मनुष्य के बीच प्रेम सम्बन्ध बनाये रखने की भी बात की.
मोदी का अमरीका में कार्यक्रम
27 सितंबर को मोदी सुबह 11 बजे (भारतीय समय के अनुसार शाम आठ बजे) संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित कर दिया . शाम छह बजे वे सेंट्रल पार्क में ग्लोबल सिटिजन फेस्टिवल को भी संबोधित किया और सर्वे भवन्तु सुखिन: का सन्देश दिया. 28 की सुबह वे चर्चित मेडिसन स्कावायर गार्डन में करीब २० हजार से अधिक लोगों को संबोधित किया और एक ‘रॉकस्टार’ का सामान बाँध दिया.. 29 सितंबर को पीएम मोदी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन व उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन से मिलें. 30 सितंबर को वहां के राष्ट्रपति बराक ओबामा से अंतरंग और आधिकारिक मुलाकातें हुई. दोनों राजनेताओं ने पहली बार साझा सम्पादकीय लिखा. साझा बयान जारी किया. कई समझौते पर हश्ताक्षर हुए. भारत के कई शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे. ऊर्जा क्षेत्र में भी अमरीका भारत की मदद करेगा. आगे और भी मुलाकातें होगी बातें होंगी, समझौते होंगे. श्रेय मोदी ने लौटते वक्त अमरीका को धन्यवाद कहा. स्वदेश लौटकर अपने स्वच्छता के अभियान में जुड़ गए. खुद झाड़ू पकड़ औरों को भी प्रेरित किया. सबको शपथ भी दिलाई. विजय दशमी की बधाई भी दी. अपनी तरफ से नौ गणमान्य टीम को सफाई के लिए आमंत्रित किया. कांग्रेस के श्रीमान शशि थरूर, प्रियंका चोपड़ा और सचिन तेंदुलकर को भी जिम्मेदारी थमा दी. इधर शशि थरूर साहब मोदी के गुण गाने में लगे थे. अब उन्हें एक्सिक्यूटिव और केटल क्लास में अंतर समझ में आ जायेगा. सचिन साहब भी बल्ला छोड़ चुके हैं तो झाड़ू पकड़ेंगे ही. वास्तव में मोदी साहब जादूगर हैं, उनकी बातों में जादू है और पहले खुद आगे आते हैं महात्मा गांधी की तरह. कई लोग उन्हें दूसरा गांधी भी कहने लगे हैं. सबसे बड़ी बात है कि वे छोटे छोटे मुद्दे उठकर ही जान जान के प्रिय बन जाते हैं. अभी तक वे टेलीविजन पर छाये थे अब रेडियो के माध्यम से सबसे निचले तबके के लोगों से भी जुड़ गए. रावण-दहन में भी इस बार नयी परंपरा की नींव डाली. खुद से तीर नहीं चलाया. बातों के वीर का तीर से क्या काम?.
अमरीका स्थित भारतीयों द्वारा मोदी का अभूतपूर्व स्वागत शंख ध्वनि, आरती के थाल, ‘सारे जहाँ से अच्छा’ गाना, मोदी मोदी हर हर मोदी के नारे, कुछ लोगों द्वारा उन्हें भगवान का अवतार तक बताना… और मोदी का सड़कों पर खड़े आम आदमियों से मिलना सब कुछ आश्चर्यजनक था.
एक अच्छी बात यह भी हुई कि इस बार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मोदी जी से पहले ही अमरीका पहुँच गईं और यूनाइटेड नेशन में जाते समय वह मोदी के साथ नजर आयीं. हिलेरी क्लिंटन से गले-गले गले मिलीं. सब कुछ अभूतपूर्व था.
अमरीका जाने से पहले भारत में ‘मेक इन इण्डिया’ की शुरुआत और उनमे सभी प्रमुख औद्योगिक घराने की उपस्थिति काबिले तारीफ रही. सरकार ने 25 ऐसे क्षेत्र रेखांकित किए हैं, जिनमें भारत के वर्ल्ड लीडर बनने की संभावना है। सरकार चाहती है कि दुनिया की सभी प्रमुख कंपनियां अपनी-अपनी रुचि के मुताबिक क्षेत्र चुनें, यहां आकर फैक्ट्री लगाएं और सामान बनाएं। भारत भले दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (पीपीपी के मुताबिक) बन गया हो, पर सच यह है कि सर्विस सेक्टर आधारित ग्रोथ मॉडल इसके पैरों की बेड़ी बना हुआ है।
इस महत्वाकांक्षी पहल के जरिए सरकार अर्थव्यवस्था को श्रम आधारित मैन्युफैक्चरिंग ड्रिवेन इकॉनमी का स्वरूप देना चाहती है। इस उद्देश्य में कोई खोट नहीं है। परेशानी सिर्फ यह है कि हम अभी तक अपनी प्राथमिकताओं को लेकर पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुए हैं। जब हमारी कंपनी टाटा स्टील यूरोपीय कंपनी कोरस को खरीद लेती है, तब हम खुशी से फूले नहीं समाते। दूसरी तरफ जब साउथ कोरियन कंपनी पोस्को हमारे यहां से लौह अयस्क निकालकर अपने देश ले जाने वाला प्लांट लगाने की घोषणा करती है, तब उस पर भी गौरवान्वित होने का मौका हम नहीं चूकते।
एक सौदे में हमारी पूंजी बाहर जाती है, दूसरे में हमारा कच्चा माल बाहर जाता है, लेकिन हम दोनों पर ही गर्व कर रहे होते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए यह साफ करना जरूरी है कि ‘मेक इन इंडिया’ से वह ठीक-ठीक क्या हासिल करना चाहती है। दुनिया की तमाम कंपनियां सस्ते श्रम और सस्ती प्राकृतिक संपदा के मोह में यहां आ जाएं, यह एक बात है, लेकिन देशी-विदेशी कंपनियां यहां ऐसे सामान बनाएं जो दुनिया के दिलोदिमाग पर ‘मेड इन इंडिया’ की छाप छोड़ जाएं, यह बिल्कुल अलग बात है।
नरेंद्र मोदी ने २ अक्टूबर से सफाई अभियान की शुरुआत कर दी है, थाने के बाहर कचरा देख खुद साफ़ करने लग गए. उनसे पहले और बाद में भी उनके कई मंत्रीगण और अन्य अधिकारी गण इसकी शुरुआत कर चुके हैं, आगे भी कर रहे हैं. २ अक्टूबर की सभी अधिकारियों की छुट्टी भी रद्द कर दी गयी. अपने आप में यह सब चमत्कार से कम नहीं है. महात्मा गाँधी के पीछे पूरा देश चल पड़ता था. आज मोदी के पीछे पूरा देश चल पड़ा है. तभी वे कहते हैं हम बदलें या न बदलें पर देश बदल चुका है. यह आगे की तरफ कदम बढ़ा चुका है. बस इसी तरह देश आगे बढ़ता रहे, रेल का भाड़ा, तत्काल टिकट का दाम बढ़ता है तो बढे कुछ जेब की भी तो सफाई होनी चाहिए. त्योहारों में ऐसे भी हम खर्च करने के लिए तैयार रहते हैं. त्योहारों का एक मकसद सफाई और आत्मसुख भी है. आइये जम कर सभी त्यौहार मनाएं और देश को आगे बढ़ाएं. मोहन भागवत के सन्देश भी बड़े प्यारे हैं, हम सभी भारत माँ के दुलारे हैं.
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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