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अरब सागर में तैनात भारतीय कोस्ट गार्ड्स देश पर 26/11 जैसा एक और आशंकित हमला होने से रोकने में सफल रहे। कोस्ट गार्ड्स की चौकन्नी निगरानी से नए साल की पहली सुबह ही पाकिस्तान से आए संदिग्ध नौका सवार भारत में अपने आतंकी मंसूबों को अंजाम नहीं दे सके। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि अगर ये नौका सवार विस्फोटकों के साथ भारतीय सीमा में पहुंच जाते तो मुंबई के 26/11 जैसे हमले को अंजाम दिया जा सकता था।
रक्षा मंत्रालय का साफ तौर पर मानना है कि पाकिस्तान से चली इस नौका में भारी मात्रा में विस्फोटक थे। इस नौका पर भारतीय खुफिया एजेंसियों की नजर कराची के पास केटी बंदरगाह से रवाना होने के बाद से ही थी और इसकी चुपचाप ट्रैकिंग की जा रही थी।
इस नौका को भारतीय कोस्ट गार्ड्स ने चेतावनी दी थी और रुकने को कहा था लेकिन इसके सवारों ने नौका समेत खुद को उड़ा लिया था। इस नौका में लगी आग की भीषणता को देखते हुए रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि इस पर निश्चित तौर पर विस्फोटक रखे हुए थे।
हालांकि, इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि इस नौका में तीव्र ज्वलनशील हाई-सल्फर डीजल भी हो सकता है। माना जा रहा है कि इस वजह से भी कोस्ट गार्ड्स की चलाई गोलियों से नौका में आग लग गई होगी। लेकिन इस नौका की दिशा और समुद्री सीमा में मौजूदगी देखकर यह आशंका गलत साबित होती है कि यह किसी और मकसद से चली थी।
एक अन्य रक्षा अधिकारी का कहना है कि आमतौर पर पाकिस्तान की नौकाएं सर क्रीक इलाके से आगे नहीं आती हैं लेकिन यह नौका इस रेखा को पार कर काफी आगे तक आ गई थी। नौका सवारों को कोस्ट गार्ड्स के चेतावनी देने पर करीब एक घंटे तक समुद्र में भागते रहे थे और लाइट ऑफ कर गोलियां भी चला रहे थे। इसके अलावा इस नाव पर मछली पकड़ने का कोई जाल भी नहीं मिला था।
खुफिया एजेंसियों ने इस नौका पर सवार लोगों की बातचीत को भी ट्रैक करने में सफलता हासिल की है। इसमें सवार एक शख्स नौका के भारत की सीमा में शामिल होने की जानकारी दे रहा था और इस पर सवार लोगों के परिजनों को पैसा पहुंचाने की बात भी कर रहा था। इस संदिग्ध नौका का मिशन इसलिए खतरनाक हो सकता था क्योंकि इसकी लोकेशन और दिशा गुजरात में होने जा रहे वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन के पास ही थी। इस सम्मेलन में पी. एम. नरेंद्र मोदी भी भाग लेने वाले थे। यही नहीं, इस नौका की घुसपैठ नाकाम होने के बाद जम्मू-कश्मीर में भी बी.एस.एफ. ने ताजा घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है, जहाँ पाकिस्तान लगातार ‘सीज फायर’ का उल्लंघन कर रहा है. दोनों तरफ से गोली बारी की जा रही है और दोनों तरफ के जवान के साथ कुछ आम नागरिक भी मारे जा रहे है या घायल हो रहे हैं. आम नागरिकों में दहशत की स्थिति साफ़ नजर आ रही है. आखिर पकिस्तान चाहता क्या है? … गृह मंत्री और रक्षा मंत्री अपनी पीठ थपथपा रहे है. कोस्ट गार्ड्स की दो नौकाएं अब भी समुद्र में कुछ सबूत जुटाने की कोशिश कर रही हैं। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस आशंकित हमले को नाकाम करने पर कोस्ट गार्ड्स की तारीफ की थी। उन्होंने फिर से प्रेस को बताया कि आतंकवादी होने की आशंका ही जाहिर किया है. तस्कर होने से भी इंकार नहीं कर रहे हैं. जांच जारी है.
कांग्रेस ने अरब सागर में नाव के जरिए आतंकियों की घुसपैठ रोकने के भारतीय कोस्ट गार्ड (आईसीजी) के ऑपरेशन पर सवाल उठाए हैं। आईसीजीके मुताबिक गुजरात को पोरबंदर तट पर अरब सागर में आतंकियों की विस्फोटकों से भरी यह नाव पकड़ी गई थी। आतंकियों ने पकड़े जाने के डर से यह नाव उड़ा दी थी। आईसीजी ने अपने दावे पर कायम रहते हुए कहा है नाव में सवार लोगों की वेशभूषा मछुवारों की जैसी नहीं थी।
कांग्रेस ने भारतीय कोस्ट गार्ड के इस दावे पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने मोदी सरकार से सवाल पूछा है कि नाव में पाकिस्तानी आतंकवादी ही थे या मामला कुछ और है. कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. अजय कुमार ने कहा कि अभी तक इस घटना के बारे में जो सबूत दिए हैं, वे नाकाफी हैं। एक न्यूज़ पेपर इंडियन एक्सप्रेस ने भी सवाल उठाये हैं कि उनसे यह साबित नहीं होता है कि नाव में आतंकी ही थे।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस पूरे मामले की विडियोग्राफी को सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार की मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश हो सकती है।
अब विपक्ष में हैं तो सरकार को वाहवाही कैसे लेने देंगे क्योंकि वे खुद इस तरह के हमलों को रोक नहीं पाए थे इसलिए उनकी बौखलाहट भी हो सकती है. डॉ. अजय कुमार पूर्व आई पी एस अफसर से झाविमो के सांसद बने थे. उनकी छवि अच्छी थी, पर मोदी लहर में २०१४ का लोकसभा का चुनाव हार गए. फिर उन्होंने कांग्रेस का रुख किया और विधायक के लिए भी टिकट नहीं पा सके. अब कांग्रेस का प्रवक्ता बन कर अपनी रही सही छवि ख़राब कर रहे हैं. ऊसर धरती में अंकुर उगाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें भाजपा में जगह बनानी चाहिए थी. पर राजनीति बड़ी बुडी चीज है … अच्छे-अच्छों को जमीन से उठाकर आसमान में खड़ा कर देती है, तो उसे फिर जमीन पर पटक कर धूल में मिलाने से भी बाज नहीं आती …केजरीवाल कब तक समझेंगे पता नहीं. फरवरी में उनके औकात का भी पता चल ही जायेगा …शायद!
इधर झाड़खंड के नए मुख्य मंत्री रघुबर दास ने नया साल अपने शहर और चुनाव क्षेत्र जमशेदपुर में मनाया. टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री टी. वी. नरेन्द्रन से लेकर हर वर्ग के लोगों ने उनसे मिलकर बधाइयाँ दी. लोगों ने अपनी अपनी मांगें भी रक्खी है. मुख्यमंत्री ने सबको आश्वासन दिया है, पर साथ में यह भी कहा कि उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है. सरकार को समय दिया जाना चाहिए. निश्चित ही उनके पास भी पांच साल का समय है. पूर्ण बहुमत की सरकार को बीच में गिराएगा कौन? इसलिए रघुबर जी अपना काम आराम से करें और अपने वादे पर खरे उतरें. वैसे उनके तत्काल के कुछ फैसले और घोषणाएं सराहनीय है. अब वे दिल्ली में शीर्षस्थ नेताओं से मिलकर झाड़खंड की बेहतरी के लिए मदद मांग रहे हैं. हम सभी उनके अच्छे कदमों का इंतज़ार कर रहे हैं.
उधर धर्मांतरण और घर वापसी का मुद्दा धीमी गति से चल रहा है, पर पूरे भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का बयान देने वाले राजेश्वर सिंह को छुट्टी दी जा चुकी है. (यूपी में ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की अगुवाई कर रहे आर.एस.एस. प्रचारक और धर्म जागरण समन्वय समिति के संयोयक राजेश्वर सिंह को छुट्टी पर भेज दिया गया है. आगरा में उन्हीं के नेतृत्व में पुर्नधर्मांतरण कार्यक्रम किया गया था। इस विवादित कार्यक्रम पर विपक्ष के विरोध के चलते संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामा हुआ था। चर्चा है कि पी.एम. मोदी की नाराजगी के कारण उन्हें हटाया गया है। वजह जो भी हो, इतना तय है कि फिलहाल राजेश्वर सिंह की ही ‘घर वापसी’ हो रही है। घर वापसी कार्यक्रम पर विवाद के बाद राजेश्वर सिंह ने यह भी विवादित बयान दिया था कि मुसलमानों और ईसाइयों को भारत में रहने का हक नहीं है। उन्होंने अगले सात सालों में भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने का भी दावा किया था.) आर एस एस ने फ़िलहाल यही कहने का प्रयास किया है कि वे हिन्दू समर्थक अवश्य हैं. हिन्दू असुरक्षित मतलब हिनुस्तान असुरक्षित – यही कह रहे हैं न मोहन भगवत! पर मुस्लिम और इसाई के विरोधी भी नहीं है. हमारा ‘माल’ वापस कर दें.
विवादों और विरोध के बावजूद भी पी के (PK) फिल्म अपनी कामयाबी और कमाई के अपने ही सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त करती हुई आगे बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार ने तो इसे टैक्स फ्री कर और भी ज्यादा सुलभ कर दिया है. कुछ ही दिनों में यह आम लोगों के पहुँच में भी आ जायेगी. यह फिल्म देश में ही नहीं विदेशों में ही अपना झंडा फहरा रही है. सर्दी की बरसात ने विरोध करनेवाले लोगों के मंसूबों पर भी पानी फेर दिया है. दरअसल विरोध करनेवाले लोगों ने ही इस फिल्म को और ज्यादा लोकप्रिय बना दिया. लोगों में उत्सुकता बढ़ा दी. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस, यु. पी. के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व मुख्य मंत्री और जे. डी. यु. के प्रमुख नितीश कुमार भी इस फिल्म को देखकर समर्थन कर चुके हैं.
कल(रविवार को) जुलूश-ए- मुहम्मद देश के विभिन्न भागों में निकाला गया. मुस्लिम धर्मावलम्बियों ने अपनी शक्ति का भरपूर प्रदर्शन अवश्य किया. झाड़खंड के गिरीडीह में झड़पें हुई. कुछ लोग घायल हुए. कुछ गाड़ियाँ जलीं. थोड़े देर के लिए वातावरण अशांत हुआ. उत्तर प्रदेश में भी कई जगह बवाल हुए. ये तो होना ही था. जमशेदपुर में भी अच्छी खासी भीड़ एकत्र हुई थी, लेकिन प्रशासन और नागरिकों की अनुशाशन प्रियता ने कुछ भी अप्रिय घटना होने से बचा लिया. यहाँ तो वे लोग अमन का पैगाम दे रहे थे.
मेरा मानना है कि मोदी जी जो मकसद को लेकर चल रहे हैं उन्हें चलने देना चाहिए. उनके नाम पर लोग ज्यादा हो हल्ला न मचाएं, धर्म, जाति आदि का मुद्दा न ही उठायें तो अच्छा है. लोगो के बीच आपसी सद्भाव बना रहे, महिलाओं की सुरक्षा हो और कानून ब्यवस्था सही हो. विकास अपनी रफ़्तार पकड़े और फिर ‘अच्छे दिनों’ में हम सब रहे, जियें और आगे बढ़ें. हम आगे बढ़ेंगे देश तो आगे बढ़ेगा, देश आगे बढ़ेगा तो हम होंगे विश्व के अग्रणी देशों में शामिल. अग्रणी बनने के लिए अमन का रास्ता ही हितकर होगा ऐसी मेरी सोच है. “सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेगी, बिगड़ेगी…पर देश रहना चाहिए, लोकतंत्र रहना चाहिए” – माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने कहा था.
हम पहले भी विश्वगुरु थे आज भी हममे विश्वगुरु बनने की क्षमता है. गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, आदि विश्वविख्यात कंपनियों में लाखों भारतीय कार्यरत हैं. हमारा मंगल मिशन सफल सौ दिन पूरे कर चुका हैं और आगे भी सफलता से अपना काम करता रहेगा ऐसी उम्मीद की जा रही है. हम ऐसे ही सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते रहे. अमन के रास्ते पर आगे बढ़ते रहें. जयहिन्द!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
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