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आम आदमी पार्टी का घोषणा पत्र, वादे हैं वादों का क्या!

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आम आदमी पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है। आम आदमी पार्टी ने इसे 70 सूत्री कार्ययोजना में समेटा है. ऊंचे स्थानों से भ्रष्टाचार मिटाने के लिए एक मजबूत और प्रभावी लोकपाल की मांग को लेकर देश भर में शुरू हुए एक लोकप्रिय आंदोलन से आम आदमी पार्टी का गठन हुआ। स्वच्छ राजनीति के एक नए युग की शुरूआत के साथ आम आदमी पार्टी को 2013 में, पहली चुनावी पारी में ही दिल्लीवासियों से उल्लेखनीय समर्थन मिला और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी।
आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल को पारित करना चाहती थी, लेकिन भाजपा और कांग्रेस आपस में मिल गई और, दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल बिल को पास नहीं होने दिया । अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार समझ गई कि अल्पमत में रहते हुए स्वतंत्र और स्वायत्त लोकपाल को पारित करा पाना नामुमकिन है। और, अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का फैसला किया।
हालांकि, 49 दिन, दिल्ली की आम जनता को आम आदमी पार्टी के सरकार चलाने के तरीके, सुशासन को दिखाने के लिए पर्याप्त थे। आम आदमी पार्टी ने समयबद्ध तरीके से अपने वादों को लागू किया- 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा किया बिजली वितरण कंपनियों के ऑडिट के आदेश दिए बीस किलोलीटर तक पानी मुफ्त किया। पानी माफियाओं का सफाया, दिल्ली जल बोर्ड व अन्य सभी सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई, पानी टैंकर के संचालन की सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराई गई, इसका फायदा आम जनता को हुआ। दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित घोटाले में तीन एफआईआर दर्ज किए गए, दिल्ली जल बोर्ड के 800 कर्मचारियों को स्थानांतरित किया गया और तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया गया।
मोहल्ला सभा के माध्यम से विधायक विकास कोष के उपयोग पर आम जनता की भागीदारी की पहल की. आम आदमी पार्टी के विधायकों ने 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितो को न्याय दिलाने के लिए एसआईटी के गठन का आदेश, अनुसूचित जाति, जनजाति और कमजोर वर्ग के सदस्यों के स्वरोजगार के लिए 5500 नए ऑटो परमिट जारी किये. भ्रष्टाचार संबंधी शिकायतों को दर्ज कराने के लिए भ्रष्टाचार विरोधी हेल्पलाइन नंबर की शुरूआत की, “वीआईपी” संस्कृति, को समाप्त किया।
अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी नियुक्ति देने के लिए समिति का गठऩ, केजी डी 6 घोटाले में आरआईएल अध्यक्ष श्री मुकेश अंबानी, पूर्व केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रियों एम वीरप्पा मोइली और मुरली देवड़ा, पूर्व महानिदेशक, हाइड्रोकार्बन, वीके सिब्बल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया।
21 करोड़ रुपये शिक्षा छात्रवृत्ति के रूप में वितरित किया, राष्ट्रमंडल खेलों से संबधित स्ट्रीट लाइटिंग घोटाले में एफआईआऱ दर्ज कराया. आम आदमी पार्टी ने जो कहा सो किया। पहले भी किया और आगे भी करेंगे। आम आदमी पार्टी निर्वाचित प्रतिनिधियों और लोकतंत्र में आम जनता के विश्वास को फिर से बहाल करना चाहती है। दिल्ली विधान सभा नवंबर 2014 के पहले सप्ताह में भंग कर दी गई थी, इसके तुरंत बाद, आम आदमी पार्टी ने अपने बहुचर्चित व सफल कार्यक्रम दिल्ली संवाद (Delhi डायलाग) की शुरूआत की। और इस अनूठी पहल के जरिए पार्टी ने समाज के विभिन्न वर्गों के विशेषज्ञों व आम नागरिकों के बीच साझेदारी के जरिए नए व गंभीर सुझावों के आधार पर पार्टी के घोषणापत्र की रूपरेखा तैयार की है।
एक ईमानदार, जवाबदेह और उत्तरदायी राजनीतिक दल शासन में लोगों की भागीदारी को अहम मानती है। दिल्ली डायलॉग में जाने-माने शिक्षाविदों, व्यवसायियों, नौकरशाहों,निर्वाचित अधिकारियों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ और आम आदमी के विचार को भी शामिल किया गया है। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के साथ आम लोगों की सैकड़ों बैठकों और गोल मेज के आयोजनों, ऑनलाइन टिप्पणियों, ईमेल सुझाव, WhatsApp संदेश, ट्वीट्स और फेसबुक टिप्पणियों के जरिए हजारों प्राप्त सुझावों के बाद आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के युवाओं, महिलाओं, व्यापारियों. व्यावसायियों, उद्यमियों, ग्रामीण व शहरीकृत गांवों, सफाई कर्मचारियो, अल्पसंख्यकों, अनधिकृत व पुनर्वास कॉलोनियों, जेजे कल्सटर्स, रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटियों और ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों के लिए 70 सूत्री कार्ययोजना तैयार की है। दिल्ली के नागरिकों की दृष्टिकोण और आकांक्षाओं को सूचित करने के लिए बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, स्वच्छता, रोजगार, परिवहन, सामाजिक न्याय, महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के मुद्दों पर दिल्ली डायलॉग के तहत चर्चा हुई। दिल्ली डायलॉग के दौरान कई ऐसे मुद्दे भी उठे जो दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र के तहत नहीं आते । आम आदमी पार्टी ऐसे मुद्दों का भी नेतृत्व करेगी और अपनी पूरी नैतिक और राजनीतिक अधिकार के साथ इन मुद्दों का समाधान देश के समक्ष लाने की कोशिश करेगी।
आम आदमी पार्टी की नजर में दिल्ली की परिकल्पना:- सबके लिए रोजगार सबके लिए उच्च स्तरीय शिक्षा सर्वोत्तम स्वास्थ्य सुविधाएं महिलाओं की सुरक्षा आबादी के हिसाब से सड़कें, वाहन और परिवहन सुविधाएं बिजली सस्ती और सबके लिए मुफ्त पीने का पानी नागरिकों के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं यमुना की सफाई, स्वच्छता और सौंदर्यीकरण सभी धर्म और समुदाय के बीच परस्पर प्रेम प्रदूषण मुक्त दिल्ली शासन व विकास में आम जनता की भागीदारी समृद्ध, आधुनिक और प्रगतिशील दिल्ली। आम आदमी पार्टी दिल्ली में ऐसी सरकार लेकर आएगी जो पारदर्शिता सहभागिता और परस्पर संवाद की पक्षधर होगी और दिल्ली में अपने 70 सूत्री कार्य योजना को पूरा करने की दिशा में काम करेगी-
जहाँ दूसरी पार्टियाँ इन्हें हवा हवाई बता रही है वहीं दिल्ली भाजपा का घोषणा पत्र नहीं आया है और उनका कहना है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा की मुख्य मंत्री की उम्मीदवार किरण बेदी का ‘विजन’ ही भाजपा का घोषणा पत्र हैं. प्रधान मंत्री ने भी शनिवार को अपनी रैली में आम आदमी पार्टी और अरविद केजरीवाल पर ही गिन गिनकर प्रहार किया. झूठ एक बार चलता है, बार बार नहीं. खुद को नसीब वाला और केजरीवाल को बदनसीब भी कहा.
मोदी की रैली में भीड़ दिखाने के लिए बसों में भरकर लाये गए सभी अपने पैसे खर्च कर आए थे ऐसा कहते हुए सुना गए. अब ट्रेनों में भी चाय के कप पर मोदी और अमित शाह की तस्वीर और भाजपा का प्रचार विवाद का कारण बना है. जांच होगी, कार्रवाई होगी, तब होगी प्रचार तो हो गया न!
अंत में निष्कर्ष के रूप में यही कहूँगा कि आम आदमी पार्टी भी परिपक्वता की तरफ बढ़ रही है, भाजपा और मोदी जी से आगे बढ़कर इसने वायदों की झड़ी लगा दी है. इसे देख प्रधान मंत्री तक को भी चुटकी लेनी पडी एक चालाक ऑटोरिक्शा वाले की कहानी बताकर.
एक जाने माने पत्रकार का (फेसबुक पर) कहना है. रावण की सभा में अपने पैर को डिगाने के लिए रावण की सभा में उपस्थित सभी वीरों को ललकारा था. जब सभी वीर अंगद के उस पैर को नहीं डिगा सके तो रावण खुद चलकर आया और अंगद का पैर हटाने के लिए जैसे ही झुका – अंगद ने बड़े शान से कहा था, – मूर्ख मेरे पैरों में झुकने से कोई फायदा नहीं होने वाला. जाकर राजा राम के पैर पकड़ वही तुम्हे माफ़ कर सकेंगे. रावण लज्जित होकर वापस लौट गया था. अब इससे आगे कहने की जरूरत नहीं है. दिल्ली की जनता खुद समझदार है.
वैसे भी चुनावी वादे सभी पार्टियां करती है, उन्हें पूरा करने में कितना वक्त लगाती है और किस प्रकार संशाधन जुटाती है, वह हम सभी देख चुके हैं. अब तो दिल्ली की जनता को ही तय करना है कि वह किस पर भरोसा करे और किस पर नहीं. प्रधान मंत्री भी तो गरीबों को पक्का घर देने का वायदा कर चुके हैं. यह काम इंदिरा आवास योजना के तहत भी काफी दिनों से चल रही है, फिर भी झुग्गी झोपड़ियां कम होने का नाम नहीं ले रही वरन कुकुरमुत्ते करर तरह बढ़ती ही जाती है. गरीबी हटाना, गरीबी से लड़ना उतना आसान भी नहीं है और अगर है भी तो वोट देनेवाले कहाँ से मिलेंगे. अधिकांश वोट तो गरीबों के ही होते हैं जो विभिन्न योजनाओं का लाभ पाने के लिए किसी खास पार्टी को वोट देते हैं. गरीबी हटाओ का नारा इंदिरा गांधी के समय से चला आ रहा है, आज भी स्थिति बहुत बेहतर हुई है, ऐसा नहीं कहा जा सकता. यह सुधार की निरंतर प्रक्रिया जो चलती रहनी चाहिए. जो पार्टी सही ढंग से धरातल पर काम कर के दिखलाएगी, वही विजयी हो सत्ता में भी आएगी, क्योंकि वोटर अब जागरूक और समझदार हो गए है. भारतीय लोकतंत्र दिन प्रतिदिन मजबूत हो रहा है..काला धन वाला वादा, सबको याद है. भ्रष्टाचार पर कुछ ख़ास होता नहीं दीख रहा. रोजगार का सृजन भी कहाँ हो रहा है.प्रधान मंत्री का सूट और बार बार कपडे बदलना, चर्चा का विषय बना हुआ है. जशोदाबेन को अपने से अलग रखकर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा बुलंद करना, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिरे हुए तेल के दाम का श्रेय लेना, सफाई, और नशामुक्ति का भाषण और प्रदर्शन का कोई खास असर न दिखना. ये सब भी तो वादे और सुनहरे सपने मात्र ही है. हिंदूवादी सगठनों का अलगाव वादी बयान पर अंकुश न लगाया जाना, महिलाओं को बच्चा पैदा करने की मशीन के रूप में परिभाषित करना – वर्तमान सरकार की लोकप्रियता में कमी लाने का ही काम कर रहा है..मेरे ख्याल से प्रधान मंत्री कहीं न कहीं घिरते नजर आ रहे है. वैसे फैसला तो १० फरवरी को ही आने हैं, तब तक भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और जनचेतना को आधार स्तम्भ के रूप में देखा जाना चाहिए. लोगों को घर से बाहर निकल कर मतदान केंद्र तक जाकर मत देना आवश्यक है. अपनी पसंद को जाहिर करने का सुनहरा मौका यही तो है.

– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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