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माल-ए मुफ्त दिल-ए बेरहम!

jls
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अब ‘रामराज्य’ या कहें कि ‘सुराज’ आ ही गया है!
देश की राजधानी में बिजली हाफ और पानी माफ़!
अब पूरे भारत में रेल सुविधा में बढ़ोत्तरी – वह भी ‘मुफ्त’!
२४ घंटे सुविधा और सुरक्षा के लिए मुफ्त हेल्पलाइन!
मन पसंद खाना और मन पसंद बिस्तर!
भरपेट खाइये और घोड़े बेचकर सोइये!
कैमरा आप पर निगरानी रक्खेगा.
सुरक्षा दल के जवान चुस्त दुरुस्त नजर आएंगे.
अब वे खैनी नहीं खाएंगे…(तम्बाकू हानिकारक है? ‘मन की बात!’)
…सब प्रभु की माया है, कहीं धूप कहीं छाया है….
……………………..
सांसद तेज प्रताप का तिलक और विवाह! …आह!
हो भी क्यों न? खुद हैं तेज प्रताप और दुल्हन राजलक्ष्मी
साक्षात लक्ष्मी कि अवतार!
आइये हम सब भी गायें मंगल-गान
तेजू के तिलक में एक लाख मेहमान
बाप रे बाप!
कुछ घंटों में ही उतरे चौदह वायुयान !
बाप रे बाप!
मैदान में बसा कैसा शहर आलीशान
बाप रे बाप!
कितने लोग खाए, कितने बने पकवान!
बाप रे बाप!
आज भी हैं राजे रजवाड़े, शाने-शौकत महान
बाप रे बाप!
दिखाते विदुर दृश्य सीधे करते गुण गान
बाप रे बाप!
सचमुच क्या आ गए! अच्छे दिन की शान
बाप रे बाप!
चार घंटे ही चले ६० हजार (बनारसी) पान
बाप रे बाप!
फिर से मंगाये गए ५० हजार पान
बाप रे बाप!
पान लेकर आये दुरंतो वायुयान
बाप रे बाप!
बजट हो रेल का बाराती को विमान
बाप रे बाप!
……
वैसे भी –
कोई नृप होहिं हमें का हानी
मुफ्त मिलेगा बिजली पानी
सबै भूमि गोपाल की – बहुत पुरानी कहावत है
अब सबै भूमि सरकार की
आपको क्या चाहिए भाई!
दाना पानी?
सब कुछ बनाएंगे कारखाने,
ढोएगा रेल, चाल होगी बुलेट की, वह भी जापानी
फिर भी हम सब होंगे, हिन्द के हिन्दुस्तानी
फिर आए हैं, अन्ना
उनको क्या बनना है धन्ना ?
ना भाई ना
फिर से कोई बनेगा अरविन्द,
जनरल वी के या किरण बेदी
मिलेंगी माया जया और दीदी
मुलायम की ‘माया’ भी गजबे है
तिलक में अगवानी! शाल की सौगात!
और संसद में शान से रक्खें अपनी बात!
जनता तो सुनती है, गुनती है,
देखती है, कुढ़ती है
चढ़ाती है भृकुटी
मौला को क्यों चाहिए रामकुटी?
– जवाहर लाल सिंह (२७.०२.१५ – ०२:३० प्रात:)

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