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हाई टेक होते क्षेत्रीय दल – झामुमो का राष्ट्रीय अधिवेशन

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जमशेदपुर में झाड़खंड मुक्ति मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन १६, १७ और १८ अप्रैल तीन दिन चला. वह भी जमशेदपुर के ह्रदय स्थल बिष्टुपुर के रीगल(गोपाल) मैदान में. पूरा जमशेदपुर शहर झामुमो के झंडे, बैनर, पोस्टरों से सज गया. रीगल मैदान के अंदर वातानुकूलित पंडाल बनाया गया, जहाँ पर बैठनेवाले लोग इस गर्मी में भी ठंढ से कंपकंपा गए. खाने, पीने, ठहरने की समुचित और उच्चस्तरीय ब्यवस्था की गयी. पंडाल के अंदर ही खाने पीने, आराम करने और चलंत शौचालय, बाथरूम आदि की सुविधा, वी. आई. पी. के लिए भी खास ब्यवस्था की गयी, जो कि जमशेदपुर के लिए अनूठा था. कार्यकर्ताओं को पंडाल में जाने के लिए लम्बी-लम्बी कतारें शुबह से ही लगनी शुरू हो जाती थी. सभी कार्यकर्ताओं के कंधे से लटकता हुआ हरे रंग का थैला सुशोभित था, जिस पर तीर कमान प्रिंट किये हुए थे. ढोल नगारा, मांदर की थाप पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ कार्यक्रम शुरू हुआ. अनुशासन बद्ध उपस्थिति देखने लायक थी. मुख्य मंच पर शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, सालखन मुर्मू, चम्पाई सोरेन और पूर्व मंत्री हाजी हुसैन अंसारी आदि प्रमुख नेता बैठे और सबों ने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. सबों ने मिलकर भाजपा पर हमला भी किया गया. स्थानीय और बाहरी की भी खूब राजनीति की गयी. ज्वलंत मुद्दा- केंद्र सरकार की भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में “जान दे देंगे, पर जमीन नहीं देंगे” की घोषणा हुई. भाजपा की रघुबरदास नीत भाजपा सरकार की भी बखिया उघेड़ी गयी. दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक वारिशपुत्र हेमंत सोरेन को भी पूरा पूरा आशीर्वाद दिया. “हम हारे नहीं हैं!” की घोषणा की गयी. भले ही हम सत्ता में नहीं हैं, पर हमारा जनाधार खिसका नहीं है. हम मजबूत विपक्ष की भूमिका में हैं. पहले इस तरह का आयोजन शहर से दूर डिमना या दुमका आदि जगहों में होता था. पर इस बार भाजपा के गढ़ कहे जानेवाले क्षेत्र में यह अधिवेशन संपन्न हुआ. बड़ी शांतिपूर्ण ढंग से या कहें कि सब कुछ ब्यवस्थित ढंग से संपन्न हुआ.
भाजपा के तर्ज पर यहाँ भी मिस्ड काल से सदस्य बनाने और सोसल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने की भी कवायद की गयी. महाराष्ट्र की तर्ज पर यहाँ भी जंगल जमीन के साथ यहाँ की भाषा, संस्कृति और फिल्मों की भी बातें हुई. उड़ीसा और बंगाल के कुछ और जिलों को मिलाकर वृहद झाड़खंड राज्य बनाने की मांग की गयी. इस पूरे कार्यक्रम में शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के गुण भी खूब गाये गए. यहाँ भी बाप-बेटे के वंशवाद को ही आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. कई राजनीतिक प्रस्ताव पास हुए जिसमे स्थानीयता का मुद्दा हावी रहा. राजनीतिक प्रस्तावों में प्रत्येक जिला में एक तकनीकी महाविद्यालय की स्थापना, प्रत्येक प्रमंडल में एक महिला महाविद्यालय की स्थापना, महिलाओं के लिए ३३ से ५० प्रतिशत तक का आरक्षण की ब्यवस्था करना, मजदूरों का डाटाबेस तैयार करना, क्षेत्रीय भाषाओँ के प्रचार प्रसार पर जोर, सरकारी काम काज में पारदर्शिता, त्रितीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों में स्थानीय लोगों की शत प्रतिशत भागीदारी, दूसरे पदों पर भी स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देना, स्थानीयता का आधार १९३२ का सर्वे को ही बनाने का संकल्प को दोहराया गया. किसानों और ग्रामीणों के विकास के लिए जरूरी संशाधन की खोज करना और सिंचाई, भूमि प्रबंधन आदि की उचित ब्यवस्था की बात की गयी. संगठन के विस्तार हेतू हर स्तर पर कार्यकर्ताओं की फ़ौज तैयार करने की भी बात की गयी.
ये कार्यकर्ता गांवों में जाकर प्रचार करेंगे.- हम स्वर्ग का दर्शन करके आए हैं. हमारे आका पूरे झाड़खंड को स्वर्ग बना देंगे, इसलिए अगली बार इन्हे ही वोट देकर जीताना है. वे हमारे दर्द को, कष्ट को, जानते/पहचानते हैं. दरअसल शिबू सोरेन और डॉ. रामदयाल मुंडा आदि ने झाड़खंड आन्दोलन को खड़ा किया था और जन, जंगल और जमीन के नाम पर झाड़खंड अलग राज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. ये लोग ही झारखंड नाम धारी पार्टियों के जनक थे. पार्टी को जमीन से वर्तमान स्तर तक लाने में शिबू सोरेन का बहुत बड़ा हाथ था. शिबू सोरेन ने हर तकलीफें झेलीं, नरसिम्हा राव से रिश्वत लेने के ,मामले में बदनाम भी हुए, अपने ही सचिव को मरवाने के जुर्म में गिरफ्तार हुए, सजा पायी और बरी भी हुए. कांग्रेस नीत संप्रग की सरकार में कई बार कोयला मंत्रालय इनके पास रहा. गिरफ्तारी के समय कोयला मंत्रालय छोड़ना पड़ा था. तभी कालिख का दाग मनमोहन सिंह पर लग गया. यह ‘दिशोम गुरु’ का उपाधि पा आज गर्व से राजा बना बैठा है और अपने प्रिय और लायक बेटे हेमंत को गद्दी सौंप दी है. इस अधिवेशन में हेमंत सोरेन को कार्यकारी अध्यक्ष भी मनोनीत कर दिया गया है. यानी की पार्टी की पूरी जिम्मेदारी अब से हेमंत के कन्धों पर. शिबू सोरेन बीच-बीच में मार्गदर्शन करते रहेंगे. राहुल गांधी जिसके लिए नाराज होकर अज्ञातवास में चले गए, पर हेमंत सोरेन अपने पिता की चरण धूलि को माथे पर लगा आशीर्वाद पा रहा है. नौजवानों में लोकप्रिय भी है. हाल ही में जब प्रधान मंत्री मोदी के साथ मुख्यमंत्री के रूप में एक ही मंच से भाषण देने की नौबत आयी तो अपने को मोदी जी से तुलना करने से रोक नहीं पाया. हालाँकि ‘मोदी’ ‘मोदी’ के नारों ने इसे भाषण पढ़ते समय भाजपा समर्थक लोगों के द्वारा ‘हूट’ करने की कोशिश भी किया था, पर यह नौजवान बिना विचलित हुए अपने पूरे भाषण को पढ़ सका था. चिल्लानेवाले लोगों को आखिर मोदी जी ने उठकर शांत करने की कोशिश की थी. अर्जुन मुंडा सरकार में उप मुख्य मंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने अर्जुन मुंडा की ही सरकार गिरा दी और १३ जुलाई २०१३ को कांग्रेस और राजद के सहयोग से झाड़खंड के मुख्यमंत्री बने.
इस अधिवेशन की ब्यवस्था में करोड़ों के वारे न्यारे हुए होंगे. सवाल है कि धन कहाँ से आया. तो श्रीमान जी पिछले सरकार में ये सत्तासीन तो थे ही. इनकी दशहत को हर कोई जानता है. पूंजीपति उद्योगपति घराना भी जानता है. आज नहीं तो कल ये फिर सत्ता में लौटेंगे. ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में भाजपा से ज्यादा इनके जड़ें मजबूत है. ग्रामीण इलाके के अनपढ़ लोग हरिया, दारू पर बिक जाते हैं और जहाँ कहों वहां बटन दबाकर चले आते हैं. जमशेदपुर के वर्तमान सांसद विद्युत वरण महतो झामुमो में ही थे. काफी बड़ी रकम भेंट में देकर भाजपा में आये थे और मोदी लहर में झारखण्ड विकास मोर्चा के ईमानदार और कर्मठ प्रत्याशी डॉ. अजय कुमार को हराने में कामयाब हुए थे. विद्युत वरण महतो अभी भी कोई अपनी छाप नहीं छोड़ पाये हैं. उससे ज्यादा रघुबर दास और सरयू राय जमशेदपुर में सक्रिय हैं, पहले भी सक्रिय थे.
मोदी के निरंकुशता में कुछ क्षेत्रीय दल तेजी से पनपने लगे हैं या कहें कि अपनी शक्ति का विस्तार करने में लग गए हैं. दिल्ली में केजरीवाल की अभूतपूर्व, अप्रत्याशित सफलता ने बिहार के चुनाव से पहले छ: पार्टियों को मिलने पर मजबूर कर दिया. तो इधर झारखण्ड नाम धारी पार्टियां भी हिलोरें लेने लगी है. इन्होने बिहार में भी अपनी किस्मत आजमाने का फैसला कर अपना विस्तार करने का सपना देख लिया है. इनका कहना है कि अति पिछड़ों, दबे कुचले लोगों का कल्याण यही लोग कर सकते हैं, जब इनके हाथ में सत्ता होगी. भविष्य के गर्भ क्या छिपा है यह अभी से अनुमान लगाना कठिन है, पर मोदी जी और भाजपा की सरकारें अगर जनता की अपेक्षाओं पर खड़ी नहीं उतरती हैं तो जनता को विकल्प तो तलाशने ही होंगे. झाड़खंड में रघुबर दास अभी पूरे मनोयोग से काम में लगे हैं पर अफसरशाही तो हर जगह हावी रहती है. योजनाओं को समय पर पूरा ही नहीं होने देगी. झाड़खंड में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. सड़क, बिजली पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, उन्नत खेती, सिंचाई की समुचित ब्यवस्था से ये मीलों दूर हैं. जबतक इन सबका विकास नहीं होगा, इस रत्नगर्भा धरती को अन्य राज्यों की तुलना में आने में अभी काफी समय लगेगा. आम आदमी को चाहिए विकास और रोजगार के अवसर, चाहे जो पार्टी या सरकार दे.
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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