Menu
blogid : 3428 postid : 874642

मौत पर राजनीति बनाम मौत का तांडव

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

हालाँकि इस विषय पर बहुत कुछ लिखा और कहा जा चुका है. यह विषय पुराना भी हो चुका है. अब प्राकृतिक आपदा(भूकंप) ने नेपाल सहित भारत को भी आक्रांत कर लिया है. जो कुछ होना था, हो चुका है. सभी नेता, मीडिया और आम दर्शक बुद्धिजीवी सभी अपनी अपनी अपनी राय रख चुके हैं. फिर भी अगर कुछ बाकी है या इस पर मीमांषा/विवेचना करनी है तो मैं भी अपनी राय रखने जा रहा हूँ. आप सभी अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं. मेरा मकसद सिर्फ यही है की कैसे इस तरह के हादसे को रोका जाना चाहिए और इस पर सिर्फ राजनीति और टी आर पी की ही बात नहीं होनी चाहिए. समाचार और चित्र वहां के परिदृश्य व सही घटनाक्रम को हम लोगों के दिमाग में सही रूप में प्रस्तुत करने के लिए काफी हैं और ये स्पष्ट कर रहे हैं कि कहीं से भी इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार आप पार्टी के कार्यकर्ता व नेता नहीं हैं. हाँ मैं किसान सह नेता गजेन्द्र सिंह के साथ हुए हादसे और मीडिया रिपोर्ट की चर्चा कर रहा हूँ. दैनिक जनवाणी/ ABP न्यूज़ की सरोज सिंह के अनुसार -”आप के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने उसे नीचे उतरने की बार बार अपील की. पुलिस इस पूरी घटना को देख रही थी तो आप के कार्यकर्ता उसे बचाने को पेड़ पर चढ़ गए .”
अमर उजाला के अनुसार – जंतर मंतर पर आयोजित आम आदमी पार्टी की रैली में लगभग 12.30 बजे के आसपास दौसा का किसान गजेंद्र सिंह पेड़ पर चढ़ा था. उसके हाथों में झाड़ू था और वह मोदी सरकार के विरोध में नारे लगा रहा था.
फर्स्टपोस्ट के मुताबिक, लोगों को लगा कि वह मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहा है। उसने ‌थोड़ी देर बाद सफेद गमछे से अपनी गर्दन में फंदा लगा लिया। अपनी दोनों बाहों से पेड़ की डालियों को पकड़ रखा था। पैरों से उसने एक दूसरी डाली से सहारा ले रखा ‌था।वह जब तक उस डाली के सहारे रहा, ठीक रहा. हालांकि नीचे खड़ी भीड़ लगातर शोर कर रही थी. मी‌डियाकर्मियों ने वहां खड़े पुलिसकर्मियों से कहा के वे गजेंद्र को नीचे उतारे. पुलि सकर्मी मूकदर्शक की तरह खड़े रहे। उन्हें पुलिसकर्मियों में से एक ने कहा, ‘मरने दो साले को’.
ज़ी न्यूज़ ने कुमार बिश्वास के एक ‘खास इशारे’ को बार बार दिखाते हुए यह बताने की कोशिश की कि गजेन्द्र की आत्म हत्या के लिए वही जिम्मेदार हैं. ABP न्यूज़ भी बाद में आम आदमी के प्रमुख नेताओं, खासकर अरविंद केजरीवाल को ही इस आत्म हत्या के लिए दोषी ठहरा रहा था. जबकि NDTV के एंकर और रिपोर्टर रवीश कुमार ने किसानों के खेतों की बदहाली और मंडी में आढ़तियों द्वारा किसानों को दोहन करने के तरीकों को दिखाना उचित समझा. रवीश कुमार ने अपने ख़ास रिपोर्ट में यह भी बतलाने की कोशिश की है क्या अब वो समय नहीं है कि किसानों को उनके पास जाकर उचित मुआवजा दिया जाय जैसे कि अन्य आपदा की घड़ियों में हम पीड़ितों के पास जाकर मदद करते हैं. और वह घड़ी भी आ गयी जो इस खबर से बहुत बड़ी खबर बन गयी. नेपाल और उत्तर भारत का भूकंप!
अब सही हाल जानकर भी अगर हम केजरीवाल या आप के कार्यकर्ताओं या उनकी रैली को दोषी ठहराते हैं तो यह हमारी अक्ल की कमी या फिर एक तरफ़ नेताओं की बुराई के लिए स्थिर दिमागी परिस्थिति ही कही जाएगी .पुलिस ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की अपील नहीं सुनी, क्योंकि वह उनके नियंत्रण में ही नहीं और मीडिया ने केवल पुलिस से अपील की या फिर उसके फांसी वाले दृश्यों के चित्र उतारे क्या वे आगे बढ़कर उसे नहीं रोक सकते थे ? अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना और क्या है ? क्या हर जिम्मेदारी नेताओं की है? हमारी या आपकी कुछ नहीं जिनकी आँखों के सामने कुछ भी घट जाये और हम हाथ से हाथ बांधकर खड़े हो जाएँ?
और रही बात नेताओं पर दोषारोपण की तो पहले ये जिम्मेदारी राजस्थान की सपा पार्टी पर आती है, जिसका टिकट गजेन्द्र ने माँगा था और टिकट न मिलने के कारण उसपर निराशा छायी थी और दूसरी जिम्मेदारी हमारी मोदी सरकार पर जाती है, जिसके विरोध में गजेन्द्र मरने से पहले नारे लगा रहा था. ऐसे में अपने दिमाग के द्वार खोलते हुए हमें सही बात ही कहनी चाहिए और सही बात यही है कि आप या केजरीवाल गजेन्द्र की मौत के उत्तरदायी नहीं और गजेन्द्र की मौत होने के बावजूद रैली को जारी रखना उनकी दिलेरी और सिस्टम के प्रति गजेन्द्र की नाखुशी का साथ ही देना है जिसके कारण गजेन्द्र को मौत का मुंह चुनना पड़ गया उसे घर लौटने का रास्ता नहीं मिला. गृह मंत्री राजनाथ सिंह का आप को ये कहना कि -”जब गजेन्द्र पेड़ पर चढ़े थे तो लोग तालियां बजा उन्हें उकसा रहे थे. नेता भाषण दे रहे थे.” तब किसान गजेन्द्र केवल पेड़ पर चढ़ा था वह मरने की सोच रहा है, यह किसी को गुमान नहीं था. इसलिए किसान गजेन्द्र की मौत पर व्यर्थ का दोषारोपण छोड़ते हुए हमें आगे ऐसे उपाय सोचने चाहिए, जिसके कारण हमारे किसान मौत की ओर अग्रसर न होते हुए अपने कार्य में ही इस विश्वास से जुटें कि ये देश हमारा है और हर परिस्थिति में हमारे साथ है .
एक टी वी के लाइव कार्यक्रम में जज्बाती आशुतोष ने कहा, ‘मेघा तुम मेरी बेटी हो, मैं तुम्हारा गुनहगार हूं. मैं उसे नहीं बचा पाया.’ इस पर मेघा ने कहा, मैं कहना चाहती हूं कि इस पर सारी पार्टियां राजनीति न करें. कांग्रेस बीजेपी पर और बीजेपी AAP पर इस तरह दोष न लगाएं.
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने गजेंद्र की बेटी नेहा, मां और बाकी परिजनों से मुलाकात की, आप की पार्टी फंड से १० लाख का चेक उनके परिजनों सौंपा. परिजनों ने कहा कि गजेंद्र किसानों के मुद्दे पर शहीद हुए हैं, इसलिए दिल्ली सरकार उन्हें शहीद का दर्जा दे. परिजनों ने दिल्ली सरकार से परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी देने की भी मांग की है. उन्होंने कहा कि इस दोनों मांगों के बारे में वह केजरीवाल को बताएंगे. गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुबह गजेंद्र की मौत के लिए माफी मांगी थी,
एक बार फिर अरविंद ने मीडया को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा, ‘पुलिस जांच कर रही है, मैजिस्ट्रेट जांच कर रहा है… जांच पूरी होने दो. जो दोषी पाया जाता है उसे फांसी दे दो. लेकिन चर्चा का असल विषय यह है कि किसान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं. अरविंद ने कहा कि असल मुद्दा है किसान और इस बारे में कोई बात नहीं कर रहा. मुझे तीन मुख्य मुद्दे नजर आ रहे हैं, जिनके ऊपर चर्चा होनी चाहिए. ये हैं- १. हम सब लोग एक देश के तौर पर मानें कि किसानों की मर्जी के बिना उनकी जमीनें न छीनी जाएं. २. किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम दिया जाए. लागत से 50% ज्यादा दाम मिलना चाहिए. ३. किसान की खेती बर्बाद हो, तो उसको मुआवजा उसका हक होना चाहिए. इससे आत्महत्या रुकेगी.
स्पीकर सुमित्रा महाजन ने चर्चा के लिए 12 बजे का वक्त तय किया। इसके बाद सदन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा शुरू हो गई, मगर विपक्ष के सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे. स्पीकर ने कहा कि सदस्य शांति बनाए रखें, मगर ‘होश में आओ, होश में आओ’ की नारेबाजी जारी रही। हंगामा न थमता देखर स्पीकर ने सांसदों को कड़ी फटकार लगाई. उन्होंने कहा, ‘कल बचाने गए थे (किसान को)? अब दिखा रहे हो….’ बावजूद इसके सांसदों पर कोई असर नहीं हुआ। इस पर उन्होंने कहा, ‘किसी को भी गरीब किसान की कोई फिक्र नहीं है. सब अपनी राजनीति करने में लगे हुए हैं.’
अंत में भूकम्प से प्रभावित नेपाल और भारत के सभी नागरिकों के साथ पूरी संवेदना व्यक्त करता हूँ. इस संकट की घड़ी में हम सभी एक दूसरे की हर संभव मदद करें! सादर

– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh