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सौदामिनी नित्य शुबह उठ अपने गायों को बाहर निकालती, उन्हें चारा डालती और उनके बछड़ों को भी लाड़ करती!
गायों के आस पास के गन्दगी को साफ़ करती. फिर घर के कामों में लग जाती. उसका पति तब सोकर उठता और एक दो डांट पिलाकर गायों को देखता – अरे, कौन सा चारा डाल दी है, गायें खा नहीं रही. कल ही तो लाया था चोकर और दलिया, बिना उसके गायें दूध क्या देंगी!
थोड़ा इधर उधर कर कुछ पैसे अपनी पत्नी से लेकर निकल जाता गला तर करने हेतु. जब तक वो आता दूध दुहने वाला ग्वाला आकर बारी बारी से सभी गायों का दूध निकालता. जब तक गायों से दूध निकालने(दुहने) का कार्य जारी रहता, सौदामिनी कपडे के झालर से गायों को हवा करती रहती, ताकि दूध निकालते समय कोई मक्खी-मच्छर गायों को तंग न करे. गायें भी सौदामिनी को ही पहचानती है. उसका कहना मानती है. जो गायें दूसरों को अपने सींघ पर उठा लेती है सौदामिनी के सामने आकर शांत हो जाती है.
गायों के दूध से जो पैसा मिलता उसी से सौदामिनी का घर चलता गायों के लिए भी खल्ली-चोकर और चारा की ब्यवस्था होती. कोई गायें दूध देना बंद करती तो नई गाय भी आ जाती या दूसरी गायें बच्चा देकर दूध देने के लिए तैयार हो जाती. दूध लेने वाले ज्यादातर ग्राहक परमानेंट (स्थाई) ही हैं. कभी किसी को ज्यादा दूध की जरूरत हो तो ब्यवस्था कर देती या कोई गाय अगर किसी दिन किसी कारण वश दूध न देती तो उसका खामियाजा ग्राहक को ही भुगतना पड़ता यानी अगर आप दो किलो दूध ले रहे हैं तो आपको उस दिन डेढ़ किलो से ही संतोष करना पड़ेगा या ज्यादा विलम्ब से आने पर नहीं भी मिल सकता है. पानी में दूध मिलाने का धंधा वो नहीं करती है. कभी कभी कोई गायें बीमार होकर मर जाती तो उसे बहुत नुक्सान होता. कई दिन तक सौदामिनी का चेहरा सूखा रहता वैसे वह हमेशा मुस्कुराती ही रहती है. सभी के साथ व्यवहार कुशल दिखती है.
एक दिन मैं यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि सौदामिनी का पति गायों के खटाल में आना चाह रहा है और एक गाय उसे आने से रोक रही है. सौदामिनी अपने पति को दूर रहने को कह रही है – उधर ही रहो न थोड़ी देर … मैंने पूछा – “क्या हुआ?” … “वो पीया हुआ है न इसी लिए गाय उसे पास नहीं आने दे रही है”. गाय के इस अद्भुत गुण को देखकर मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि गाय क्यों अन्य पशुओं से अलग है और इसे हम सब क्यों गोमाता कहते हैं. बाकी अन्य गुणों से आप सभी परिचित हैं ही … जय गोमाता की
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