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नीतीश बनाम मोदी (बिहार में चुनावी बिगुल)

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२५ जुलाई को तय कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे पर आये. पटना से कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करने के मौके पर सीएम नीतीश कुमार ने पीएम से सात सवाल पूछे। उधर, पीएम मोदी ने नीतीश कुमार की मौजूदगी में उनके सहयोगी और आरजेडी के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा। हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि पीएम बिहार के लिए स्पेशल पैकेज देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पीएम मोदी ने कहा, ‘मुझे याद है कि पिछली रैली में मैंने वादा किया था कि हमारी सरकार बनी तो बिहार को 50 हजार करोड़ रुपए का स्पेशल पैकेज देंगे। मैं मानता हूं कि 50 हजार करोड़ रुपए बिहार के लिए कुछ नहीं हैं, बिहार को ज्यादा की जरूरत है। लेकिन मैं इस पैकेज के लिए उचित समय का इंतजार कर रहा हूं।’
मोदी ने कहा, ‘नीतीश जी ने कहा है कि उन्हें मोदी जी पर पूरा भरोसा है। बिहार और पूर्वी भारत का विकास हमारा प्राइम एजेंडा है। इसके लिए कई योजनाए लाने वाले हैं।’ उन्होंने कहा कि पहले बिहार को 1.5 लाख करोड़ रुपए मिलते थे, 2015-20 में 3.75 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपए की लागत के सड़कों का काम मंजूर कर दिया है। मोदी ने लालू प्रसाद यादव पर निशाना साधा, ‘अटल जी के समय में जो काम छह महीने में पूरा हो जाता, वह 2015 में भी पूरा नहीं हुआ। मैं नीतीश जी से सहमत हूं कि अटल जी की सरकार को छह महीने और मिल जाते तो रेल लाने का काम तभी पूरा हो जाता, क्योंकि नीतीश जी तब रेल मंत्री थे। फिर तो बिहार से ऐसे रेल मंत्री आए कि विकास ही नहीं हुआ।’
वरिष्ठ पत्रकारों ने इसे नहले पे दहला कहा. साथ ही दोनों को मंजा हुआ राजनीतिज्ञ कहा.
मोदी ने इस मौके पर अपने राज्य गुजरात का भी जिक्र किया और कहा कि गुजरात में लक्ष्मी और बिहार में सरस्वती का वास है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य को मिलकर काम करना होगा। देश के विकास के लिए राज्यों का विकास जरूरी है।
मुजफ्फरपुर के चुनावी सभा में नरेन्द्र मोदी ने कहा – ‘एक वक्त था जब नीतीश जी मुझे बिहार आने से रोकते थे। अब देखिए ट्वीट कर स्वागत कर रहे हैं। अपनों(पुराने सहयोगी) का विरह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। देखिए किस कदर दुखी हैं। अब मैं आ गया हूं। अब आपको ज्यादा विरह नहीं झेलना पड़ेगा।’ – व्यंग्यात्मक तंज का बेहतरीन नमूना.
मोदी ने नीतीश पर हमला करते हुए कहा, ‘मैं इतना बुरा था तो एक कमरे में आकर चांटा मार दिए होते। गला घोंट दिया होता। लेकिन आपने तो बिहार के विकास का ही गला घोंट दिया। बिहार चुनाव युवाओं का भविष्य बदलने के लिए है। आपने सबको आजमा लिया है, अब एक बार हमें भी आजमा लीजिए। बिहार को मैं कितनी प्राथमिकता देता हूं इस बात से भी अंदाजा लगा सकते हैं कि बिहारी सांसदों को केंद्र ने अहम जिम्मेदारियां दी हैं। जो यह कहते थे कि हम मोदी को बिहार में नहीं आने देंगे, प्रवेश नहीं करने देंगे यदि उनकी सरकार बनती है तो क्या वे विकास कर पाएंगे? क्या केंद्र से लड़ाई करने वाली सरकार बिहार का विकास कर पाएगी?’ …दिल्ली में इसका परिणाम सब देख ही रहे हैं! एक चेतावनी के रूप में भी इसे देखा जा सकता है? मोदी ने कहा कि बिहार में देश की तकदीर बदलने की ताकत है। उन्होंने कहा कि बिहार में संसाधन की कमी नहीं है। पीएम ने कहा कि बिहार की ये परेशानियां ज्यादा से ज्यादा सौ दिनों की हैं। मोदी ने कहा कि बिहार की जनता अब ज्यादा दिनों तक झेलने वाली नहीं है। …वैसे देश की जनता तो मोदी जी के प्रयासों का परिणाम देख ही रही है ! इस रैली में मोदी ने आरजेडी का मतलब ‘रोजाना जंगल राज का डर’ बताया। मोदी ने रैली में आए लोगों से पूछा कि क्या आपको रोजाना जंगल राज का डर चाहिए? ऐसी परिभाषाएं गढ़ने में मोदी जी को महारत हासिल है. समयानुसार हर शब्दों की व्याख्या वे अपने हिशाब से कर लेते हैं.
मोदी ने कहा कि शनिवार को मैंने बिहार में कई योजनाओं का उद्घाटन किया। हजारों-करोड़ों रुपये का पैकेज दिया। 2010 से 15 में पिछली सरकार ने बिहार को डेढ़ लाख करोड़ दिया था। मैंने बिहार को पौने चार लाख करोड़ रुपया देने का फैसला किया है। …वैसे इस तरह के वादे तो बहुत सारे किये थे, देश के सामने! कितना समय लगेगा उन्हें पूरा करने में यह तो अमित शाह जी बाद में बताएँगे ही!
मुजफ्फरपुर की रैली से पहले श्री मोदी ने श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल पटना में विज्ञानिकों से जो बातें की वह मुझे राजनीतिक कम, व्यावहारिक ज्यादा लगी. उन्होंने कहा – भारत के झंडे में चार रंग हैं और हमें चतुरंगी क्रांति की आवश्यकता है. देश को केसरिया यानी ऊर्जा क्रांति, सफेद यानी दुग्ध क्रांति, हरा यानी खेती संबंधी क्रांति और नीला यानी पानी से सम्बंधित मत्स्य उद्योग को बढ़ावा देने की जरूरत है. केंचुआ बन सकता है स्वच्छता अभियान और ऑर्गेनिक खेती का सबसे बेहतरीन संसाधन. ऑर्गेनिक खेती का दुनिया में बड़ा बाजार, मांग ज्यादा है, इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए.शहद उत्पादन में कम खर्च में किसान को मिलता है ज्यादा फायदा साथ ही एक बात उन्होंने बताई कि मधुमक्खियों के डर से हाथी नहीं आते अत: जहाँ हाथी फसलों को बर्बाद कर देते थे उससे भी छुटकारा मिलेगा. हमारे किसानों ने दलहन और तिलहन को रिकॉर्ड उत्पादन किया इससे तत्काल फायदा पूरे देश को होने वाला है. गैस वाले कोल्ड ड्रिंक्स में अगर 1 से 5 फीसदी नैचरल फलों का जूस मिलाया जाए तो फल कभी फेंके नहीं जाएंगे और उसके लाभ भी ज्यादा होंगे.
वैज्ञानिकों की खोज के बिना बड़ी कंपंनियों को अपनी बात मनवाना मुश्किल होता है. उन्होंने वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि ऐसी तकनीक विकसित करें कि किसानों के उत्पाद खासकर फल एवं सब्जियों को जल्द ख़राब होने से रोका जा सके. दूसरी हरित क्रांति पर कैसे काम हो, इसके मॉडल पर काम होना चाहिए. महिलाएं अंचार को लंबे समय तक सुरक्षित रखती थीं यानी विज्ञान उनकी पहुंच तक था. साथ ही ग्रामीण भारत में अनाज सुरक्षित रखने के लिए बनाई जानी वाली कोठियों की भी प्रशंशा की. रोड बनाने के लिए खूब रिसर्च होते हैं, कैनाल बनाने के लिए भी रिसर्च किया जाना चाहिए. हर क्षेत्र के वैज्ञानिकों को साथ मिलकर सेकंड ग्रीन रीवैल्यूशन पर वर्कशॉप करनी चाहिए. जब तक वैज्ञानिकों की मेहनत खेत में नहीं दिखती, संतोष नहीं हो सकता हर किसान को वैज्ञानिक बनाना होगा, लैब टू लैंड की कोशिश करेंगे, किसानों को भाषण काम नहीं आता, जब तक वह अपनी आंख से नहीं देखेगा, किसी बात को नहीं मानेगा. वैज्ञानिकों द्वारा लैब में पाई जाने वाली सफलता को किसानों द्वारा धरती पर भी कसना चाहिए वैज्ञानिकों की जिंदगी का महत्वपूर्ण समय लैब में बीत जाता है, वैज्ञानिकों को सम्मान और बल मिलना चाहिए पुसा का जन्म बिहार से हुआ, हमने इसे वापस लाने की कोशिश की, दिल्ली में इसकी जरूरत नहीं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमले पर जमकर पलटवार किया। उन्होंने मोदी के हर एक आरोप का जवाब दिया। जवाब देने के लिए पूरी तैयारी करके आए नीतीश ने अपने पुराने भाषण का विडियो क्लिप भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाया। इससे पहले एनडीए की परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला था। मोदी के दावों को किया खारिज. खैर, यह सब चुनावी दौर में हमले होंगे और आरोप-प्रत्यारोप लगेंगे. जनता को फैसला करना है वो क्या चाहती है? नीतीश का बिहार का विकास मॉडल या मोदी जी के लम्बी चौड़ी घोषणाओं पर फिर से भरोसा करना.
-जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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