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पी एम का वाराणसी और लखनऊ दौरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार सुबह वाराणसी में डीजल रेल इंजन कारखाना (डीरेका) मैदान में 9000 से ज्यादा विकलांगों को उपकरण बांटकर रिकॉर्ड बनाया। मोदी ने खुद कई बच्चों को उपकरण, हाईटेक छड़ी, ट्राइसाइकिलें बांटी। पी एम मोदी ने इस मौके पर यह भी कहा कि उनपर लगातार हमले हो रहे हैं, लेकिन वे विचलित नहीं हैं। पीएम मोदी ने इस मौके पर नई मॉडल रेलगाड़ी महामना एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह रेलगाड़ी वाया लखनऊ हफ्ते में तीन दिन दिल्ली के लिए चलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब किसी को विकलांग कह कर परिचय कराया जाता है तो नजर उस अंग पर जाती है जो काम नहीं करता। जबकि असलियत यह है कि विकलांग के पास भी ऐसी शक्ति होती है जो आम लोगों के पास नहीं होती। इनके पास दिव्य विशेषता होती है। इनके अंदर जो विशेष शक्ति है, उसे मैं दिव्यांग के रूप में देखता हूं।”

हालाँकि विकलांग लोगों के कई संगठनों ने समुदाय को संबोधित करने के लिए ‘दिव्यांग’ शब्द के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी से ‘विकलांग’ शब्द की जगह इसका इस्तेमाल ना करने की अपील की। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल 27 दिसंबर को अपने रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक ‘दिव्य क्षमता’ है और उनके लिए ‘विकलांग’ शब्द की जगह ‘दिव्यांग’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। संगठनों ने कहा, ‘हम दोहराना चाहेंगे कि विकलांगता कोई दैवीय उपहार नहीं है। ‘दिव्यांग’ जैसे वाक्यांशों के इस्तेमाल से किसी भी तरह से अपयश नहीं हट जाएगा या विकलांगता के आधार पर भेदभाव खत्म नहीं हो जाएगा।’ उन्होंने कहा कि सरकार को विकलांगों को देश के आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन में प्रभावशाली तरीके से हिस्सा लेने से रोकने वाली सांस्कृतिक, सामाजिक, शारीरिक और सोच संबंधी बाधाओं के कारण विकलांगों से जुड़े अपयश, भेदभाव और हाशिये पर डालने के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
इससे पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचकर महामना एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। आरामदायक सीटों वाली सुपरफास्ट रेलगाड़ी, महामना एक्सप्रेस में सफर करने के लिए यात्रियों में जबर्दस्त उत्साह दिखा। गुरुवार को रेलगाड़ी का रिजर्वेशन खुलते ही अगले एक सप्ताह तक के लिए सभी सीटें फुल हो गईं। यह स्थिति तब है, जब इस गाड़ी का किराया अन्य मेल एक्सप्रेस से 15 फीसदी अधिक है। इस रेलगाड़ी का संचालन 25 जनवरी से शुरू होगा। इसके बाद 22418 नई दिल्ली से सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को और वाराणसी से 22417 मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को जाएगी।
लखनऊ में डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान कुछ युवाओं ने ‘मोदी गो बैक’ के नारेबाजी की। यह भी प्रधान मंत्री मोदी की सभा में शायद पहली बार हुआ है. अभी तक देश विदेश में सिर्फ मोदी मोदी के ही नारे लगा करते थे. नारे लगाने वाले छात्रों को सुरक्षाकर्मियों ने बाहर निकाल दिया और कुछ को हिरासत में ले लिया गया, बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ भी दिया। अब खबर यह भी है कि उन छात्रों को यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस से निकाल दिया गया है। यानी विरोध करना सख्त मना है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या के मामले का जिक्र करते हुए भारी मन से कहा कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, एक मां ने अपना बेटा खोया है। इस बात को कहते हुए पीएम मोदी भावुक हो गए। इस दौरान वे थोड़ी देर तक चुप रहे। उन्होंने कहा कि मां भारती ने अपना एक लाल खोया है।
प्रधान मंत्री ने भी उन नारों पर कुछ नहीं बोला। कुछ छात्रों की नारेबाज़ी सामान्य घटना नहीं है खासकर प्रधानमंत्री की सभा का बंदोबस्त काफी चाकचौबंद होता है। नारेबाज़ी करने वाले छात्रों ने भी जोखिम की परवाह नहीं की। अपने भाषण के अंतिम चरण में रोहित वेमुला का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गए। मां भारती ने अपना लाल खोया है इससे भी ज़्यादा कह सकते थे ताकि इस घटना से नाराज़ तबके में भरोसा पैदा होता और तमाम विश्वविद्यालयों को संदेश जाता कि किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। लेकिन प्रधानमंत्री का भाषण समाप्त होते ही न्यूज़ चैनलों पर फ्लैश होने लगा कि मानव संसाधन मंत्री ने रोहित की आत्महत्या से जुड़ी तमाम परिस्थितियों और तथ्यों की जांच करने के लिए न्यायिक आयोग के गठन का फैसला किया है। यह आयोग तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। स्मृति ईरानी ने रोहित की मां से बात की और अपनी संवेदना व्यक्त की।
मानव संसाधन मंत्रालय ने दो सदस्यों की एक जांच टीम हैदराबाद भेजी थी, टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इस घटना का असर देश के विश्वविद्यालयों में दिखना चाहिए बल्कि एक जगह से दिखने की खबर भी आई है। कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद गुरुवार को अजमेर में राजस्थान सेंट्रल युनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें छह अन्य प्रोफेसरों के भी नाम हैं। इन सभी पर पीएचडी के छात्र उमेश जोनवाल ने आरोप लगाया है कि गाइड उल्लास जाधव ने वी सी से मिलकर परेशान किया और विश्वविद्यालय से निकलवा दिया। पिछले अक्टूबर में जब जोनवाल ने शिकायत की थी तब पुलिस ने एफआईआर भी नहीं की थी। गुरुवार को कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज किया गया है। जोनवाल को 15 दिन तक अनुपस्थित रहने के कारण विश्वविद्यालय से निकाल दिया गया था।
अभी भी सात छात्र भूख हड़ताल पर हैं। दस छात्रों के संगठन ने मिलकर एक ज्वाइंट ऐक्शन कमेटी बनाई है। इसमें एबीवीपी नहीं है। शुक्रवार को जनरल बॉडी मीटिंग भी हुई ताकि स्थिति सामान्य हो सके लेकिन इस्तीफा देने वाले प्रोफेसरों और छात्रों ने विरोध किया और कहा कि वी सी का इस्तीफा होना चाहिए। रोहित वेमुला के सुसाइड नोट को भी फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। रोहित के सुसाइड नोट में कई जगहों पर काटा गया है। उस पर रोहित ने लिखा है कि ये लाइन उन्होंने खुद काटी है फिर भी इनकी फोरेंसिक जांच कराई जाएगी। हमारी जिन पंक्तियों को काटा गया है उससे ज़ाहिर होता है कि रोहित जिन संगठनों के लिए काम करता था, उन्हें लेकर भ्रमित था और उनसे कुछ मतभेद थे। सुसाइड नोट से ऐसा ज़ाहिर होता है कि रोहित ने कहा है कि ए एस ए और एस एफ आई अपने हित के लिए ही काम करते हैं। पुलिस यह भी जांच करेगी कि रोहित का पता लगाने में छह घंटे क्यों लगे। बुधवार की प्रेस कांफ्रेंस में स्मृति ईरानी ने कहा था कि कार्यकारी परिषद की उप समिति के मुखिया दलित प्रोफेसर थे। उनके इस दावे को गलत बताते हुए 14 दलित और अन्य समुदाय के प्रोफेसरों ने अपने प्रशासनिक दायित्वों से इस्तीफा दे दिया। इस मामले पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की तरफ से कोई सफाई नहीं आई है।
केरल के कोट्टायम में गर्वनमेंट आर्ट कॉलेज में ABVP और SFI के सदस्यों के बीच मारपीट में सात छात्र घायल हो गए। एबीवीपी और एसएफआई के नेताओं को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कौन तय करेगा कि कौन राष्ट्रविरोधी है और किस मुद्दे पर हम आपको विचार करने की छूट देंगे और इस मुद्दे पर नहीं देंगे। अलग-अलग विचारधाराएं अगर एक दूसरे से संघर्ष करते हुए संवाद नहीं कर सकती हैं तो फिर उनकी आक्रामकता दादागीरी क्यों न मानी जाए। चाहे वो SFI हो या ABVP या NSUI।
इन दोनों प्रकरणों के आधार पर मेरा सिर्फ यही मत है कि सामाजिक, शारीरिक, शैक्षणिक, राजनीतिक तथा आर्थिक रूप से अशक्त लोगों के साथ सहानुभूति के साथ कुछ सुविधा देनी चाहिए। उनकी भावना, उनकी बात को भी सुनी जानी चाहिए। उन्हें भी मुख्यधारा में लाने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। महात्मा गाँधी ने दलितों को हरिजन कहा था पर उनके प्रति भेदभाव आज भी जारी है। मोदी जी ने विकलांगों को दिव्यांग कहा है, पर जरूरत है उनसे भेदभाव से अलग सहानुभूतिपूर्वक समान रूप से ब्यवहार करने की। अन्यथा लोग राजनीति की रोटियाँ सेंकेंगे। मुद्दे को तूल देंगे और मोदी जी के प्रवाह में अवरोध पैदा करने की कोशिश करेंगे। अत: मोदी जी और उनके तमाम सहयोगियों को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। जयहिंद!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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