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एयर फोर्स में फाइटर प्लेन उड़ानेवाली महिलाएं !

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१८.०६.२०१६ का दिन भारतीय महिलाओं के लिए ख़ास है। भारतीय वायुसेना को पहली बार तीन ऐसी महिला अफ़सर मिलीं हैं, जो बाद में जाकर फाइटर पायलट बनेंगी। फ्लाइंग कैडेट भावना कंठ, मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी को हैदराबाद के पास वायुसेना एकेडमी में कमीशन दिया गया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर तीनों को फ़ाइटर पायलट की ट्रेनिंग का एलान किया गया था। इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट ये तीनों युवा महिलाएं अपनी शुरुआती ट्रेनिंग पूरी कर चुकी हैं। अब इनकी एक साल की एडवांस ट्रेनिंग कर्नाटक के बीदर में होगी।
क्या कहती हैं तीनों ऑफिसर्स…
भावना कहती हैं कि मेरा बचपन का सपना था कि मैं लड़ाकू विमान की पायलट बनूं। जहां चाह होती है, वहां राह होती है। महिला और पुरुष में कोई अंतर नहीं होता है। दोनों में एक ही तरह की हुनर, क्षमता क्षमता होती है कोई भी खास अंतर नहीं होता है। मोहना कहती हैं कि मैं तो ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाना चाहती थी लेकिन मेरे प्रशिक्षक ने मुझे लड़ाकू विमान के लिये प्रेरित किया। लड़ाकू विमानों का करतब और उनकी तेजी की वजह से मैं यहां पर हूं।
अवनी का कहना है कि हर किसी का सपना होता है कि वो उड़ान भरें। अगर आप आसमान की ओर देखते हैं तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता है। आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है तो एक सपना पूरे होने के सरीखा है।
फ्लाइंग कैडेट्स भावना कांत, अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह ने शनिवार को इंडियन एयरफोर्स में इतिहास रच दिया। एयरफोर्स में कमीशन मिलने के साथ ये ऐसी पहली वुमन पायलट्स बन गई हैं, जो फाइटर जेट्स उड़ाएंगी। शनिवार सुबह हैदराबाद के हकीमपेट में इनकी पासिंग आउट परेड हुई। डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर इस मौके पर मौजूद थे। एयरफोर्स चीफ कह चुके हैं- नहीं बरती जाएगी कोई रियायत…
एयरफोर्स चीफ अरूप साहा पहले ही कह चुके हैं कि इन पायलट्स को महिला होने की कोई रियायत नहीं मिलेगी। उन्हें फोर्स की जरूरत के हिसाब से तैनात किया जाएगा। 2017 में वे पूरी तरह से फाइटर पायलट बन जाएंगी। इनकी एक साल की एडवांस ट्रेनिंग कर्नाटक के बीदर में होगी। तीनों पायलट्स की फ्लाइंग ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स एकेडमी में हुई थी।
ट्रेनिंग में उन्होंने उड़ान के दौरान आने वाली हर मुश्किलों का सामना करना सीख लिया है।
ट्रेनिंग के एक्सपीरियंस, तीन पायलट्स की जुबानी
1. अवनि चतुर्वेदी- दूसरी उड़ान के कुछ देर पहले कैंसल करना पड़ा था टेकऑफ
अवनि ने कहा था, ”दूसरी सोलो फ्लाइंग के कुछ मिनट पहले ही मुझे टेकऑफ कैंसल करना पड़ा था। फर्स्ट मार्कर के पास जैसे ही टेकऑफ के लिए रोलिंग शुरू की, मैंने कैनोपी वॉर्निंग सुनी।” उन्होंने कहा कि शुरुआत में वॉर्निंग उन्हें कन्फ्यूज्ड कर देती थी। पर अब ऐसा नहीं होता। उनका कहना है, ”पायलट को एक सेकंड से भी कम वक्त में फैसला लेना होता है कि कहीं मैंने टेकऑफ में एबोर्टिंग डिले तो नहीं कर दिया या ओपन कैनोपी में एयर तो नहीं आ गई। ये तबाही का कारण बन सकता है।”
2. भावना ने कहा- मैं सोचने लगी, अगर एयरक्राफ्ट ने रिस्पांड नहीं किया तो
20 हजार फीट पर पहली सोलो स्पिन फ्लाइंग पर जाने से पहले भावना कांत के दिमाग में भी कई विचार आए थे। उन्होंने कहा, ”मैं डाउट करने लगी कि कहीं एयरक्राफ्ट ने रिस्पॉन्ड नहीं किया तो क्या होगा?” ”हालांकि, मैं स्पिन के लिए गई और बतौर पायलट उसे पूरा किया। रिकवरी एक्शन ड्रिल ने हमें उबारा। जैसे ही एयरक्राफ्ट स्पिन से रिकवर हुई, वैसे ही मेरा कॉन्फिडेंस भी रिकवर हुआ।”
3. मोहना सिंहः पहली ही फ्लाइंग में हुआ था खराब मौसम से सामना
फ्लाइंग कैडेट मोहना सिंह को पहली ही फ्लाइंग में खराब मौसम से जूझना पड़ा था।
”पहली नाइट फ्लाइंग में आसमान में तारों और जमीन पर लाइट के बीच अंतर नहीं कर पा रही थी।” ”इसके कारण उतनी ऊंचाई पर एयरक्राफ्ट मेंटेन करना मुश्किल हो गया था।”
”इस दौरान मैंने सीखा कि अपने सिर को बिना वजह मूव न करो और फिर मैंने कंट्रोल पूरा कर फ्लाइट को रिकवर किया।”
कौन हैं ये तीनों पायलट?
अवनि मध्य प्रदेश के रीवा से हैं। उनके पिता एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और भाई आर्मी में हैं।
भावना बिहार के बेगूसराय की रहने वाली हैं। उसके पिता इंडियन आयल कारपोरेशन में हैं।
मोहना गुजरात के वडोदरा की हैं। उनके पिता एयरफोर्स में वारंट अफसर हैं।
तीनों फोर्स में महिलाओं की क्या है स्थिति?
1. एयरफोर्स
महिलाओं की हिस्सेदारी 8.5 फीसदी है, जो तीनों फोर्स में सबसे ज्यादा है।
एयरफोर्स में वुमन पायलट्स ने अब तक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर ही उड़ाए हैं। फोर्स की सात विंग में महिलाएं काम करती हैं- एडमिनिस्ट्रेशन, लॉजिस्टिक्स, मीट्रियोलॉजी, नेविगेशन, एजुकेशन, एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और अकाउंट्स।
एयरफोर्स में कुल 1500 महिलाएं हैं। इनमें से 94 पायलट हैं, जबकि 14 नेविगेटर हैं।
2. नेवी महिलाओं की हिस्सेदारी 2.8 फीसदी है। अभी नौसेना में भी महिला अफसरों को वॉरशिप पर जाने की इजाजत नहीं है।
3. आर्मी महिलाओं की हिस्सेदारी 3 फीसदी है। आर्मी में भी बॉर्डर पर जंग जैसे हालात में महिलाओं को भेजने की इजाजत नहीं है। आर्मी में ज्यादातर महिलाएं एडमिनिस्ट्रेटिव, मेडिकल और एजुकेशनल विंग में काम करती हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं कि हमारे देश की महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं। हमारे देश में महिलाएं राष्ट्रपति, राज्यपाल, लोकसभा अध्यक्ष और मुख्य मंत्री भी बन चुकी हैं। आईएएस, आईपीएस अधिकारियों में दिन प्रतिदिन वृद्धि हो रही है. अधिकांश महिलाएं अपने अपने क्षेत्रों में आश्चर्यजनक रूप से सफलता की सीढियां चढ़कर अच्छे परिणाम सामने आये हैं। पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी से हम सभी परिचित हैं। और भी कई महिला आईपीएस अधिकारी अभी हाल ही में लेडी सिंघम का रूप भी अपना चुकी हैं।
दिनांक 21-05-2016 को समय 11:00 बजे श्रीमती अपर्णा कुमार आईपीएस (उ.प्र. कैडर) पुलिस उपमहानिरीक्षक तकनीकी सेवाएं, उ.प्र. द्वारा विश्व की सबसे ऊॅची पर्वत चोटी माउण्ट एवरेस्ट पर फतह हासिल कर भारत एवं उ.प्र. पुलिस का ध्वज फहराया। श्रीमती अपर्णा कुमार अखिल भारतीय सेवा के पुरूष एवं महिलाओ में देश की पहली महिला हैं, जिन्होंने यह कीर्तिमान स्थापित किया है।
उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले की महिला कलेक्टर किंजल सिंह की भी अजीब दास्तान है। उनके सामने ही आज से तीस साल पहले उनके पिता की हटी कर दी गयी थी। तभी से वह अपनी पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के साथ महिला अधिकारी बनने में भी कामयाब हुईं। हाल ही में उन्होंने एक बुजुर्ग महिला से सब्जी खरीदी और उसपर ऐसी द्रवित हुई कि उसी दिन उसकी कायाकल्प को चमत्कारी रूप से बदल दीं।
मध्यद प्रदेश के सिंगरौली में एक महिला अधिकारी का ‘लेडी सिंघम’ अवतार सामने आया है। इन्होंनने फर्जीवाड़े के आरोप में एक पंचायत सचिव को सरेआम सजा देते हुए उठक-बैठक कराई। इस महिला अधिकारी का नाम निधि निवेदिता है, जो जिला पंचायत सीईओ हैं।
उदाहरण बहुत सारे हैं, पर दुःख की बात यही है कि विधाता ने उन्हें शारीरिक रूप से और भावनात्मक रूप से कमजोर बनाया है। अक्सर वे या तो शारीरिक या मानसिक रूप से सताई जाती रही हैं। अगर सुन्दर हुईं तो भी, असुंदर हुईं तब भी वे प्रताड़ित होती रहती हैं। प्रतिदिन अखबारों में जो ख़बरें आती रहती हैं वह विचलित कर देने वाली होती हैं। क्या पुरुष समाज क्या उन्हें बराबरी का मौका नही देना चाहता। आखिर महिलाओं को ही अपनी लड़ाई स्वयं लड़कर जीतनी होगी ऐसा मेरा मानना है। शौम्य, सुशील, शालीन के साथ बलिष्ठ भी बनना होगा। पुरुषों की चुनौती से मुकाबले के लिए हमेशा तैयार रहना होगा। पुरुष समाज को भी अपनी सोच में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना होगा। महिला शक्ति को नमन! जयहिंद!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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