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कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए ‘वाजपेयी पथ’ – महबूबा मुफ्ती

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जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार (२७.०८.१६) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कश्मीर मुद्दे का समाधान अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं कर सके, तो यह काम कोई नहीं कर सकेगा. उन्होंने कश्मीर पर वाजपेयी के सिद्धांतों के आज भी प्रासंगिक होने का उल्लेख करते हुए कहा कि वाजपेयी की नीति के अनुरूप पाकिस्तान से बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ाना चाहिए व कश्मीर में हुर्रियत सहित सभी पक्षों से वार्ता करनी चाहिए.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर में सभी हितधारकों के साथ वार्ता की खातिर वार्ताकारों के एक संस्थागत तंत्र का गठन किया जाना चाहिए जो देश के भीतर के पक्षकारों और साथ ही पाकिस्तान के साथ बातचीत की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति को आगे बढाए. उन्होंने यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने और कश्मीर घाटी की स्थिति पर चर्चा करने के बाद कहा – ‘‘प्रधानमंत्री हम सभी की तरह जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं. यह हर किसी के लिए चिंता का विषय है. प्रधानमंत्री चाहते हैं कि यह रक्तपात रुके ताकि राज्य मौजूदा संकट से बाहर आए. ‘ जो लोग मर रहे हैं वे हमारे बच्चे हैं.’ कर्फ्यू का मकसद यह है कि लोगों की जान बची रहे, इसलिए कर्फ्यू लगाया गया. यदि हम कर्फ्यू न लगाएं तो क्या करें. उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे युवाओं को पत्थर मारने के लिए उकसाया जाता है. हमारे युवाओं को उकसाना बंद हो. ये मुलाक़ात उस वक़्त पर हुई है जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में अपने दो दिनों के कश्मीर दौरे पर ये साफ़ कर दिया है कि उपद्रवियों के साथ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी. इस बीच पैलेट गन के विकल्प के तौर पर मिर्ची के गोले के इस्तेमाल पर बात भी हुई है.
महबूबा ने पाकिस्तान पर सीधा हमला करते हुए कहा, ‘‘हमारे प्रधानमंत्री ने नवाज शरीफ को अपने शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित करने की साहसिक पहल की और बाद में लाहौर गए. लेकिन बदकिस्मती से इसके बाद पठानकोट में आतंकी हमला हुआ. बाद में जब स्थिति खराब थी और पाकिस्तान कश्मीर में जारी संकट को हवा दे रहा था तब हमारे गृह मंत्री राजनाथ सिंह लाहौर गए, लेकिन एक बार फिर बदकिस्मती से पाकिस्तान ने वह स्वर्णिम अवसर हाथ से जाने दिया और वह शिष्टाचार नहीं दिखाया जो एक मेहमान के प्रति दिखाया जाता है.’
महबूबा ने पीडीपी-भाजपा गठबंधन के वाजपेयी की कश्मीर नीति पर आधारित होने और उसे आगे बढ़ाने की बात कहते हुए याद किया कि उनके पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे का हल हो सकता है, इसका हल केवल वह प्रधानमंत्री कर सकते हैं, जिनके पास दो तिहाई बहुमत हो. ‘अगर मोदी कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ तो फिर यह कभी नहीं होगा. मुझे यकीन है कि प्रधानमंत्री संप्रग के उलट कश्मीर मुद्दे का एक स्थायी हल तलाशना नहीं भूलेंगे.’ महबूबा ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री से राज्य में सभी पक्षकारों के साथ वार्ता करने को कहा और यह एक संस्थागत तंत्र के जरिये ही संभव हो सकता है. उन्होंने आगे कहा, ‘‘कृपया उन लोगों का एक समूह गठित करें जिनपर कश्मीर के लोगों को भरोसा हो, भरोसा हो कि वह जो भी कहेंगे वह दिल्ली में सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचेगी.’
महबूबा ने आगे कहा कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर जाएगा और राज्य के लोगों से संपर्क करने की कोशिशें करेगा. ‘‘इसी तरह मैं पाकिस्तान से कहूंगी कि अगर उन्हें कश्मीर के लोगों की थोड़ी भी चिंता है, तो वे उन लोगों की सहायता करना बंद कर दें जो घाटी के युवाओं को भड़का रहे हैं.’ उन्होंने पाकिस्तान को यह भी सलाह दी कि वह अपने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की नीति का अनुसरण करे जिनकी राय थी कि कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के लिए मौजूदा दुनिया में कोई जगह नहीं है. महबूबा ने हुर्रियत से बातचीत के बारे में पूछे जाने पर कहा कि जो बातचीत करना चाहे, उन सभी के साथ बातचीत होनी चाहिए. लेकिन ‘‘शिविरों एवं पुलिस थानों पर हमला करने के लिए लोगों को भड़काने वालों की बातचीत में दिलचस्पी नहीं है.’ उन्होंने अलगाववादी नेताओं से भी आगे आने और राज्य में ‘‘हिंसा के इस चक्र’ को तोड़ने में अपनी सरकार की मदद करने की अपील की.
गत आठ जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शनों में अब तक 68 लोग मारे गए हैं.
महबूबा ने मीडिया से अपील की कि माहौल को बेहतर करने के लिए सहयोग करें. उन्होंने कहा- मैं जम्मू कश्मीर के उन नौजवान लड़कों से अपील करती हूं कि आप मुझसे नाराज़ हो सकते हैं, मैं आपसे नाराज़ हो सकती हूं लेकिन मुझे एक मौका दीजिए. मेरी मदद कीजिए. उन्होंने कहा, ‘अलगाववादियों को आगे आना चाहिए और निर्दोष लोगों का जीवन बचाने में जम्मू कश्मीर सरकार की मदद करनी चाहिए.’ वह बोलीं, ‘यह समय पाकिस्तान के लिए जवाब देने का है कि वह कश्मीर में शांति चाहता है या नहीं.’
इस सप्ताह की शुरुआत में मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाले राज्य के विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की थी. इस बैठक के बाद मोदी ने कश्मीर की स्थिति को लेकर ‘गहरी चिंता और दुख व्यक्त’ किया था और जम्मू कश्मीर की समस्या का एक ‘स्थायी और दीर्घकालिक’ समाधान तलाशने के लिए सभी राजनीतिक दलों से एक साथ मिल कर काम करने का आह्वान किया था.
तात्पर्य यही है कि मौजूदा या कहा जाय वर्षों से चली आ रही कश्मीर-समस्या का एक मात्र हल बातचीत ही हो सकता है. गोली-बारूद के बदौलत न तो शासन चलाया जा सकता है, नही लोकतान्त्रिक व्यवस्था में यह किसी भी तरह से उचित कहा जाएगा. कानून ब्यवस्था बनाये रखने और नागरिकों को सुरक्षित रखने की जिम्मेवारी राज्य सरकार की होती है. खासकर जब वहाँ भी अभी लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी गयी सरकार है.
मोदी जी ने पकिस्तान के साथ सुलह की हर संभव कोशिश की. साम दाम दंड भेद की नीति भी अपनाई. चाणक्य के अनुसार शत्रु का शत्रु हमारा मित्र होता है इस नीति का अनुसरण करते हुए बलूचिस्तान का मुद्दा छेड़ दिया जिसे विश्वस्तर पर मोदी जी की प्रशंशा हुई है, बलूच लोग मोदी जी से मदद मांगने लगे हैं और वहाँ भारत का झंडा भी लहराया जा रहा है. मोदी जी की इस कूटनीति से पाकिस्तान बौखला गया है और विश्व स्तर पर अपने सहयोगियों को तलाशने में लगा है. पाकिस्तान की पाकिस्तान जाने पर हमें अपने कश्मीर को तो अक्षुण्ण रखना है और शांति बहाल भी करनी है, ताकि वहाँ का जन-जीवन सामान्य हो, विकास और पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा मिले, जिसका सीधा लाभ कश्मीरी जनता को ही मिलनेवाल है. केवल ५ प्रतिशत लोग अशांति के लिए जिम्मेवार हैं और वे बच्चों को आगे कर के पीछे से शिकार कर रहे हैं. प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री के इस पहल का स्वागत किया जाना चाहिए…. ताकि कश्मीर में अमन चैन हो आपसी भाईचारा बढ़े, सौहार्द्र का माहौल बने ताकि गर्व से हम दुनियां में सर उठाकर, अपनी आँख में आँख मिलाकर अपनी बात कह सकें. सीना के जवान अपना काम बखूबी जानते हैं उन्हें उत्साहित किया जाना चाहिए साथ ही हमारे जवान भी सुरक्षित रहें उसकी चिंता भी की जानी चाहिए. एक अच्छे राष्ट्र की यही तो अवधारणा होती है. राजा राजर्षि की तरह व्यवहार करे और जनता अपने आपको सुरक्षित महसूस करे. जयहिंद! जय भारत!

– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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