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मोदी का असर दिखने लगा है

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भारत में उरी हमले में भारतीय सेना के १८ जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में एक प्रतिक्रियात्मक माहौल बन गया था और सभी भारतीय मोदी सरकार को घेरने और और पकिस्तान को जवाब देने की बात करने लगे थे। उसके बाद मोदी सरकार के देख रेख में भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर में घुंसकर आतंकवादियों और उनके कैंप को निशाना बनाया जिसे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का नाम दिया गया। भारत के इस रक्षात्मक कार्रवाई को विश्व के अधिकांश देशों ने समर्थन किया। चाइना ने अगर विरोध किया तो उसके खिलाफ भी भारत में एक अलग माहौल बन गया और चीनी उत्पाद का बहिष्कार करने का फैसला हो गया। अब चीन भी धीरे-धीरे रास्ते पर आ रहा है। फ्रांस, अमेरिका और रूस ने भी भारत के इस रक्षात्मक कदम का समर्थन किया। इसके साथ ही नवम्बर में इस्लामाबाद में होनेवाले सार्क सम्मलेन का जिस तरह से भारत सहित सभी देशों ने बहिष्कार किया, पाकिस्तान बिलकुल अलग-थलग पड़ा गया। यहाँ तक कि पाकिस्तान के अन्दर से भी आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठने लगी।
उधर गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मलेन में भी आतंकवाद का मुद्दा जोर-शोर से छाया रहा और सभी पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अमेरिका ने आतंवाद को खात्मे के लिए संकल्प भी लिया और सभी ने एक स्वर से आवाज बुलंद की है। और तो और ब्रिक्स में भारत सहित कुल पांच देश हैं और शनिवार(१५.१०.१६) को रात डिनर के मौके पर सभी मेहमानों पर मोदी जैकेट का जादू छाया दिखा। १५ अक्टूबर की रात डिनर के दौरान पीएम मोदी तो अपने अंदाज में थे ही बाकि चारों मेहमानों पर भी मोदी जैकेट का जादू छाया हुआ था। पुतिन ब्लू जैकेट में थे तो शी जिन पिंग लाल रंग के मोदी जैकेट में जंच रहे थे। जैकब जुमा और माइकल टेमर पर भी मोदी जैकेट खूब फब रहा था। डिनर लेने से पहले मोदी और चारों मेहमानों ने ओडिशा के कलाकार सुदर्शन पटनायक की बनाई गई रेत की कलाकृति भी देखी। मेजबान मोदी मेहमानों को पांचों देशों की विरासत के बारे में बताते दिखे। इसके बाद ब्रिक्स के बॉस का फोटो सेशन हुआ और फिर मोदी जैकेट में जम रहे मेहमान ड़िनर की टेबल की ओर चले गए।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी का पानी रोकने के बाद दोनों देशों के रिश्ते तल्ख थे। इस मुद्दे के बाद दोनों देशों के नेताओं की यह पहली मुलाकात है। चीन ने तिब्बत में अपनी एक पनबिजली परियोजना के लिए ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी का पानी रोक दिया है। चीन का कहना है कि वो इससे बिजली पैदा करेगा, पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए करेगा और साथ ही इससे बाढ़ पर क़ाबू पाने में मदद मिलेगी। चीन ने इस पनबिजली परियोजना पर वर्ष 2014 में काम शुरू किया था, जिसे वर्ष 2019 तक पूरा करना है।
उरी हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) को जिम्मेदार ठहराया था। नरेंद्र मोदी ने चीन के प्रेसिडेंट से १५ अक्टूबर को मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा अहम रहा। इस दौरान मोदी ने जिनपिंग से कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर मतभेद की गुंजाइश नहीं है। बाद में मोदी ने ट्वीट कर कहा- ‘जिनपिंग के साथ मीटिंग फायदेमंद रही।’ अजहर को बैन करने को लेकर चीन से जारी रहेगी बातचीत…
भारत के विदेश विभाग के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया, ‘दोनों नेताओं ने आतंकवाद पर अहम चर्चा की और इस बात पर राजी हुए कि इससे मुकाबले के लिए साझा कोशिशें बढ़ाने की जरूरत है।’ ‘पीएम मोदी ने जिनपिंग से कहा कि दोनों ही देश आतंकवाद के शिकार हैं और इससे पूरे रीजन में मुश्किल खड़ी हो सकती है।’ चीनी प्रेसिडेंट ने कहा कि दोनों देशों को सिक्युरिटी डायलॉग और पार्टनरशिप को मजबूत करना चाहिए। दोनों देशों के बीच की समानताएं हमारे मतभेदों को कम कर सकती हैं।’
आतंकवाद से निपटने के लिए कॉम्प्रिहेंसिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (सीसीआईटी) पर यूनाइटेड नेशन्स में जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए भारत ब्रिक्स देशों के बीच एकता की पुरजोर वकालत कर सकता है। सीसीआईटी की पहल भारत की ओर से की गई थी, लेकिन यूएन के मेंबर्स के बीच आतंकवाद की परिभाषा को लेकर मतभेद के कारण यह फंसा पड़ा है। आतंकवाद से मुकाबले के लिए भारत ब्रिक्स देशों के बीच ज्यादा सहयोग पर जोर दे सकता है।
हालाँकि ब्रिक्स के समापन के समय ऐसा लगा कि चीन और रूस भारत के रुख का पूरा पूरा समर्थन नहीं कर पाए और चीन पाकिस्तान की ही तरफदारी करता रहा। फिर भी मोदी जी चीन को छोदानेवालों में से नहीं हैं। भारत में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार का असर दिखने लगा है। सभी राष्ट्रों को अपने हित का भी ख्याल रखना पड़ता है। पर भारत के अन्दर राष्ट्रवाद और देश भक्ति को बल मिला है, जिसे हर वर्ग के लोगों ने एक सुर से स्वीकार किया है।
उधर अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारतीयों और हिन्दुओं का बेहद सम्मान करते हैं। वे शानदार उद्यमी होते हैं… आतंकवाद से निपटने की अपनी नीति को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा- हम चरम परीक्षण करके आतंकवाद से लड़ेंगे। (मुस्लिम जगत में) कुछ ऐसा चल रहा है जो सकारात्मक ताकत नहीं है। ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान टकराव पर भी बोला लेकिन इस बाबत कोई भी संकेत देने से इंकार कर दिया कि यदि वह सत्ता में आए तो उनका प्रशासनिक झुकाव किस ओर रहेगा। उन्होंने कहा- भारत और पाकिस्तान के बीच काफी ज्यादा टकराव हैं. अभी हाल ही में (यूरी हमला)… कई लोग मारे गए… आशा करता हूं कि सबकुछ ठीक हो जाएगा..
ट्रंप के आतंकवाद के हिंदू पीड़ितों के लिए न्यूजर्सी में आयोजित एक चैरिटी समारोह में भारतीय अमेरिकियों को संबोधित करने पहुंचे थे. रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन (आरएचसी) ने इस समारोह को आयोजित किया है। ट्रंप ने समारोह में शामिल होने की पुष्टि करते हुए पिछले महीने एक लघु वीडियो संदेश में कहा था कि हिंदू समुदाय ने विश्व की सभ्यता एवं अमेरिकी संस्कृति में शानदार योगदान दिया है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा- भारत के लिए मेरे मन में बेहद सम्मान है. भारत में, मैं दरअसल, रियल एस्टेट में नौकरियां बढ़ते हुए देख रहा हूं… यह एक शानदार देश है। अमेरिका में ट्रंप के प्रचार को जिन चुनिंदा अल्पसंख्यक समुदायों की ओर से उल्लेखनीय समर्थन मिल रहा है, उनमें भारतीय अमेरिकी भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा- कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद के बाबत हमें काफी ज्यादा सतर्क होना होगा . हम दुनिया के ऐसे हिस्सों पर विशेष गौर करेंगे। आरएचसी के संस्थापक एवं अध्यक्ष शलभ ‘शाल्ली’ कुमार ने पिछले दिनों कहा था, ‘यह इतिहास बन रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी उम्मीदवार ने किसी हिंदू समारोह में शिरकत की हो।’ इतना ही नहीं डॉनल्ड ट्रंप ने कहा वो राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की तरह काम करना चाहते हैं। ट्रंप ने कहा कि नौकरशाही में मोदी जिस तरह भारत में बदलाव ला रहे हैं उसी तरह के बदलाव की जरूरत अमेरिका में भी है. ट्रंप ने पीएम मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें महान नेता बताया. ट्रंप ने कहा, ‘भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. भारत और अमेरिका सहज तौर पर एक दूसरे के सहयोगी हैं. मेरी सरकार बनी तो हमारी दोस्ती और बेहतर होगी बल्कि मैं ये कहना चाहता हूं कि हम बेस्ट फ्रेंड बन जाएंगे. मैं पीएम मोदी के साथ मिलकर काम करने के लिए उत्सुक हूं. मोदी ऊर्जा से भरे हुए हैं और वो भारत की अफसरशाही में बदलाव करने में लगे हुए हैं। वो एक शानदार शख्स हैं।’ मोदी ने टैक्स सिस्टम को आसान किया है। भारत 7 फीसद की रफ्तार से विकास कर रहा है. ये शानदार है, हमारी अर्थव्यवस्था बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ रही है।’
‘कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत ने जिस तरह अमेरिका का साथ दिया है हम उसकी सराहना करते हैं। भारत ने आतंकवाद और सीमा पार से होने वाली हिंसा की बर्बरता को झेला है। मुंबई वो शहर जिसे मैं जानता हूं और पसंद करता हूं वहां आतंकी हमला हुआ। मुंबई और संसद पर हुआ आतंकी हमला बेहद वीभत्स और डरावना था. हम कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद को हराएंगे।’
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के हिंदू पीड़ितों के लिए न्यूजर्सी में आयोजित एक चैरिटी समारोह में भारतीय-अमरिकियों को संबोधित करते हुए ये सब बाते कहीं। उस कार्यक्रम को रिपब्लिकन हिंदू कोलिशन(आरएचसी) ने आयोजित किया। यहाँ भी ट्रंप को भारतीयों को लुभाने की एक कोशिश हो सकती है जबकि ताजा सर्वेक्षण में हिलेरी आगे नजर आ रही हैं.
निचोड़ यही है कि मोदी का दबदबा विश्व स्तर पर बढ़ा है और अधिकांश देशों का झुकाव भारत और मोदी की तरफ हुआ है। इसे मोदी की अंतररास्ट्रीय स्तर पर सफलता के रूप में देखा जा सकता है। अब विश्वगुरु बनने की राह पर भारत चल चुका है। भारत के अन्दर मोदी के समर्थक बढ़ रहे हैं चाहे डर से या राष्ट्र भक्ति के नाम पर। जय हिन्द! जय भारत!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर।

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