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१० नवम्बर को नियमानुसार समय से ही जागा. मन में चिंता थी, पुराने नोटों से नए नोटों में परिवर्तित करने की, क्योंकि शादी समारोह में शामिल होने जाना है. भगवान से प्रार्थना कर बैंक जाने के लिए निकल पड़ा. घर से बाहर निकलते ही कई लोगों को पानी के खाली बर्तन के साथ देखा. ये लोग पास के नल से पानी भरने जा रहे थे. बहुत ध्यान से देखने पर भी कोई भी पानी से भरा बर्तन नहीं दीखा. कहते हैं यात्रा पर निकलते समय पानी के खाली बर्तन देखने से यात्रा शुभ नहीं होता. चाहे जो हो १० बजे के लगभग ही बैंक पहुँच गया. तब लाइन छोटी थी. पुराने नोट तो अपने खाते में जमा हो गए. नए नोट पाने के लिए दो घंटे बाद आने के लिए कहा गया. बैंक ऑफ़ बरोदा के साकची ब्रांच में अभी नए नोट पहुंचे नहीं थे.- ऐसा बताया गया. मेरा घर पास ही है, इसलिए घर वापस आ गया.
घर आकर सोचा कि ‘सफ़ेद राशन कार्ड’ (पारिवारिक विवरणी) के लिए आवेदन पत्र जमा करना है, क्यों न इसी बीच जमा कर लिया जाय! भरे हुए फॉर्म और आवश्यक कागजात के साथ निकला ही था कि बिल्ली रास्ता काट गयी. उधेड़-बुन में कुछ देर रुका रहा. फिर मन को कड़ा कर निकल पड़ा. जितना भी विकास की सीढ़ी चढ़ लें, मन के अंदर अंधबिश्वास कहीं न कहीं दबा रहता है, जो ऐसे समय में ही कदम को डगमगा देता है. फिर भी निकल पड़ा कि देख लें आज क्या होता है? उपायुक्त कार्यालय पहुँचने के पहले ही एक बार पुनः बिल्ली रास्ता काट गयी. दो निगेटिव मिलकर एक पॉजिटिव होता है. ऐसा मैंने गणित में पढ़ा था. ( मन में ढाढ्स बढ़ा) उपायुक्त कार्यालय के पास जाकर पूछा – राशन कार्ड का फॉर्म कहाँ जमा होता है. एक सज्जन ने इशारे से बता दिया. उपायुक्त कार्यालय में फॉर्म जमा होने के टेबुल पर, बाबु के पास फॉर्म जमाकर कहा- “कृपया चेक कर लें, सब ठीक है तो”.
उन्होंने देखकर कहा, “ठीक है.”
– “कब तक बन जायेगा”?
– “जनवरी तक उम्मीद रखिए”. ..
ब्यवहार अच्छा लगा.. उन्होंने कुछ रुपयों की भी मांग नहीं रख्खी. न ही ना-नुकुर की. पहली बार ऐसा लगा कि सरकारी कर्मचारियों के ब्यवहार में काफी परिवर्तन हुआ है.
अब बारी थी दुबारा बैंक पहुंचने की. चेक जमा करने गया तो बताया गया अभी कैश नहीं आया है, एकाध घंटे और लगेंगे. अब मैं थोड़ा गरम हुआ. दश बजे आपने कहा था- “दो घंटे बाद आइये. अब दो घंटे के बाद भी कह रहे हैं, एक घंटे बाद आइये. नए नोट नहीं तो पुराने नोट १०० – ५० के जो भी हैं, वही दीजिये. काम तो चले!”
बेचार भले आदमी थे. टोकन दे दिया. ११६ नंबर. अभी-अभी ११४ नंबर सुना था. खुशी हुई कि ज्यादा देर नहीं लगेगी. पर कैश काउंटर एक ही था और कैश बाबु कैश जमा लेने में ही मशगूल थे.
मैंने आग्रह किया- “देखिये शायद ११६ नंबर का चेक आपके पास आ गया हो”.
वे मुस्कुराये.. “आपका तो पुराना नोट जमा हो गया न”! …
मैंने कहा- “अब खर्च के लिए कुछ तो चाहिए”.
कुछ और लोगों से कैश जमा लेने के बाद उन्होंने मेरा भी भुगतान कर दिया. नए-पुराने १०० के नोटों से. ५०० या २००० के नए नोट के दर्शन नहीं हुए.
मेरी पत्नी और मेरी बेटी कलकत्ता गयी है, शगुन के रश्म में शामिल होने. छुट्टी न मिल पाने की वजह से मैं साथ नहीं जा सका. रास्ते में कुछ परेशानी हुई, पर काम चल गया. मैंने उन्हें भी १०००,५०० के नोट ही देकर भेजा था. उसने बताया शगुन में भी लोग १०००, ५०० के नोट ही दे रहे थे, और उन्होंने भी वही किया. चलिए एक चिंता दूर हुई.
अब बारी थी, खाना बनाने की. बैगन काटने लगा- आश्चर्य कि एक भी बैगन ‘काना’ न निकला. बैगन भी अब अच्छे आने लगे है. याद आया- अच्छे दिन की शुरुआत हो चुकी है.
टी वी ख़बरें बता रही थी, किस तरह हरेक बैंकों में भीड़ थी. बैंक खुलने से पहले ही लोग लाइन में लग गए थे. पेट्रोल पंप, हॉस्पिटल, श्मशान से भी खबरें आ रही थी. काफी जगहों पर लोगों को दिक्कतें हो रही थी, पर सबों ने मोदी जी के इस कदम को अच्छा बताया. देश के लिए थोड़ी कठिनाई सह लेगें. मोदी जी ने भी लोगों से धैर्य बनाये रखने के लिए धन्यवाद दिया. बैंक कर्मचारी और अधिकारी हर जगह शांति से अपना काम कर रहे थे.
शाम को खबर आयी दाउद की कंपनी को बड़ा नुक्सान हुआ है. वह तो अब आत्महत्या करने की सोच रहा है. उसका सारा ब्यापार तो नकली नोटों से चलता है. पाकिस्तान का ISI संगठन भी बहुत परेशान है. मोदी जी के इस सर्जिकल स्ट्राइक से बहुत सारे आतंकवादी संगठन, नक्सली भी परेशान हैं. सबसे बड़ी परेशानी सिर्फ मोदी विरोधी राजनीतिज्ञों को है, उसमे भी नीतीश कुमार ने मोदी जी के इस कदम का समर्थन किया और सराहा भी है. परेशानी सिर्फ ममता, माया, मुलायम और राहुल को है. अखिलेश भी खुश हैं, उनकी विरोधी( बुआ) के पास के काले धन कूड़े में बदल गए. भाजपा के पास न तो कालाधन है, न ही वे लोग इसका इश्तेमाल करते हैं. इसलिए विजय वर्गीय, शिवराज सिंह से लेकर येदुरप्पा आदि सभी स्तर के नेता खुश हैं. झाड़खंड के मुख्य मंत्री रघुबर दास भी… जिन्होंने छठ के दिन रात्रि में सुनिधि चौहान का कार्यक्रम कराया था. सुनिधि भी बहुत कम रकम शायद ६०,००० रुपये लेकर गाने और नाचने-नचाने आ गयी. लगभग १०,००० हजार लोगों की बैठने की ब्यवस्था, १० -१२ एल सी डी स्क्रीन के साथ शानदार मंच की ब्यवस्था भी लोगों ने सफ़ेद रुपयों से ही कर दी थी. झाड़खंड का जमशेदपुर बड़ा संपन्न शहर है. इसे झाड़खंड की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है. वैसे अभी टाटा समूह पर विपत्ति आयी हुई है और बतौर सुब्रमण्यम स्वामी रतन टाटा सबसे ज्यादा भ्रष्ट ब्यक्ति हैं.
राम राज्य अब आने ही वाला है. या कहें कि आ चुका है. अमरीका में ट्रम्प की जीत से भी भारत को उम्मीद बंधी है … वे भी आतंकियों को जड़ से समाप्त करना चाहते हैं. यु पी, और पंजाब के विधान सभाओं के चुनावों में अब तो भाजपा को कोई रैली या जन-सभा करने की जरूरत ही न पड़ेगी. जनता इतनी खुश है कि सारा वोट भाजपा (मोदी जी) को ही जानेवाला है. भ्र्ष्टाचार पूरी तरह से समाप्त. काला धन समाप्त. छापे भी मारे जा रहे हैं. बहुत सारे लोग पकडे जा रहे हैं. किसी नेता के पकड़े जाने की खबर अभीतक नहीं है. इन लोगों के पास कहाँ होता है काला धन!
– वैसे मैं डायरी लिखता नहीं पर आज का अनुभव लिखना जरूरी लगा.
जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.
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