Menu
blogid : 3428 postid : 1303109

अलविदा २०१६ और सुस्वागतम २०१७

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

वैसे साल 2016 अपने मूल रूप में आर्थिक गतिविधियों, कारोबारी हलचलों और वित्त संबंधी फैसलों के नाम रहा. पिछले साल सबसे अधिक चर्चित सिलेब्रिटीज में से तीन मुख्य हस्तियां कारोबारी जगत से जुड़ी हैं- इनके नाम हैं रघुराम राजन, रतन टाटा और साइरस मिस्त्री. आइए जानें विस्तृत रूप में….
यूं तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर विरले ही बेबाक होते हैं, लेकिन रघुराम राजन अनोखे थे जिन्होंने जेम्स बॉन्ड शैली में कभी कहा था, ‘मेरा नाम राजन है और मैं जो करता हूं, वो करता हूं’. रघुराम राजन आर्थिक से लेकर राजनीतिक मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखते थे और यह भी वजह रही कि वे तमाम आलोचनाओं के निशाने पर आते गए. रिजर्व बैंक गवर्नर के पद पर अपने तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद राजन साल 1992 के बाद के ऐसे पहले गवर्नर बताए जाते हैं जिनका पांच साल से कम का कार्यकाल रहा है. रिजर्व बैंक में इससे पहले गवर्नर रहे- डी. सुब्बाराव (2008-13), वाई वी रेड्डी (2003-08), बिमल जालान (1997-2003) और सी. रंगराजन (1992-1997). इन सभी का पांच साल का (तीन+दो साल) अथवा इससे अधिक का कार्यकाल रहा. अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान राजन ने बेबाक भाषण दिए और महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने मन की बात शैक्षणिक संस्थानों में रखी.
गोमांस खाने की अफवाह को लेकर एक मुस्लिम की हत्या के बाद उठा असहिष्णुता का मुद्दा हो या भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना ‘अंधों में काना राजा’ से करने की हो, सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों पर सवाल उठाना हो या नए जीडीपी आंकड़ों पर सवाल खड़े करना हो, राजन अक्सर बेबाकी से बोलते थे और ऐसा करते समय वह सरकार की पसंद और नापसंद पर माथापच्ची करते नहीं दिखे. सितंबर में उनका कार्यकाल समाप्त हुआ और उन्होंने खुद ही अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मना करके इस बारे में लगाई जा रही तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया था. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरे कार्यकाल का आग्रह न करने के फैसले को देश के लिए ‘दुखद’ बताते हुए कहा था कि भारत दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहा है. देश के शीर्ष उद्योगपतियों ने कहा कि राजन का दूसरा कार्यकाल स्वीकार नहीं करने का फैसला देश का नुकसान है क्योंकि वह आर्थिक स्थिरता लाए और उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की विश्वसनीयता बढ़ाई. खैर अब उनकी जगह उर्जित पटेल कुर्सी सम्हाले हुए हैं और भारतीय अर्थ ब्यवस्था को क्या कुछ नया मोड़ देंगे ताकि हम विकास के एक एक पावदान को पार करते हुए आगे बढ़ सकें, उम्मीद कर सकते हैं.
अब आइये उद्यग जगत से जुड़े दूसरी हस्ती की भी चर्चा कर लें. मुंबई में 28 दिसंबर 1937, को जन्मे रतन नवल टाटा टाटा समूह के वर्तमान में अंतरिम चेयरमैन हैं. टाटा समूह भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक समूह है जिसकी स्थापना जमशेदजी नुसेरवान जी टाटा ने की और उनके परिवार की पीढियों ने इसका विस्तार किया और इसे दृढ़ बनाया. रतन टाटा साल 1991 से लेकर 2012 तक वह टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे. वह टाटा की अन्य बड़ी कंपनियों जिनमें टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, होटल्स और टाटा टेलिसर्विसेस आती हैं, के चेयरमैन भी रहे. रतन टाटा के लंबे कार्यकाल में समूह की कंपनियों की बाजार हैसियत करीब 57 गुना बढ़ी थी. 2012 में 48 साल के साइरस पल्‍लोनजी मिस्‍त्री को जब ग्रुप के चेयरमैन की कमान सौंपी गई, तब उम्मीद की गई कि वह समूह को रतन टाटा द्वारा पहुंचाई गई ऊंचाई से और आगे ले जाएंगे. लेकिन मिस्त्री से तमाम शिकायतों के बीच उन्हें हटाने का फैसला ले लिया गया. उन्हें बहुत धूमधड़ाके के साथ कंपनी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी पर माना जा रहा है कि घाटे में चल रही कंपनियों को छांटने और केवल लाभ देने वाले उपक्रमों पर ही ध्यान देने के उनके दृष्टिकोण से कंपनी में अप्रसन्नता थी. इनमें यूरोप में घटे में चल रहे इस्पात करोबार की बिक्री का मामला भी शामिल है. इसके बाद ग्रुप और मिस्त्री के बीच की तनातनी अक्सर सामने आई. मिस्त्री का जन्म चार जुलाई 1968 को हुआ था और उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड मेडिसिन से सिविल इंजीयिरिंग में स्नातक किया. बाद में उन्होंने लंदन बिजनेस स्कूल से प्रबंधन में मास्टर्स किया. सायरस मिस्त्री चेयरमैन पद से हटाये जाने के बाद रतन टाटा पर हमलावर रहे और भाजपा नीत सरकार से मदद की अपेक्षा भी करते रहे हैं. अभी वे अदालत का भी रुख कर चुके हैं. अद्यतन जानकारी के अनुसार रतन टाटा आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत से मिल चुके है ताकि उनकी परेशानियां और न बढे. पहले उन्होंने एक बार कह दिया था कि “देश में असहिष्णुता तो बड़ी है और लोग अच्छी तरह जानते हैं कि यह कहाँ से आ रहा है!” अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे या समय की मांग कहें रतन टाटा ने नागपुर का रुख किया. बिजनेस चलाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है!
साल 2016 तमाम हलचलों से पूर्ण रहा. कारोबार-बिजनेस जगत की बात करें तो साल का शुरुआती समय जहां बजट में तमाम तरह की घोषणाओं को लेकर चर्चा में रहा वहीं साल का अंत नोटबंदी (विमुद्रीकरण) और कैशलेस को समर्पित रहा. बजट में सरकार ने ईपीएफ (EPF) पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया लेकिन बाद में जन विरोध के बाद इसे वापस लेना पड़ा.
रिलांयस ग्रुप के चेयरपर्सन और मैनेजिंग डायरेक्टर मुकेश अंबानी ने लोगों को नए साल का तोहफा देते हुए यह ऐलान किया कि जियो 4जी सिम के सभी ग्राहकों के लिए 31 मार्च तक सभी सेवाएं मुफ्त दी जाएंगी. इस ऐलान के मुताबिक, जियो के ग्राहकों के लिए ‘हैप्पी न्यू ईयर’ प्लान पेश किया गया है जिसके तहत 31 मार्च तक अनलिमिटेड डाटा, कॉल, वीडियो और वाईफाई पूरी तरह से फ्री कर दी गई हैं.
गत साल रिलायंस ने जियो सिम लॉन्च करके भी टेलिकॉम इंडस्ट्री में हड़बड़ी मचा दी. इसके बाद कालेधन की धरपकड़ के लिए 8 नवंबर को पीएम मोदी द्वारा नोटबंदी का ऐलान कर दिया गया, जिसके बाद से नियमों के बनने, बदलने और लागू करने का जोर खूब चर्चा में रहा. नोटबंदी के बाद कैश की कमी ने काफी लोगों को परेशान किया पर अब लगभग स्थिति सामान्य सी हो चली है. इसके अच्छे परिणाम की आशा कर सकते हैं! अगले साल यानी साल 2017 में बजट पहले के सालों के मुकाबले जल्दी पेश होना है. 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में रेल बजट भी शामिल कर दिया गया है. हालाँकि बहुत सारी घोषणाएं तो प्रधान मंत्री श्री मोदी ने ३१ दिसंबर की शाम को ही कर दी. लोग बड़े आशंकित थे कि पता नहीं ३१ दिसम्बर की शाम को क्या होगा? खैर कोई नया प्रतिबन्ध न लगा.
‘दंगल’ फिल्म की लोकप्रियता ऐसी बढ़ी कि मुझे भी मल्टीप्लेक्स में जाकर देखने के लिए प्रेरित कर दिया. आमिर अनूठे हैं, ऐसी फ़िल्में बननी चाहिए! हमारे देश में लड़कियों, नारियों को पूर्ण सम्मान और बराबरी का दर्जा मिलना ही चाहिए.
इतनी सारी हलचलों के बाद भी हम भारत के लोग स्थिर और संतुलित हैं, ३१ दिसंबर की रात तो जश्न में डूबा ही रहा. पहली जनवरी को रविवार होने से काफी लोग खुश नजर आ रहे हैं और नए साल का जश्न बेखौप मना रहे हैं. इसीलिये हमारा देश सबसे प्यारा है! उधर तुर्की के इन्स्ताम्बुल शहर में नए साल के जश्न मना रहे लोगों पर आतंकवादियों द्वारा हमला और ३९ लोगों के मारे जाने की खबर हृदय विदारक है! कौन इन वहशियों को जहर पिलाता है ?
अब देखते हैं! यु पी का दंगल…घर का दंगल, बाहर में भी दंगल, चुनावी दंगल. मंगल मंगल?
उम्मीद है साल २०१७ सबके लिए मंगलकारी रहेगा. सभी पाठकों को नए साल की बधाई!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh