Menu
blogid : 3428 postid : 1312188

पंजाब और गोवा में मतदान

jls
jls
  • 457 Posts
  • 7538 Comments

मतदान का बढ़ता प्रतिशत: सन्दर्भ पंजाब और गोवा का चुनाव
पांच राज्यों में 36 दिनों तक चलने वाले इलेक्शन की शुरुआत पंजाब और गोवा से हो गई है. शनिवार को गोवा में 83% से ज्यादा वोटिंग हुई. पिछले इलेक्शन में 81% वोटिंग हुई थी. उधर पंजाब में 78.62 % वोटिंग की खबर है. यह भी पंजाब के लिए नया रिकॉर्ड ही है क्योंकि पिछली बार 2012 के विधान सभा चुनाव में 76.20% था. पंजाब में कई जगह EVM मशीने ख़राब की शिकायत भी मिली जिससे मतदान कुछ देर रुक-रुक कर हुआ. कई जगह हल्की झड़प की ख़बरें भी आई. फिर भी कहा जा सकता है मतदान आमतौर पर शांतिपूर्ण रहा .
गोवा में वोट डालने पहुंचे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा,- “रिपोर्ट्स बताती हैं कि गोवा में इस बार जबर्दस्त वोटिंग होगी. ये पिछले बार के 81% के रिकॉर्ड को क्रॉस कर जाएगी. बीजेपी को दो तिहाई मेजोरिटी से जीत हासिल होगी.” वोटिंग का प्रतिशत अवश्य बढ़ गया अब भाजपा के बहुमत की बात 11 मार्च को ही पता चलेगी.
गोवा का सीएम बनने के सवाल पर पर्रिकर बोले- “मुझे दिल्ली से ज्यादा गोवा का खाना अच्छा लगता है. अब इसका आप कोई भी मतलब निकाल लीजिए.” मतलब साफ़ है !
गोवा के आरएसएस चीफ रहे सुभाष वेलिंगकर ने भी वोट डाला. उन्होंने भरोसा जताया कि महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, गोवा सुरक्षा मंच और शिव सेना के साथ बना अलायंस राज्य में 22 सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाएगा. वेलिंगकर ने यह भी कहा कि गोवा में आरएसएस कैडर बीजेपी को वोट नहीं दे रहा. इससे उन्हें फर्क पड़ेगा.
10 साल से सरकार चला रही अकाली-बीजेपी और विपक्ष में मौजूद कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने से पंजाब में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला है.
5 बार सीएम रह चुके प्रकाश सिंह बादल का लंबी में मुकाबला आखिरी बार चुनाव लड़ने का एलान कर चुके कांग्रेस के सीएम कैंडिडेट अमरिंदर सिंह से है. अमरिंदर पटियाला से भी चुनाव लड़ रहे हैं.
पंजाब में लंबी विधानसभा सीट के लिए बड़े चेहरे मैदान में हैं. SAD से मौजूदा सीएम प्रकाश सिंह बादल मैदान में हैं. कांग्रेस से सीएम फेस अमरिंदर सिंह मैदान में हैं और AAP से जरनैल सिंह लड़ रहे हैं. जरनैल सिंह दिल्ली के राजौरी गार्डन से विधायक थे, लेकिन इस्तीफा देकर लंबी से AAP के कैंडिडेट हैं.
पंजाब में 1.98 और गोवा में 11 लाख वोटर्स हैं.
पंजाब में 117 सीटों पर 1145 कैंडिडेट्स मैदान में हैं. इनमें 81 महिलाएं और एक ट्रांस्जेंडर मैदान में है. इनमें 428 कैंडिडेट्स करोड़पति हैं. इन कैंडिडेट्स में से 100 पर क्रिमिनल केस है. इनमें 77 पर गंभीर अपराध के केस दर्ज हैं.
गोवा में 40 सीटों के लिए 250 कैंडिडेट्स मैदान में हैं. इनमें 131 साउथ गोवा और 119 नॉर्थ गोवा से लड़ेंगे. इनमें 157 कैंडिडेट्स करोड़पति हैं. गोवा के कैंडिडेट्स में 38 पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इनमें से 19 पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं.
गोवा में 5 पूर्व सीएम और मौजूदा सीएम लक्ष्मीकांत पारसेकर मैदान में हैं. कांग्रेस के रवि नायक, दिगंबर कामत, प्रताप सिंह राणे और लुई जिन्हो फलैरो गोवा के सीएम रह चुके हैं. इनके अलावा NCP के कैंडिडेट चर्चिल अलेमाओ भी पूर्व सीएम हैं.
इन चेहरों पर भी रहेगी नजर
1. नवजोत सिंह सिद्धू: बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए. अमृतसर ईस्ट सीट से चुनाव मैदान में हैं.
2. भगवंत मान: पंजाब की जलालाबाद सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीद्वार हैं और सीएम चेहरा भी माने जा रहे हैं.
3. सुखबीर सिंह बादल: मौजूदा डिप्टी सीएम और प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं. जलालाबाद सीट से SAD के कैंडिडेट हैं.
4. लक्ष्मीकांत पारसेकर: गोवा के मौजूदा सीएम हैं और मेंड्रम विधानसभा से BJP के कैंडिडेट हैं.
5. सुभाष वेलिंगकर: RSS के पूर्व नेता थे. अलग होकर गोवा सुरक्षा मंच बनाया। शिवसेना और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के साथ अलायंस किया.

सभी दलों के अपने अपने मत हैं. गोवा में भाजपा सत्ता में है. साथ ही मनोहर पार्रिकर की छवि अच्छी है. लोग उन्हें पसंद भी करते हैं. AAP नई पार्टी है और पहली बार भाग्य आजमाइश करने पहुँची है. मतदान का बढ़ता प्रतिशत जन भागीदारी को बताता है. लोग जागरूक हो रहे हैं और सबकी अपनी-अपनी आकांक्षा भी बढ़ी है. इसलिए जबतक गिनती हो नहीं जाती कुछ भी कहना मुश्किल है.
पंजाब में ज्यादातर लोग बादल सरकार से नाराज हैं और परिवर्तन चाहते हैं ऐसे में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला है ऐसा माना जा रहा है. AAP के समर्थक अपनी सरकार बनाने का दावा ठोकते नजर आ रहे हैं.
चाहे जो हो फैसला जनता का है, वह ही सर्वोपरि है. अगर केंद्र सरकार के आजतक के कामकाज से जनता खुश है और सकारात्मक रूप से आशान्वित है तो निश्चित रूप से भाजपा को आगामी राज्यों की विधान सभा के चुनावों में बहुत बड़ी जीत मिलनेवाली है. अगर जनता संतुष्ट नहीं है तो जरूर वह दूसरे विकल्प की तलाश करेगी.
कुछ लोग मोदी जी की रैलियों में जुटी भीड़ को पैमाना मानती है. स्वाभाविक है कि श्री मोदी की रैलियों में भीड़ होती है. भीड़ कैसे जुटाया जाता है यह भी सबको मालूम है. बिहार में भी मोदी जी को सुनने हजारो-लाखों लोग आते थे. लाखों-करोड़ों लोग टी वी के माध्यम से सुनते थे. पर वहां परिणाम उल्टा हुआ. प्रधान मंत्री सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं. उनकी भाषणों में दम होता है. लोगों को/भीड़ को आकर्षित करने वाला होता है. सवाल यही है कि जमीन पर काम नजर आता है क्या? बजट में बताया गया कि वर्तमान केंद्र सरकार ने 10 लाख तालाब बनाये गए हैं. अगर ये दश लाख तालाब सचमुच बनाये गए हैं तो देश को बहुत बड़ा फायदा होने वाला है. किसानों को सिंचाई की सुविधा के साथ पूरे देश को फायदा होगा. लगतार नीचे जा रहे भू-जल स्तर में भी सुधार होगा अगर ये तालाब सचमुच में बने हैं तो और अगर ये कागज पर आंकड़े मात्र है तो फिर जनता ही जानती होगी. किसानों की आमदनी में लगतार वृद्धि हो रही या उसके लागत मूल्य पर भी आफत है! टमाटर सहित सभी हरी सब्जियों की पैदावार बढ़ी है, जिससे सब्जियों के दाम कम हुए हैं. दालों और दलहनों की कीमत में भी गिरावट आयी है. रोजगार में वृद्धि हुई या ह्रास हुआ है? क्योंकि यही पैमाना है लोगों के पास अर्थ तंत्र की. अगर लोगों के पास पैसे हैं तो वह बाजार में खर्च करेगा. खर्च करेगा तो मांग बढ़ेगी. मांग बढ़ेगी तो उत्पादन बढेगा. पर GDP के आंकड़े उत्साहवर्धक नहीं है. यह भी सरकारी आंकड़े हैं. रोजगार का लगातार क्षरण हो रहा है. निम्न वर्ग के लोगों की हालत और भी ज्यादा ख़राब है. बजट से निम्न मध्यम वर्ग को फायदा होनेवाला है? अगर हाँ, तो निश्चित ही जनता वर्तमान केंद्र सरकार की नीतियों से खुश है.
दूसरी बात है कि विकल्प क्या है अभी भाजपा के सिवा? काफी लोग अपनी अपनी अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा की तरफ रुख कर रहे हैं. नारायण दत्त तिवारी पुत्र सहित भाजपा में शामिल हो गए हैं. अब एस. एम. कृष्णा के बारे में यही खबर आ रही है कि वे भाजपा में शामिल हो सकते हैं. उत्तराखंड में और भी कई नामचीन नेता भाजपा की तरफ रुख कर रहे हैं/कर चुके हैं. पलायन का अर्थ क्या है? लोग सत्ता के साथ रहना चाहते हैं और कांग्रेस के वर्तमान उपाध्यक्ष और प्रभारी राहुल गाँधी में वो नेतृत्व क्षमता नहीं है जो सोनिया गाँधी में थी. सोनिया की उम्र हो चली है और उनका स्वास्थ्य भी लगातार गिरावट की तरफ है. प्रियंका गाँधी भी उतनी सक्रिय नजर नहीं आ रही. केजरीवाल अपने दम पर काफी मिहनत कर रहे है पर वे फिलहाल दो राज्यों(पंजाब और गोवा) तक सीमित है. उनके ऊपर कई सारे विवादस्पद आरोप लगते रहे हैं. दिल्ली में वे जनता की आकांक्षा पर उतने खड़े नहीं उतर पा रहे हैं. उनपर दबाव भी बहुत है चारो तरफ से. पर जुझाडू तो है, इसमें कोई दो राय नहीं.
भारत का लोकतंत्र अभी भी काफी मजबूत है. हार के बाद इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी का भी यही मानना था. अटल बिहारी बाजपेयी सर्वप्रिय थे पर अच्छा काम करने के बावजूद भी हार गए. आडवाणी किनारे लग चुके हैं. यह श्री मोदी की मिहनत का ही परिणाम है कि अभी तक वे अजातशत्रु बने हुए हैं. भारत में भी और विदेशों में भी. अत: फैसला जनता को ही करने दीजिये. जय लोकतंत्र! जय भारत! जय हिन्द! जय जवान! जय किसान!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh