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मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ (योग से राजयोग)

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मोदी सरकार में बहुत कुछ पहली बार ही होता है और जो कुछ होता है चौंकानेवाला भी होता है। कुछ ऐसा ही योगी आदित्यनाथ का मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश के रूप में चयन में भी हुआ। पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने अपने शपथ-ग्रहण समारोह स्थल स्मृति उपवन जाकर स्वयं ही निरीक्षण किया और आवश्यक निर्देश भी दिए। एक सप्ताह तक बहुत सारे नाम मीडिया द्वारा उछाले गए। कभी राजनाथ सिंह, तो कभी स्वामी प्रसाद मौर्या तो कभी मनोज सिन्हा का भी नाम आया। मनोज सिन्हा तो ऐसे आश्वस्त लग रहे थे कि उन्होंने शुबह से ही पूजा अर्चना भी प्रारंभ कर दी। काल भैरव मंदिर से लेकर बाबा विश्वनाथ और संकटमोचन मंदिर तक माथा टेका। अपने गांव गाजीपुर के कुल देवता की भी पूजा कर ली और दिल्ली लौट गए तब तक योगी और केशव ने भी दिल्ली का रुख किया और धारा को अपने पक्ष में मोड़ने में सफल हुए। अंतत: योगी आदित्यनाथ सर्व सम्मति से मुख्य मंत्री चुने गए और उनकी सहायता हेतु दो उप मुख्य मंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री दिनेश शर्मा का नाम प्रस्तावित किया गया और उस पर भी सर्वसम्मति की मुहर लग गयी।
उत्तर प्रदेश के 403 सीटों में से 325 बीजेपी ने जीतकर अभूतपूर्व ऐतिहासिक सफलता पाई है। पर मुख्यमंत्री के चुनाव में एक सप्ताह लग गए! कई नामों की चर्चा के बाद बीजेपी विधायक दल की बैठक में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री और केशव प्रसाद मौर्य व दिनेश शर्मा को उपमुख्यमंत्री नियुक्त किया गया। केशव प्रसाद मौर्य जहां बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष हैं, वहीं दिनेश शर्मा लखनऊ के मेयर हैं।
बताया जा रहा है कि गोरखपुर से लोकसभा सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम तब चुना गया जब आरएसएस ने मनोज सिन्हा के नाम के साथ सहमति नहीं जताई। ऐसी खबर थी कि पीएम मोदी और बीजेपी प्रमुख अमित शाह ने जूनियर टेलिकॉम मंत्री मनोज सिन्हा के नाम का समर्थन किया था। बेचारे मनोज सिन्हा को लगता है प्रधान मंत्री स्तर से स्वीकृति मिल गयी है तब उन्होंने बाबा विश्वनाथ की नगरी में जाकर माथा टेका पर बाबा को तो कुछ और ही मंजूर था। ‘सबहिं नचावत राम गुंसाईं’ के तौर पर जब योगी जी के नाम की मुहर लगी तो पूरा उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश शायद झूम उठा। सोशल मीडिया पर भी बधाइयों का ताँता लग गया। कविताएँ गढ़ी जाने लगी। योग से राजयोग के बीच में योगी जी की जाति भी ढूंढ निकली गयी।
महंत योगी आदित्यनाथ (जन्म नाम: अजय सिंह नेगी (बिष्ट), जन्म 5 जून 1972) आदित्यनाथ की पहचान फायरब्रांड नेता के रूप में रही है। विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा रैलियां करने वाले आदित्यनाथ पूर्वांचल के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। भाषणों में लव जेहाद और धर्मांतरण जैसे मुद्दों को उन्होंने जोर-शोर से उठाया था। बीजेपी के इस फायर ब्रांड नेता के बारे में जानें कुछ और बातें।
पूर्वांचल में राजनीति चमकाने वाले योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश का हिस्सा) में हुआ था। सबसे दिलचस्प बात यह है कि योगी आदित्यनाथ का वास्ततविक नाम अजय सिंह नेगी है। इनकी जाति क्षत्रिय यानी राजपूत बताई जाती है पर वे हमेशा यही कहते हैं – जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान!
राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ गढ़वाल यूनिवर्सिटी से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल कर चुके हैं। जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था, उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया। योगीजी का जन्म देवाधिदेव भगवान् महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर आपने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया। ये छात्र जीवन में विभिन्न राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुड़े रहे।
इन्होने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य एवं उनकी सन्तानों के उत्थान हेतु एक योगी की भाँति गाँव-गाँव और गली-गली निकल पड़े। सत्य के आग्रह पर देखते ही देखते शिव के उपासक की सेना चलती रही और शिव भक्तों की एक लम्बी कतार आपके साथ जुड़ती चली गयी। इस अभियान ने एक आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित हुआ।
अपनी पीठ की परम्परा के अनुसार आपने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जनजागरण का अभियान चलाया। सहभोज के माध्यम से छुआछूत और अस्पृश्यता की भेदभावकारी रूढ़ियों पर जमकर प्रहार किया। वृहद् हिन्दू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतान्तरित हिन्दुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। गोरक्षा के लिए आम जनमानस को जागरूक करके गोवंशों का संरक्षण एवं सम्वर्धन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने में आपने सफलता प्राप्त की। आपके हिन्दू पुनर्जागरण अभियान से प्रभावित होकर गाँव, देहात, शहर एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं ने इस अभियान में स्वयं को पूर्णतया समर्पित कर दिया। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगी जी, धर्म के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में रत हो गये।
अपने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता की मांग पर इन्होने वर्ष 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच दैनिक उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्रामसभाओं में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिन्दुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने इन्हें वर्ष 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में निरन्तर बढ़ते हुए मतों के अन्तर से विजयी बनाकर चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण इन्हें केन्द्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी, सड़क परिवहन, पोत, नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थायी समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया। व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। इसी अलौकिक प्रबन्धकीय शैली के कारण ये लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबन्धक या संयुक्त सचिव हैं।
उनके दो सहयोगी उप मुख्य मंत्री सहायक के रूप में काम तो करेंगे ही साथ ही संतुलित विकास के साथ संतुलित सामाजिक साझेदारी की भी मिशाल बनेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए उपर्युक्त त्रिदेवों के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश बनेगा। हमारी तरफ से इन्हें और उत्तर प्रदेश की जनता को बहुत बहुत बधाई!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर।

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