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सदमे की सुनामी थी निर्भया कांड, राक्षस से कम नहीं थे ये चारों…SC की 10 बड़ी बातें
निर्भया कांड पर दोषियों की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज बेहद तल्ख दिखे। उन्होंने एकतरफा इस अपील को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया के साथ हुए गैंगरेप के चारों आरोपियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। अपने 15 मिनट तक पढ़े गए फैसले में कोर्ट ने वो 10 आधार बताए जिसकी वजह से चारो दोषियों को फांसी की सजा दी गई। कोर्ट ने अपने फैसले में बेहद तीखी टिप्पणी कर इस घटना को देश में सदमें की सुनामी करार दिया। वहीं दोषियों को राक्षसी दरिंदों से कम नहीं बताया।
निभर्या केस पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
1. जजों ने 2 बजकर 3 मिनट पर फैसला पढ़ना शुरु किाया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चारों आरोपियों ने निर्भया के साथ जिस तरह का बर्बरता पूर्ण व्यवहार किया उससे ये साबित होता है कि अपने तरह का अनोखी घटना है।
2. यह मामला रेयरेस्ट आफ रेयर है। केस की मांग थी कि न्यायपालिका समाज के सामने एक मिसाल पेश करे।
3. निर्भया कांड में कोर्ट का फैसला आते ही अदालत कक्ष में तालियां बजीं।
4. अदालत ने कहा इस मामले में कोई रियायत नहीं दी जा सकती।
5. निर्भया कांड सदमे की सुनामी थी। जिस तरह से अपराध हुआ है वह एक अलग दुनिया की कहानी लगती है।
6. दोषियों ने हिंसा, सेक्स की भूख की वजह से अपराध किया।
7. वारदात को क्रूर और राक्षसी तरीके से अंजाम दिया गया।
8. उम्र, बच्चे, बूढ़े मां-बाप ये कारक राहत की कसौटी नहीं।
9. इस अपराध ने समाज की सामूहिक चेतना को हिला दिया।
10. पीडि़ता का मृत्यु पूर्व बयान संदेह से परे
अदालत ने विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि देश के विकास को मापने का सबसे अच्छा थर्मामीटर है कि हम महिलाओं के साथ कैसे पेश आते हैं। तीन जजों की बेंच में से एक जज भानुमति का फैसला शेष दो जजों से अलग है। जस्टिअस भानुमति जिएनका फैसला अन्य जजों से अलग रहा उन्होंने कहा किट हमारे यहां एजुकेशन सिनस्टम ऐसा होना चाहिए, जिससे कि बच्चे महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करना है ये सीख सकें। जस्टिस भानुमति ने स्वामी विवेकानंद के एक कोट को रेफर करते हुए कहा किव कैसे परंपराएं ज्ञान और शिक्षा के साथ मिलकर समाज में महिलाओं को न्याय दिवलाने का काम करती हैं।
2012 में जब ये मामला सामने आया तब देशभर में इस मामले को लेकर ज़बरदस्त गुस्सा फूट पड़ा था. विदेशों में भी इस कांड को लेकर निंदा हुई थी. इस मामले में दोषियों की फांसी की सज़ा पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सभी को इंतज़ार था. सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई.
“जिन लोगों ने मेरे साथ ये गंदा काम किया है उन्हें छोड़ना मत ” ये वाक्य डीसीपी साउथ छाया शर्मा को निर्भया ने तब कहे थे जब छाया उससे पहली बार सफ़दरजंग अस्पताल में मिलने गई थी. छाया ने मीडिया से बात करते हुए कहा. “दिल्ली पुलिस ने जो सबूत पेश किए है वो एकदम ठोस है,” सप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने फ़ैसला देते हुए कहा. “इन सभी आरोपियों को सज़ा निर्भया के कारण ही मिली है. वो अपने बयान पर निरंतर क़ायम रही”
हमें न्यायधीशों, पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों और वकीलों के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए, जिन्होंने न्याय दिलाने में अपना जी जान लगा दिया. एक बार पुन: कह सकते हैं सत्यमेव जयते और भारत माता की जय! जय हिन्द!
– जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर!
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