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आदरणीय सद्गुरु जी, मैं झाड़खंड, जमशेदपुर की बात बताता हूँ. यहाँ कोर्ट, कचहरी, थाने जाना मतलब अपनी पॉकेट ढीली करना है. मैंने अपना ड्राइविंग लाइसेंस रिन्यूअल के लिए एक दलाल को दिया. उसने ५०० रुपये मांगे थे शायद (ठीक-ठीक याद नहीं). फिर भी कई महीने बाद रिन्यूअल हुआ. कितनी बार उससे बात किया कितनी बार जाकर मिला. सरकारी ऑफिस में कोई काम नहीं करता. साहब (ऑफिसर) ऑफिस नहीं आता. केवल भाषण में सबकुछ होता है. जिनकी राजनीतिक पहुँच है उनका काम आसानी से हो जाता है. राशन कार्ड के लिए कई बार आवेदन दिया नहीं बना. पिछली बार नोटबंदी के समय १० नवंबर २०१६ को एप्लीकेशन जमा किया था. राशन कार्ड बना भी, पर कहाँ हैं? किससे मिलेगा? पता नहीं चल रहा था. यह मेरे लिए बहुत जरूरी नहीं था पर एक सरकारी डॉक्यूमेंट होता है जो हर परिवार के पास होना चाहिए. मैं ऑन लाइन सर्च करता रहा. महीनों प्रयास के बाद पता चला की मेरे नाम का राशन कार्ड है. फिर दूकानदार यानी डालर का पता लगाया. उसके पास पहुंचा. उसने एक आंगनवाड़ी का पता दिया, जिसके पास से राशन कार्ड लिया. आश्चर्य यह कि मैं जहाँ रहता हूँ वहां आस पास के डीलर के यहाँ न देकर १० किलोमीटर दूर के डीलर के पास दे दिया गया. अब डीलर चेंज के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया है. पर BSO (ब्लॉक सप्लाई अफसर) के पास निलंबित है. उनसे अनेकों बार आग्रह कर चूका हूँ पर वे या तो ऑफीस में नहीं मिलते या जान बूझकर डिले कर रहे हैं. मैं अड़ा हूँ कि इस बार पैसे खर्च नहीं करूंगा. पर समय, श्रम, और पेट्रोल खर्च तो हो ही रहा है. अब आप समझ गए होंगे कि लोग घूस देने पर मजबूर कैसे होते हैं. राशन जिसे मिलना चाहिए उसे आज भी नहीं मिल रहा, जिससे भात भात करते बच्चे मर जाती है. यह तो मीडिया में आया तो चर्चित हो गया. बाकी ऐसे कितने मामले हैं जो मीडिया में नहीं आते!
अभी हाल ही मे में स्टेट बैंकऑफ इंडिया मे यह पता करने गया की मेरे खाता आधार से लिंक्ड है या नही? उन्होने कहा… के वाइ सी भरिये. मैने कहा फॉर्म दीजिये.. वहाँ से ले लीजिये….. वहां की मैडम ने बड़ी मैडम से कहा.. मैडम प्रिंट दे दीजिये… मैडम ने प्रिंट देकर कहा फोटो लाये हैं, सर? मैने कहा नही… फिर लेकर आइये… मैने कहा अब कल ही आऊंगा. कल मैं फोटो के साथ फॉर्म भरकर लाइन मे लगा. .. मेरा नंबर आने से पहले कुछ समस्या आ गयी जिसे सुलझाने बड़ी मैडम बड़े साह्ब के पास चली गयीं … कुछ देर बाद आईं और हमसे पहले एक सिपाही (हवलदार साहब) का लिंक तो किया फिर वर्तमान पता का प्रमाण पत्र मांग बैठी. वे लेकर नही आये थे. मुंह लटका कर चले गये. फिर मेरा नंबर आया ..उन्होने देखकर बताया की आपका आधार तो लिंक्ड है. मैने कहा – कल क्यों नही बताया?… आपका के वाइ सी ड्यू था, वही कहा होगा… अब आप समझ लीजिये…कितना काम आसान हुआ है कितना कॉम्प्लिकेटेड?
लोग वही हैं. ऊपरवाले भी वही हैं! कौन करेगा कार्रवाई!
पी एम् आवास योजना, वृद्धावस्था पेंशन, आदि उन्हें ही मिलता है जिनका कोई आदमी राजनीति (सत्ताधारी पार्टी) में है. वे भी मुफ्त में नहीं करते. उचित मुआवजा लेते ही हैं! व्यवस्था परिवर्तन कौन करेगा? उनपर अंकुश कौन रखेगा? सब काम मोदी जी तो नहीं करेंगे. मोदी जी भी वही करते हैं, जिनसे उन्हें यानी उनका वोट बैंक बनता है. बल्कि साड़ी राजनीतिक पार्टियां वही कर रही है. हाँ इतना जरूर है कि अभी विपक्ष बेहद कमजोर है इसलिए सत्ताधारी दल का हर संस्था पर कब्ज़ा होता जा रहा है.
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