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एक हैं हमारे मित्र, नाम है, आनंद बिहारी
बड़े ही मृदुभाषी अल्पहारी
अपना टिफिन अवश्य लाते हैं
पर खाना भूल जाते हैं
घर जाते समय सहकर्मियों को करेंगे अनुरोध
खा लीजिये आप भी, नहीं तो घर में पत्नी करेगी प्रतिरोध
कार रक्खें हैं, पर स्वयं नहीं चलाते हैं
गांव जाते समय, ड्राइवर को ले जाते हैं
कल जा रहे थे पार्टी में एक मित्र की गाड़ी से
बड़े खुश थे पर बीच बीच में कह रहे थे
आराम से चलाइये… ४० के स्पीड में भी घबरा रहे थे.
पार्टी में खाने में भी शर्मा रहे थे
पर पीने में उनका जवाब नहीं
शराब में पानी मिलाने पर चिल्ला रहे थे.
एक तो यह है ही बड़ा हल्का
ऊपर से पानी का तड़का
खाने के बाद बोले
अगर आपकी इजाजत हो तो थोड़ा कोल्ड ड्रिंक ले लें!
हमने कहा – आराम से लीजिये
जितनी इच्छा हो पी लीजिये
वे पीते रहे और मुंह बिचकाते रहे
कुछ पता ही नहीं चल रहा
ऐसा लगता है सिर्फ मिनरल वाटर ही पी रहे हैं
एक दो तीन गिलास
नजरें कर रही थी कुछ और ही तलाश
हमने कहा – अब चलिए
उन्होंने कहा – थोड़ा ठहरिये
आखिर चलने को हुए तैयार
फिर गाड़ी में हुए सवार!
अब रास्ता था बिलकुल खाली
गाड़ी के ड्राइवर ने भी तो थोड़ी चढ़ा ली!
अब गाड़ी चल रही थी १०० की रफ़्तार से,
सड़के किनारे के पेड़ भाग रहे थे कतार से.
आनद बिहारी साहब अब मस्ती में झूम रहे थे
ड्राइवर को गाड़ी और तेज चलाने को घूर रहे थे.
क्या यार रिक्शा चलाता है क्या?
तेज चलाने से डरता है क्या?
कुछ मालूम है, टाइम कितना हुआ है?
घर पहुंचने के बाद बोले – बड़ा सुस्त ड्राइवर है तू
ये लो पचास रुपये, रख ले तू
इतना ही खुदड़ा है अभी
बाद में ले लेना कभी!
तो अब आप समझ गए होंगे
शराब क्या चीज होती है
पीने के बाद, आदमी के सर चढ़कर बोलती है!
कोई कहता है – पीने के बाद, हो जाता है स्वर्ग का दर्शन!
जो पीता नहीं वह क्या जाने होती क्या चीज तड़पन …
(एक अनुभव के आधार पर)
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