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घृणा और नफरत से नुकसान, प्रेम से खुशहाली

jls
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कासगंज में कथित तिरंगा झन्डा यात्रा के क्रम में हुई चन्दन गुप्ता की गोली लगाने से मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि दिल्ली में दिल दहला देनी वाली घटना हो गयी. तिरंगा यात्रा को हिन्दू –मुस्लिम का रूप देने में कही भी किसी प्रकार की कोताही नहीं की गयी. कुछ गिरफ्तारियां भी हुई और जांच जारी है. राजनीतिक बयानबाजी अलग से हो रही है. जबकि कुछ खोजी पत्रकारों का कहना है कि सबके मूल में बेरोजगारी मुख्य समस्या है. बेरोजगार युवक सामाजिक संस्था बनाकर कुछ अच्छे काम भी करते हैं और जोश में या भड़कावे में आकर कुछ गलत काम भी कर जाते हैं. अब राजनीतिक बयानबाजी चलती रहती है, साथ ही सोसल मीडिया चटकारे लेता रहता है. इससे नफ़रत और घृणा का माहौल बनता है. दो धर्मों के बीच की खाई और चौड़ी होती जाती है.
दिल्ली के 23 साल के अंकित की गुरुवार रात गला काटकर रोड पर हत्या कर दी गई. पुलिस पड़ताल में सामने आया है कि अंकित दूसरे धर्म की लड़की से प्यार करता था. लड़की के परिवार वालों पर हत्या का आरोप लगा है. पुलिस ने बताया कि 4 लोगों ने चाकुओं से युवक पर हमला किया जिनमें से एक को लोगों ने भागते वक्त पकड़ लिया. तीन लोग फरार हो गए. लड़की ने अपने बयान में कहा है कि वह लड़के से प्यार करती थी और अब उसे भी अपने परिजनों से जान का खतरा है. अंकित रघुबीर नगर में रहता था और रात को आठ बजे स्कूटी से कहीं जाने के लिए निकला था. तभी 4 लोगों ने उस पर हमला कर दिया और उसका गला काट दिया. उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया लेकिन अधिक खून बह जाने के कारण उसकी मौत हो गई. दरअसल अंकित अपने ही इलाके की लड़की से प्यार करता था जो दूसरे धर्म की है. लड़की के रिश्तेदारों को जब इस प्यार की भनक पड़ी तो उन्होंने अंकित की जान लेने का फैसला कर लिया. लड़की के पिता और भाई समेत 4 रिश्तेदारों ने अंकित का कत्ल कर दिया. पुलिस तक जैसे ही ये मामला पहुंचा, आला अधिकारी तत्काल मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और कातिलों की तलाश में जुट गई है. लेकिन फिलहाल तक कोई अधिकारी इस पर कोई आधिकारिक बयान देने से बच रहा है.
सोशल मीडिया पर उस दिन सुबह से ही ये कहा जा रहा है कि हिंदू होने की वजह से अंकित की इतनी बेरहमी से हत्या की गई. इस खबर को लेकर सोशल मीडिया पर नफरत की आंधी चल रही है. इस नफरत को दिल्ली से बीजेपी के विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने हवा दी है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि दिल्ली में जो हुआ उसका सच ये है कि 23 साल के अंकित को ऑनर किलिंग के नाम पर अल्पसंख्यक लोगों ने मार डाला. अंकित एक मुस्लिम लड़की से प्यार करता था जिसने ये कबूल किया है कि उसके परिवार ने ही ये हत्या की है. सिरसा ने एक के बाद एक आधा दर्जन से ज्यादा ट्वीट और रीट्वीट इस मामले को लेकर किये हैं. इस पूरे मामले ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है. अंकित जिस लड़की से प्यार करता था उसका भी कहना है कि परिवार शादी के खिलाफ था.
फिलहाल तनाव को देखते हुए इलाके में सीआरपीएफ की तीन कंपनियां तैनात की गई है. पुलिस ने हत्या के आरोप में सलीमा के परिवार के चार लोगों को गिरफ्तार किया है. सोशल मीडिया पर हंगामे की वजह पर अंकित मर्डर केस में सिविल सोसायटी भी खामोश है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि लड़का हिंदू था इसलिए प्रभुत्व वर्ग खामोश है. वरना वो अखलाक और जुनैद के कत्ल की तरह इस बार भी आसमान सिर पर उठा लेता.
उधर यूपी के बुलंदशहर में हुए डबल मर्डर केस को सुलझाने का दावा किया गया है. पुलिस ने बताया है कि एक लड़की से एकतरफा प्यार करने वाले लड़के ने दोनों बहनों का कत्ल किया था. शीलू और शिवानी नाम की दो बहनों की गला दबाकर हत्या की गई थी. फिर आरोपी ने दोनों की लाशों को जला भी दिया. गुरुवार शाम घर में आग लगने से डबल मर्डर का खुलासा हुआ था. जिस परिवार की दो लड़कियों को बेरहमी से मारा गया था उसी घर में लड़के की शादी होनी थी. पुलिस ने बताया कि शीलू के प्रेमी ने वारदात को अंजाम दिया था. पुष्कल उर्फ अंकित को शीलू ने ही घर पर बुलाया था. अंकित दुबई में नौकरी करता था लेकिन डेढ साल पहले गांव वापस लौट आया था. उसके वापस आने का कारण भी एकतरफा प्यार ही था. अंकित ने पहले अपनी प्रेमिका शीलू की क्लच वायर से गला दबाकर हत्या की और फिर पकड़े जाने के डर से शिवानी का भी मर्डर कर दिया. इसके बाद उसने दोनों की लाशों को जलाया और फरार हो गया. अंकित बीटेक कर चुका इंजीनियर है. प्यार क्या यही सीखाता है? प्रेम में जान देने की बात भले ही हो पर जान लेनी की बात सर्वथा गलत है.
देश में रोडसाइड रोमियो का तथाकथित एकतरफा प्यार और उस प्यार के नाम पर लड़की को डराने, धमकाने और जान से मार देने तक की वारदातें लगातार बढ़ती जा रही हैं. ऐसी ही समाज को झकझोर देने वाली राजस्थान के कोटा से एक खबर आई है जहां एक 16 साल के एक लड़के ने 14 साल की नाबालिग लड़की को जला कर मार दिया. इस घटना से पहले दोनो में तीखी नोकझोंक हुई थी. पुलिस ने बताया कि लड़के ने नाबालिग लड़की से अपने प्रेम का इजहार किया था जिसके बारे में लड़की ने अपने माता-पिता को बता दिया था. इससे आरोपी गुस्सा हो गया था. लड़की के माता-पिता दो दिन पहले लड़के के घर उसकी शिकायत करने गए थे और उसे अपनी लड़की से मिलने से मना किया था. यह भी प्रेम नहीं पागलपन है.
अब आते हैं, हत्या और साम्प्रदायिकता की हवा पर – ज्ञातव्य है कि मई 2015 में यूपी के दादरी में अखलाक नाम के मुस्लिम की गाय का मांस खाने और रखंने के आरोप में हत्या हो गई. 2017 में 16 साल के जुनैद को मथुरा जा रही ट्रेन में भीड़ ने पीट-पीटकर और चाकू से मार दिया था. इसी तरह राजस्थान के अलवर में पहलू खान की गौतस्करी के आरोप में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी. झारखंड के गिरिडीह में मरी गाय मिलने पर उस्मान अंसारी नाम के मुस्लिम को बुरी तरह से पीटा गया. ये वो मामले हैं जिस पर विपक्ष ने जमकर सरकार को घेरा और हल्ला मचाया. अब लोग पूछ रहे हैं कि ये लोग अंकित के कत्ल पर क्यों खामोश हैं. क्या देश में हत्याओं पर धर्म देख कर आवाज उठाई जाती है. कुछ दिन पहले राजसमन्द, राजस्थान में शंभूलाल रैगर नाम के शख्श ने अपने मुस्लिम साथी की हत्या का बेरहम विडियो बनाकर सबके सामने पेश किया था जिसे घृणा की पराकाष्ठा ही कहा जायेगा. इसे कुछ लोगों ने बहशीपना कहा, दुत्कारा तो कुछ लोगों ने हौसला भी बढ़ाया जो कि गलत था. गलत तो गलत ही होता है वह भी बेरहमी से की गयी हत्या?
जमशेदपुर में भी बीच-बीच में माहौल ख़राब करने की कोशिश की जाती रही है. यहाँ भी पेशेवर गुंडे बदमाश ही आपस में झगड़ते हैं और बाद में उसे हिन्दू-मुस्लिम का रूप दे दिया जाता है. कभी बच्चा चोरी के नाम पर तो कभी मूर्ति विसर्जन जुलूस के नाम पर तो कभी डी जे पर विशेष गाना बजाये जाने के नाम पर.
घटनाएँ अन्य प्रकार की घटती रहती है. छेडखानी, छिनतई, राहजनी, मारपीट और रंजिश में हत्याएं भी होती रही है. पर मामला अगर दो समुदायों के बीच का है तो उसमे शायद कुछ लोगों को ज्यादा मजा आता है. अभी हाल ही में सरस्वती प्रतिमा के विसर्जन जुलूस में डी जे पर थिरकते हुए नौजवान अल्प संख्यक मुहल्ले से गुजर रहे थे. वहां उन्हें कुछ ज्यादा ही जोश आने लगा था. तभी पत्थर बाजी शुरू हो गयी. तनावपूर्ण वातावरण बन गया था कि पुलिस और कुछ समझदार लोगों ने मामले को बिगड़ने से बचा लिया.
जहाँ तक मेरा अनुभव कहता है जमशेदपुर में अधिसंख्य लोग किसी न किसी रोजगार या काम धंधे से बंधे हुए हैं अत: यहाँ माहौल ख़राब करने से सबका नुक्सान ही होता है. साथ ही यहाँ समय किसके पास है इन सब फालतू बातों में उलझने का. टाटा का प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन प्रशासन हर हाल में यहाँ शांति बनाये रखना चाहता है इसमें यहाँ के भाजपा के ही नेता, श्री सरयू राय और मुख्यमंत्री रघुबरदास की भी प्रमुख भूमिका रही है.
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आदि जगहों में साम्प्रदायिक माहौल में सभी अपनी-अपनी रोटी सेंकते हैं जो कि गलत है. आपसी भाईचारा और सामाजिक समरसता के माहौल में ही असल जिन्दगी और शांति है. घृणा और हिंसा की राजनीति कभी सफल नहीं हो सकती. सभी राजनेताओं और बुद्धिजीवियों को चाहिए कि भटके हुए लोगों को रस्ते पर लायें ना कि उसे गलत रस्ते पर जाने के लिए प्रोत्साहित करें.
हमारे प्रधान मंत्री का सपना है सबका साथ और सबका विकास. पर यह केवल कहने से तो नहीं होगा. उन्हें अपने दल के लोगों को भी बीच बीच में सचेत करते रहना होगा ताकि माहौल उपयुक्त बना रहे है न कि किसी फिल के विरोध के नाम पर स्कूली बच्चों के बस को निशाना बनाया जाय! अंत में-
आखिर जायेगा कहां, यह विक्षिप्त समाज?
प्रेम बिना जीवित भला, जीवन कैसे आज? – जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर

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